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मेघनाद की गजर्ना से गूंज उठा कालिदास रंगालय

पंचम अखिल भारतीय नाट्य महोत्सव के पांचवे दिन शुक्रवार को मेघनाद नाटक का मंचन हुआ. पुण्यार्क कला निकेतन ने इस ऐतिहासिक नाटक को अभिनय, कॉस्ट्यूम और बेहतरीन सेट से कालिदास रंगालय के मंच पर जीवंत किया. कहानी रामायण की थी, लेकिन इसका मूल उद्देश्य मेघनाद के शौर्य और पराक्रम को दिखाना था. निर्देशक विजय आनंद […]

पंचम अखिल भारतीय नाट्य महोत्सव के पांचवे दिन शुक्रवार को मेघनाद नाटक का मंचन हुआ. पुण्यार्क कला निकेतन ने इस ऐतिहासिक नाटक को अभिनय, कॉस्ट्यूम और बेहतरीन सेट से कालिदास रंगालय के मंच पर जीवंत किया. कहानी रामायण की थी, लेकिन इसका मूल उद्देश्य मेघनाद के शौर्य और पराक्रम को दिखाना था. निर्देशक विजय आनंद ने लेखक डॉ चतुभरुज की इस कहानी को मंच पर बेहतर तरीके से दिखाया. हालांकि नाटक के शुरुआती चंद मिनटों में अभिनय और संवाद में थोड़ी दिक्कत दिखाई दी, लेकिन नाटक जैसे-जैसे आगे बढ़ा यह दिक्कत खत्म होती दिखी.

नाट्य दल के बारे में

पुण्यार्क कला निकेतन पंडारक की नाट्य दल है. इस जगह में कुल 7 नाट्य संस्था हैं और 3 मंच हैं. पटना से 70 किमी दूर और बाढ़ से 10 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव में 1913 से नाटक के मंचन की शुरुआत हुई. लगभग 100 सालों में उस गांव के संस्थाओं ने कई नाटक भारत के कई जगहों में किये. वे सारे लोग पारसी थियेटर करने के लिए जाने जाते हैं.

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