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फसल बीमा घोटाला. मुख्यमंत्री ने आरोप-प्रत्यारोप पर जतायी चिंता

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि फसल बीमा व वेदर स्टेशन लगाने को लेकर सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप की सूचना मिली है. सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को वस्तुस्थिति की रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. वह (मुख्यमंत्री) शनिवार को सदन में इस मुद्दे पर […]

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि फसल बीमा व वेदर स्टेशन लगाने को लेकर सदन में सत्ता पक्ष व विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप की सूचना मिली है. सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को वस्तुस्थिति की रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. वह (मुख्यमंत्री) शनिवार को सदन में इस मुद्दे पर वक्तव्य देंगे. सदस्यों को सदन के अंदर व्यक्तिगत आक्षेप से बचना चाहिए.

जो कुछ भी हुआ है, वह गलत हुआ है. ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि गुरुवार को प्रश्नोत्तरकाल के दौरान सदन में अशोभनीय बातें हुई हैं. सूचना मिलने पर सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को बुला कर निर्देश दिया है कि वस्तुस्थिति को लेकर स्टेटमेंट ऑफ फैक्ट तैयार करें. सरकार शनिवार को सदन में इस पर विस्तृत वक्तव्य देगी. हालांकि नेता विरोधी दल नंद किशोर यादव का कहना था कि जिस संचिका का जिक्र किया गया, उसका भी खुलासा होना चाहिए. सीएम ने कहा कि संचिका की टिप्पणी की जानकारी सूचना के अधिकार के माध्यम से मांगी जा सकती है.

माफी मंगवाने पर अड़े : इधर, सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार समेत कई अन्य सदस्यों ने भाजपा सदस्यों द्वारा ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ भीम सिंह व खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक के प्रति आपत्तिजनक शब्दों के प्रयोग को गलत बताया. उन्होंने कहा कि भाजपा के सदस्य इसके लिए माफी मांगें, तब सदन को चलने देंगे, अन्यथा नहीं. भाजपासदस्यों ने रत्नेश सदा, दिनकर राम आदि को भी अपमानित किया है. सत्ता पक्ष के कड़े तेवर को देख विपक्ष के नेता ने यह कह कर माहौल को हल्का करने की कोशिश की आपत्तिजनक शब्दों को कार्यवाही से हटा दिया जाना चाहिए. यह स्वस्थ परंपरा नहीं है. भाजपा के नितिन नवीन ने कहा कि भाजपा कोटे के मंत्रियों पर घोटाले का आरोप लगाया गया है. आरोप लगानेवाले सदस्य को माफी मांगनी होगी.

स्वस्थ परंपरा नहीं : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि सदन के अंदर किसी भी मुद्दे को उठाने से पहले अनुमति लेनी होती है. नोटिस दिया जाता है. आपत्तिजनक बात कहना स्वस्थ परंपरा नहीं है. उत्तेजनावश किसी मंत्री व सदस्य पर लांछन लगाया जाना उचित नहीं है. मंत्री भी पहले सदस्य होते हैं, इसके बाद मंत्री. इस तरह के व्यवहार से सदन की गरिमा बाहर गिरती है. इस तरह का व्यवहार और व्यक्तिगत आक्षेप को रोकने की दिशा में स्पीकर ठोस पहल करें. स्पीकर ने कहा कि इस तरह के व्यवहार की पुनरावृत्ति हुई, तो सदस्यों पर कार्रवाई की जायेगी.

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