पटना: बिहार के लोगों का मानस जानने के लिए प्रभात खबर ने लोगों से सीधा संवाद-संपर्क किया. हम राजनीति की सीमा से परे जाकर उनसे समाज, आर्थिक बदलावों, जीवन पर पड़ने वाले असर तथा राजनीतिक परिदृश्य के बारे में जानना चाहते थे. उनकी जिंदगी से जुड़ी हर वह बात समझने की हमारी कोशिश थी जिससे जीवन स्तर में बदलाव की झलक मिल सकती है. हमने उनसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आमदनी, बिजली, सड़क, क्राइम और भ्रष्टाचार जैसे बुनियादी सवालों के बारे में जाना.
राज्य के ब्लॉक स्तर पर प्रभात खबर की ओर से कराये गये इस सव्रे में विभिन्न वर्गो के 6898 लोगों से अलग-अलग मुद्दों पर उनका नजरिया जाना गया. इस सव्रे में 76 फीसदी पुरुष और 23 फीसदी महिलाएं थीं. यह सव्रे 10 से 31 दिसंबर, 2013 में कराया गया था. सव्रे में आये नतीजों से संकेत मिलता है कि लोग पारंपरिक तरीके से सोचने के बदले वे बदलाव की गतिशीलता में साझीदार होना चाहते हैं. विभिन्न मुद्दों पर उनकी जो राय सामने आयी, उससे साफ है कि बदलाव की निरंतरता बनी रहनी चाहिए. अनेक मामलों में राज्य के मानक राष्ट्रीय औसत के आईने में कमतर हैं और उसमें व्यापक सुधार की जरूरत है. नब्बे और उसके पहले के दशक में हालात इतने बिगड़े हुए थे कि सुधार की दिशा में उठाये गये कदम लोगों को राहत की तरह महसूस हो रहे हैं.
इस सव्रे में प्रभात खबर ने अपने नेटवर्क का इस्तेमाल किया. अखबार से जुड़े 560 प्रतिनिधियों और 38 जिलों के सभी ब्यूरो प्रमुखों को इसकी जिम्मेदारी दी गयी. वे गांव-गांव गये. लोगों से संपर्क किया. सवालों के बारे में उनकी राय ली. यह अपने तरह का अनोखा सव्रे था जिसमें किसी दूसरी एजेंसी को नहीं लगाया गया था.