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छात्र और स्थानीय भिड़े, पथराव, मारपीट

बवाल. पटना विवि के दूरस्थ शिक्षा कैंपस स्थित इलाहाबाद बैंक के सामने नोट एक्सचेंज करने के दौरान घटना पुलिस पहुंची तो दोनों पक्ष हुए फरार तीन को लगी चोट, पुलिस ने आंशिक बल का प्रयोग कर खदेड़ा पटना : पटना विवि के दूरस्थ शिक्षा के कैंपस में स्थित इलाहाबाद बैंक के बाहर नोट एक्सचेंज कराने […]

बवाल. पटना विवि के दूरस्थ शिक्षा कैंपस स्थित इलाहाबाद बैंक के सामने नोट एक्सचेंज करने के दौरान घटना

पुलिस पहुंची तो दोनों पक्ष हुए फरार

तीन को लगी चोट, पुलिस ने आंशिक बल का प्रयोग कर खदेड़ा

पटना : पटना विवि के दूरस्थ शिक्षा के कैंपस में स्थित इलाहाबाद बैंक के बाहर नोट एक्सचेंज कराने को लेकर छात्रों और स्थानीय लोगों में जम कर मारपीट और पथराव हुआ. अचानक हुए इस घटना के बाद भगदड़ की स्थिति हो गयी और बैंक परिसर से लेकर अशोक राजपथ पर लोग एक-दूसरे पर पथराव करते रहे. घटना की जानकारी मिलने पर पीरबहोर, सुल्तानगंज, कदमकुआं व गांधी मैदान थाने की पुलिस के साथ वज्रवाहन पहुंचा. पुलिस को देखते ही दोनों पक्ष वहां से फरार हो गये.

हालांकि, थोड़ी देर बाद फिर से जुटने लगे, तो पुलिस ने खदेड़ दिया. घटना के कारण इलाहाबाद बैंक में करीब एक घंटा तक नोट एक्सचेंज नहीं हो पाया. इसके बाद पुलिस की उपस्थिति में फिर से काम शुरू हुआ.

पहले लेने की होड़ में हुई मारपीट : इलाहाबाद बैंक में नोट एक्सचेंज कराने का काम आराम से चल रहा था. वहां पुलिस की तैनाती भी नहीं थी. इसी बीच कुछ युवक बिना लाइन के आगे घुस गये. इसका लोगों ने विरोध किया, तो वे उनसे भिड़ गये. इसके बाद मारपीट शुरू हो गयी. दोनों पक्षों में पथराव होने लगा, जिससे अफरा-तफरी मच गयी. चूंकि, पथराव अशोक राजपथ पर भी हो रहा था, इससे यातायात भी बाधित हुई और वाहनों की लंबी लाइन लग गयी. दोनों ही पक्षों को आसानी से ईंट व गिट्टी मिल रहे थे.

क्योंकि, दूरस्थ शिक्षा परिसर के बाहर में रोड निर्माण के लिए काफी मात्रा में गिट्टी रखी हुई है. घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस दल-बल के साथ पहुंची, तो दोनों पक्षों के लोग फरार हो गये. हालांकि, फिर से मारपीट करने के इरादे से जब दोनों पक्षों के लोग जुटने लगे, तो पुलिस ने आंशिक बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ दिया. इसमें तीन लोगों को चोटें आयी हैं. हालांकि, इस मामले में किसी पक्ष ने पुलिस से लिखित शिकायत नहीं की है.

पुलिस बल की तैनाती कर दी गयी है

पथराव की घटना हुई थी. लेकिन, स्थिति नियंत्रण में हैं. इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गयी है और बैंक से पैसे एक्सचेंज का काम जारी है. उन्होंने बताया कि फिलहाल किसी पक्ष ने शिकायत नहीं की है. कार्रवाई की जा रही है.

चंदन कुमार कुशवाहा, सिटी एसपी मध्य सह एसएसपी, पटना

युवक का हंगामा

पंडारक. इलाहाबाद बैंक शाखा गोवाशा शेखपुरा में बुधवार को बैंक में प्रतिबंधित नोट जमा कराने को लेकर युवक ने जमकर हंगामा किया. इस दौरान बैंक के शाखा प्रबंधक द्वारा समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह गाली-गलौज करने लगा. इस घटना को लेकर कुछ देर के लिए बैंक में अफरातफरी कि स्थिति बन गयी.

पुलिस ने भांजीं लाठियां

फतुहा. पैसा जमा करने और निकासी करने की होड़ मची है, इस कारण हर बैंक और पोस्टऑफिस में भारी संख्या में महिला-पुरुष जुट रहे हैं, जिससे बैंकों में भगदड़ की स्थिति बनी रही. बुधवार को जैसे ही एसबीआइ बैंक खुली वैसे ही सुबह से लाइन में खड़े लोग आगे पीछे के चक्कर में बैंक प्रांगण में अफरा-तफरी मच गयी, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा.

पैसे को लेकर हंगामा

मनेर. बुधवार को नगर पंचायत क्षेत्र के लगभग सभी बैंको के गेट तीन बजे दोपहर में बंद किये जाने के कारण

लोगों ने जम कर हंगामा किया. हंगामा कर रहे लोगों का कहना था कि समय के पूर्व ही बैंकों को हर रोज बंद कर

दिया जा रहा है. लोग बाहर कतार में ही खड़े रह जा रहे हैं. एक ही काम के लिए रोज आने के साथ ही लाइन में लगना पड़ रहा है.

बड़े नोट नहीं लेनेवाले दवा दुकानदारों पर होगी कार्रवाई

पटना : स्वास्थ्य विभाग उन दवा दुकानदारों पर कार्रवाई करेगा, जो हजार व पांच सौ के नोट डाॅक्टर की परची और पहचानपत्र के बाद भी नहीं ले रहे हैं. भारत सरकार के निर्देशानुसार 24 नवंबर तक उन्हें ये नोट स्वीकार करना है. स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव शेखर चंद्र वर्मा ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारी को पत्र भी भेजा है.

पत्र में कहा गया है कि शिकायत मिल रही है कि कई दवा दुकानदार हजार व पांच सौ के पुराने नोट नहीं ले रहे हैं. जबकि, दवा दुकानदारों को वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार 24 नवंबर तक इसे स्वीकार करना है. दवा खरीदने के लिए डाॅक्टर की परची और पहचानपत्र आवश्यक है. पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर भारत सरकार नोट लेने की तिथि आगे बढ़ाती है, तो हजार व पांच सौ के नोट दवा दुकानदारों को स्वीकार करने होंगे.

नोटबंदी के समर्थन में दवा एसोसिएशन

500 व 1000 के बड़े नोट लेकर मरीजों को दवा देने के नियम का समर्थन बिहार केमिस्ट एंड ड्रग एसोसिएशन संघ ने दिया है. केंद्र सरकार की ओर से आये फैसले का स्वागत करते हुए दवा एसोसिएशन संघ के सचिव संतोष कुमार ने बताया कि 24 नवंबर तक सभी बड़े नोट दवा दुकानदार लेंगे. उन्होंने खुदरा दुकानदारों से मरीज हित में काम करने व दवा देने की अपील की है. वहीं अध्यक्ष पीके सिंह ने बताया कि बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन के नेतृत्व में एसो. ने बैठक की. इसमें बड़े नोट लेकर मरीजों को दवा मुहैया कराने के लिए निर्देश दिया गया है. इतना ही नहीं अगर किसी भी मरीज को परेशानी हुई तो वह जिला में पदस्थापित एडीसी के मोबाइल नंबर पर संपर्क कर मामले की जानकार दे सकते हैं.

पटना : शहर की एटीएम के आगे बुधवार को भी लंबी कतारें लगी रहीं. करीब 60 फीसदी से अधिक एटीएम के शटर गिरे रहे. जहां एटीएम खुली थी, वहां लोगों की लंबी लाइनें सुबह से ही लगी थीं. कई इलाकों में भीड़ से बचने के लिए लोग भोर तीन बजे ही एटीएम पहुंचे और पैसों की निकासी की. बैंकों के अनुसार एटीएम में केवल सौ के नोट रिफिल किये जा रहे हैं, इसलिए घंटा भर में खाली हो जा रही हैं. वहीं, कई एटीएम अपडेट नहीं होने के कारण अब भी चालू नहीं हो पायी है. बैंकों का दावा है कि एक-दो दिन में शहर की सभी एटीएम चालू हो जायेंगी. इसके लिए इंजीनियर दिन-रात जुटे हैं.

पटना मध्य इलाके में अधिकतर एटीएम बंद रहीं. पोस्टल पार्क इलाके में दस एटीएम में से दो ही खुली थी, लेकिन दोपहर बारह बजे के बाद ही वह भी बंद हो गयी. वहीं, मीठापुर बस स्टैंड रोड में छह एटीएम अपराह्न तीन बजे तक बंद थी. लेकिन, बाद में एसबीआइ की एक एटीएम खुली, जहां देर शाम तक लोगों की लाइन लगी रही. इससे दूर-दराज से आये यात्रियों को थोड़ी राहत मिली. चिरैयाटाड़ से करबिगहया पुल तक पांच एटीएम के शटर गिरे रहे. आर ब्लाक स्थित तीन एटीएम में से एक से ही पैसे निकल रहे थे. बोरिंग रोड चौराहे के आसपास दस एटीएम में से चार ही खुली थी, जहां लोगों की लाइनें देखी गयीं. इनमें दो एटीएम स्टेट बैंक की खुली थी. इनकम टैक्स चौराहे के पास दो में से एक ही खुली थी.

पटना : नोट बदलवाने की मारामारी पर काबू पाने के लिए लोगाें की उंगलियों पर स्याही लगाने के सरकार के फैसले के बाद बुधवार को बैंकों में इसका काफी असर देखा गया. बैंकों में लोगों की लाइनें छोटी हो गयीं. बैंकों में वैसे लोगों की संख्या कम दिखी, जो पिछले पांच-छह दिन से कई बार लाइन में लग कर नोट बदलवा रहे थे. लेकिन, स्टेट बैंक को छोड़ अधिकतर बैंकों में बिना स्याही लगाये ही नोट बदलने का काम हुआ. बैंकों ने बताया कि अब तक उन्हें स्याही नहीं मिली है. रिजर्व बैंक से वे लगातार संपर्क में हैं. स्याही उपलब्ध होते ही नोट बदलने वालों की उंगली पर स्याही लगाने का काम शुरू हो जायेगा.

नोट बदलने के साथ इन शाखाओं में लगी स्याही

भारतीय स्टेट बैंक की श्रीकृष्णापुरी शाखा में नोट बदलने वाले लोगों की उंगली पर स्याही लगायी जा रही थी. लोगों ने कहा कि स्याही लगते ही चुनाव की याद ताजा हो गयी. कोतवाली थाना स्थित इलाहाबाद बैंक में दो बजे तक बिना इंक लगाये नोट बदलने का काम जारी था. बैंक ने बताया कि अब तक इंक नहीं मिली है. गांधी मैदान स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में नोट बदलने वालों की लाइन छोटी रही. शाखा के सहायक महाप्रबंधक अखिल कुमार मिश्र ने बताया कि इस प्रयोग के बाद नोट बदलने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी है. उन्होंने बताया कि इंक लगने के 15 दिनों के बाद ही दोबारा नोट बदला जा सकेगा.

पटना : डाक विभाग के बेहतर सर्विस देने के सभी दावे उस वक्त धरे के धरे रह गये जब बुधवार को कई पोस्ट ऑफिसों में दिन के 12 बजे के पहले ही राशि खत्म हो गयी. लोग सुबह साढ़े दस बजे लाइन में लगे, लेकिन दोपहर 12 बजे तक उनके नोट नहीं बदल सके. शहर के सबसे वीआइपी इलाके सचिवालय पोस्ट ऑफिस की हालत तो सबसे खराब रही. इस पोस्ट ऑफिस में सुबह साढ़े दस बजे जब लोगों ने लाइन लगायी, तो उन्हें लगा कि पैसे मिल जायेंगे, लेकिन दोपहर 12 बजे के पहले ही रुपये खत्म हो गये. इसके बाद लोग बैंकों की आेर दौड़ पड़े. सचिवालय पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों ने बताया कि पैसे खत्म हो गये हैं. दोपहर दो बजे के पहले पैसे आ जायेंगे. लेकिन यहां अपराह्न चार बजे तक रुपये नहीं आये. इस कारण यहां आने वाले लोग परेशान रहे. यहां लाइन में लगे विनित कुमार राय ने बताया कि सुबह से शाम तक यहां नोट बदलने का काम नहीं हुआ. लोगों को सही जानकारी भी नहीं दी गयी.

कंकड़बाग के लोहियानगर पोस्ट ऑफिस में एक्सचेंज का काम इतना धीरे हो रहा था कि यहां अपराह्न तीन बजे तक लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई थीं. पुरुषों और महिलाओं की लाइन लोहियानगर पोस्ट ऑफिस के बाहर तक लगा हुई थी. यहां पुरुषों के साथ महिलाओं के लिए अलग काउंटर तो बनाये गये थे, लेकिन काम काफी धीरे हो रहा था. महिलाओं को काफी परेशानी हो रही थी.

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