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सीबीएसइ से मान्‍यता रद्द होने से 45 हजार बच्चों के भविष्य पर संकट

पटना: अपने बच्चों के शैक्षणिक भविष्य की चिंता सिर्फ सुधीर सिंह और स्वाति को ही नहीं है. उनके जैसे हजारों अभिभावक गुरुवार को परेशान दिखे. गुरुवार को ‘प्रभात खबर’ में राजधानी के 12 स्कूलों की मान्यता समाप्त होने की खबर देख कर कई अभिभावकों ने संबंधित स्कूलों में जाकर पूछताछ की. हालांकि, स्कूल प्रबंधन की […]

पटना: अपने बच्चों के शैक्षणिक भविष्य की चिंता सिर्फ सुधीर सिंह और स्वाति को ही नहीं है. उनके जैसे हजारों अभिभावक गुरुवार को परेशान दिखे. गुरुवार को ‘प्रभात खबर’ में राजधानी के 12 स्कूलों की मान्यता समाप्त होने की खबर देख कर कई अभिभावकों ने संबंधित स्कूलों में जाकर पूछताछ की.

हालांकि, स्कूल प्रबंधन की ओर से उनको संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका. किसी को बच्चे के एडमिशन की चिंता, तो कोई बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने को लेकर परेशान है. जिन स्कूलों की मान्यता सीबीएसइ ने समाप्त कर दी, उन स्कूलों में पढ़नेवाले लगभग 40 से 45 हजार विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है. इसको लेकर विद्यार्थी के साथ अभिभावक भी परेशान हैं.

स्कूल प्रबंधन ने नहीं दी जानकारी
राजधानी के इन 12 स्कूलों की मान्यता अचानक समाप्त नहीं हुई. सीबीएसइ पिछले तीन महीनों से स्कूल की जांच कर रहा था. स्कूल की मान्यता पर प्रश्न चिह्न् लगा हुआ था, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों को इसकी कोई जानकारी नहीं दी. अचानक मान्यता समाप्त होने की खबर ने अभिभावकों को स्तब्ध कर दिया. अभिभावक रोहित गुप्ता कहते हैं कि हमें कोई भनक तक नहीं लगी. आज न्यूज पढ़ने के बाद सीबीएसइ की वेबसाइट को सर्च किया, तो असलियत सामने आयी. लेकिन, स्कूल प्रशासन की ओर से अब तक किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गयी है.

मान्यता लेने की शर्ते
प्लस टू स्कूल, जहां चार स्ट्रीम आर्ट्स, साइंस, कॉमर्स व वोकेशनल की पढ़ाई हो रही हो, उसके लिए चार हजार वर्ग मीटर में हो कैंपस.

प्लस टू स्कूल, जहां केवल साइंस व आर्ट्स की पढ़ाई हो रही हो, उसके लिए तीन हजार वर्ग मीटर में हो कैंपस.

10वीं तक की पढ़ाई वाले स्कूल के लिए दो हजार वर्ग मीटर कैंपस की जरूरत.

स्कूल के पास खेल-कूद व अन्य गतिविधियों के लिए स्कूल के पास अपनी जगह हो.

हर स्कूल अपने शिक्षकों को कम से कम एक सप्ताह का शैक्षणिक प्रशिक्षण दें.

स्कूल में पेयजल के अलावा स्वच्छ व हाइजिंग बाथरूम की सुविधा हो

छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात में बाथरूम और वॉशरूम हो.

40 बच्चों पर एक बाथरूम का होना जरूरी है.

स्कूल प्रशासन एडमिशन व रजिस्ट्रेशन में पारदर्शिता रखे.

टीचिंग व नन टीचिंग स्टाफ का रिकॉर्ड बोर्ड को समय-समय पर अपडेट कराया जाये.

एडहॉक पर स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति न हो.

फाइन भरें , अप्लाइ करें
अगर सीबीएसइ ने किसी स्कूल की मान्यता ले ली, तो फिर उसे काफी मुश्किलों के बाद ही दोबारा मान्यता दी जाती है. सीबीएसइ से मिली जानकारी के अनुसार पहले तो संबंधित स्कूलों पर उनकी गलती के लिए तीन लाख रुपये जुर्माना किया जाता है. फाइन जमा करने के छह माह बाद स्कूलों को पुन: मान्यता (रि-स्टोर) लेने के लिए आवेदन देना होता है. आवेदन करने के लिए स्कूल को इन्फ्रास्ट्रर के साथ कई चीजों को दिखाना होता है. इसके बाद सीबीएसइ की टीम संबंधित स्कूलों का तीन बार विजिट करती है. टीम के संतुष्ट होने पर ही फिर स्कूल को दोबारा मान्यता दी जाती है.

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