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परिजनों पर टूटा दुख का पहाड़
गोपालगंज. कैदी चंचल मांझी के मौत के बाद परिजनों की चीत्कार से सदर अस्पताल गूंज उठा .परिजनों क ी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था . पूर्व मुखिया समेत इलाके के तमाम लोग परिजनों को संभालने में लगे थे. छोटे- छोटे बच्चों को लिए उसकी पत्नी प्रभावती देवी की हालत पागलों […]
गोपालगंज. कैदी चंचल मांझी के मौत के बाद परिजनों की चीत्कार से सदर अस्पताल गूंज उठा .परिजनों क ी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था . पूर्व मुखिया समेत इलाके के तमाम लोग परिजनों को संभालने में लगे थे. छोटे- छोटे बच्चों को लिए उसकी पत्नी प्रभावती देवी की हालत पागलों जैसी हो गयी थी, जबकि उसकी मां गिरजा देवी का सहारा छीन गया था . बेटे का शव बेड पर देख वह अपना धैर्य खो दी थी. उसकी आंखों के सामने ही उसकी दुनिया उजड़ चुकी थी . पूरी रात बेटे के शव के पास विलाप करती रही, जबकि प्रभावती देवी पति के शव को देख सदमे में खामोश हो चुकी थी . उसके मौत की खबर पर पहुंचे रिश्तेदार और बहन का रो -रो कर हालत खराब था. चंचल मांझी की मौत से पूरे गांववालों के सामने एक बड़ी समस्या और चिंता थी .छोटे- छोटे मासूम बच्चों का सहारा अब कौन होगा . चंचल मांझी मेहनत कर बच्चों को रोटी की व्यवस्था कर पाता था . उसके बेटा राजेंद्र ,बरमा तथा रमा को यह भी नहीं पता था कि उसके पिता के साथ क्या हुआ है,जबकि बेटी रजानती कुमारी , फुलकांती कुमारी , प्रमीला कुमारी , ज्ञांती कुमारी , कलावती कुमारी का हालत खराब था . इन सभी बच्चों की शादी विवाह भी बाकी है. परिजनों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है.
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