पटना: लोकसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस के बीच गंठबंधन पर सहमति के बाद अब सीटों के बंटवारे पर बात बनती दिख रही है. राज्य की 40 सीटों में राजद 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और बाकी 18 सीटें कांग्रेस के खाते में जायेंगी. कांग्रेस अपने कोटे की सीटों में लोजपा और राकांपा को हिस्सा देगी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के 30 जनवरी के किशनगंज दौरे के बाद किसी भी दिन इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी जायेगी.
हालांकि, कांग्रेस अब भी राजद पर कम- से-कम 19 सीटें देने का दबाव बनायी हुई है. पार्टी का मानना है कि 19 सीटों में 10 पर कांग्रेस खुद लड़ना चाहती है, जबकि छह पर लोजपा और एक पर राकांपा के उम्मीदवार होंगे. कांग्रेस ने दो सीटें उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के लिए भी छोड़ रखी है. लेकिन, रालोसपा दो सीटों पर राजी नहीं हुई, तो ये सीटें कांग्रेस व लोजपा में बांट ली जायेंगी.
दूसरी ओर राजद की परेशानी यह है कि उसके बेस वोट यादव-मुसलिम बहुल सीटों पर कांग्रेस की नजर है. राजद हर हाल में ऐसी सीटों को अपने पास रखना चाहता है. मधुबनी की सीट इसमें शामिल है. मधुबनी संसदीय सीट पर 2009 के चुनाव में राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी दूसरे नंबर पर रहे थे. महज आठ हजार वोट से पीछे रह जाने से राजद इस सीट को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता है. दोनों दलों के नेता मानते हैं कि एक से दो दिनों में कोई सम्मानजनक रास्ता निकल आयेगा.
2009 के चुनाव में राजद ने कांग्रेस को तीन सीटें दी थीं और 12 सीटों पर लोजपा के साथ समझौता हुआ था. लेकिन, तीन सीटों पर कांग्रेस तैयार नहीं हुई और उसने सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया था. इसके बाद राजद को 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने पड़े. 12 पर लोजपा और कटिहार की सीट पर राकांपा से तालमेल हुआ था. इस बार राजद ने कांग्रेस को फोकस में रख कर समझौते की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है. सीटों के तालमेल को लेकर राजद का समझौता कांग्रेस के साथ होगा और कांग्रेस की जिम्मेवारी लोजपा व राकांपा के बीच सीटें बांटने की होगी.