पटना: 1990 से 2009 तक विभिन्न जिलों में मैट्रिक व इंटर की परीक्षाओं में लगभग 1900 गृहरक्षकों की ड्यूटी लगायी गयी थी. इसके लिए उन्हें 75 से 225 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करना था, लेकिन अब तक उनको स्टाइपेंड नहीं मिला है. इसके कारण गृहरक्षकों का दो करोड़ रुपये सरकार पर बकाया है. स्टाइपेंड के इंतजार में कई गृहरक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, तो कई सेवानिवृत्त होनेवाले हैं. जबकि कई की तो मौत हो चुकी हैं.
वैशाली के सत्येंद्र सिंह ने बताया कि मैंने 1999 में हाजीपुर के एक इंटर कॉलेज में परीक्षा में एक सप्ताह तक ड्यूटी की थी. लेकिन, इसका स्टाइपेंड सरकार ने अब तक नहीं दिया है. इसके लिए उन्होंने अपने उच्चधिकारियों से कई बार मुलाकात की, पर आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला.
क्या है कारण
गृहरक्षक वाहिनी के डीजी एएस निंब्रान के अनुसार, गृहरक्षकों को मिलनेवाले पैसे में देरी का मुख्य कारण सरकार से पैसा मिलने में विलंब का होना है. सरकार गृहरक्षकों का पैसे परीक्षा लेनेवाले बोर्ड को देगी. उक्त पैसे को बोर्ड गृहरक्षक मुख्यालय को देगा, जहां से गृहरक्षकों के पैसे को भुगतान किया जायेगा. स्टाइपेंड के इंतजार में 65 गृहरक्षकों की मौत हो चुकी है, इसके बाद भी सरकार ने उनके बकाया का भुगतान नहीं किया है.
हाजीपुर के केशव कुमार, समस्तीपुर के राम रक्षा, औरंगाबाद के नंद प्रसाद, सीवान के डीडी प्रसाद, पूर्णिया के अवधेश कुमार सहित एक दर्जन गृहरक्षकों ने इसके लिए शासन-प्रशासन से विभिन्न स्तरों पर वार्ता की. इसके बाद भी उनकी जिंदगी के आखिरी क्षण तक उनको बकाया के पैसे नहीं मिले.
प्रदेश में हजारों स्कूल
प्रदेश में लगभग 589 स्कूलों में इंटर और 4500 हाइस्कूलों में मैट्रिक की परीक्षा होती है. हर सेंटर पर परीक्षा के दौरान सुरक्षा के लिए एक सब इंस्पेक्टर, दो सिपाही और आधा दर्जन गृहरक्षक तैनात किये जाते हैं.
गृहरक्षकों के बकाया का मुङो जानकारी है.मैं प्रयासरत हूं. जल्द ही गृहरक्षकों के बकाया पैसे का भुगतान होगा.
एएस निंब्रान, गृहरक्षा वाहिनी के डीजी