पटना: नये रेट के फेर में नौ माह से फंसे करीब एक हजार आवेदकों को हाइकोर्ट ने राहत दी है. कोर्ट ने जिला अवर निबंधन कार्यालय में लटके इन आवेदकों के जमीन की रजिस्ट्री तीन माह के भीतर करने का आदेश दिया है.
ये वैसे आवेदक हैं, जिन्होंने 15 मई 2013 को नया एमवीआर लागू होने से एक-दो दिन पहले आवेदन जमा कराये थे, मगर अत्यधिक भीड़ की वजह से समय पर उनकी रजिस्ट्री नहीं हो सकी. एमवीआर लागू होने से पहले आवेदन जमा कराने के बावजूद पुराने दर पर रजिस्ट्री नहीं होने के चलते इनका मामला पेंडिंग हो गया था.
इसके चलते कुछ आवेदकों ने हाइकोर्ट में अपील की थी. इस पर 16 जनवरी 2014 को फैसला सुनाते हुए हाइकोर्ट ने जिला अवर निबंधन कार्यालय को तीन माह के भीतर इन आवेदकों की रजिस्ट्री पुराने दर पर करने का आदेश दिया है.
हाइकोर्ट में गये आवेदक : परसा बाजार निवासी मोहम्मद आफताब आलम और बुद्धा कॉलोनी के मो अख्तर ने हाइकोर्ट में हलफनामा दायर कर पुरानी दर पर रजिस्ट्री करने की मांग की. नौ महीने चले मामले के बाद हाइकोर्ट की सिंगल बेंच के न्यायाधीश किशोर कुमार मंडल ने 16 जनवरी 2014 को आदेश जारी किया. हालांकि, हाइकोर्ट के इस आदेश का असर राज्य के सभी अवर निबंधन कार्यालयों पर पड़ेगा. पिछले साल 15 मई को एमवीआर लागू होने से पहले हर जिले में कुछ ऐसे ही मामले में दस्तावेज पेंडिंग रह गये थे. हाइकोर्ट का यह आदेश ऐसे आवेदकों को राहत देगा. वहीं, इस फैसले से उन आवेदकों को अफसोस होगा, जिन्होंने आवेदन तो पहले जमा कराया था, मगर 15 मई के बाद कोई रास्ता न निकलता देख नये एमवीआर पर रजिस्ट्री करा ली. ऐसे आवेदक भी काफी संख्या में हैं.
सर्किल रेट की सर्वाधिक बढ़ोतरी : वित्तीय वर्ष 2013-14 में सबसे अधिक सर्किल रेट की बढ़ोतरी की गयी थी. इसके कारण लोगों को जमीन व फ्लैटों की रजिस्ट्री कराने के लिए एक से डेढ़ लाख रुपये अधिक खर्च करने पड़े. दीघा जैसे शहर के बाहरी इलाकों में सर्किल रेट 78 लाख रुपये प्रति कट्ठा (व्यावसायिक प्रधान सड़क) तय किये गये हैं, जबकि वित्तीय वर्ष 2012-13 में इसका रेट 20 लाख रुपये प्रति कट्ठा था. यही हाल शहर के सभी इलाकों का है. संपतचक, खेतान मार्केट के आस-पास के इलाकों में बढ़ोतरी की गयी. अधिसंख्य मोहल्लों की आवासीय भूमि कम से कम 30 लाख व अधिक से अधिक 70 लाख रुपये की गयी हैं. ग्रामीण इलाकों में 100 से 400 फीसदी तक जमीन की कीमत निर्धारित की गयी.
क्या है मामला
वित्तीय वर्ष 2013-14 में निबंधन विभाग ने 15 मई को पूरे राज्य में नया एमवीआर सर्किल रेट लागू किया था. नया सर्किल रेट लागू होने से पहले कई आवेदकों ने 13 व 14 मई को रजिस्ट्री कराने के लिए दस्तावेज जमा कराये. काफी संख्या में दस्तावेज के जमा होने से देर रात तक रजिस्ट्री का काम चला. इसके बाद भी करीब एक हजार आवेदक रजिस्ट्री करवाने से वंचित रह गये. इन दस्तावेजों पर पक्षकार द्वारा हस्ताक्षर भी किये गये थे. 15 मई को नया एमवीआर लागू हो जाने के बाद उनसे नयी दर पर रजिस्ट्री कराने को कहा गया, लेकिन आवेदकों ने इसका विरोध किया. इसके बाद उनका मामला पेंडिंग में चला गया.