पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आला अधिकारियों को दो टूक कहा कि भ्रष्टाचार को बरदाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने निर्देश दिया कि जितने अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप चल रहे हैं, दो माह के अंदर विभागीय जांच पूरी करें और इसमें दोषी पाये जाने पर उन अधिकारियों को बरखास्त करें.
साथ ही उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए डीएम को सीधी कार्रवाई करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. मुख्य सचिव स्वयं हर सप्ताह न्यायालयों में चल रहे मुकदमों व विभागीय कार्यवाहियों की नियमित मॉनिटरिंग करेंगे. बुधवार को मुख्यमंत्री वरीय अधिकारियों के साथ बैठक कर भ्रष्टाचार के मामलों की समीक्षा कर रहे थे. इसी क्रम में उन्होंने डीएम व एसपी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अब तक की गयी भ्रष्टाचार निरोधी कार्रवाईयों की समीक्षा की.
निगरानी तंत्र को करें मजबूत : उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि भ्रष्टाचार से निबटने के लिए निगरानी के सिस्टम को और सुदृढ़ करें. हर जिले में निगरानी की विशेष यूनिट का गठन किया जायेगा. इसमें एक सामान्य प्रशासन से और एक पुलिस प्रशासन के अधिकारी रहेंगे. हर विभाग में भी निगरानी तंत्र को मजबूत किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि निचले स्तर पर भ्रष्टाचार में बिचौलियों की भूमिका अहम होती है. अब उनकी भी संपत्ति जब्त की जायेगी. इसके लिए कानून में प्रावधान किये जायेंगे.
मुख्य सचिव ने कहा कि निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सीबीआइ की तर्ज पर विकसित किया जायेगा. घूस लेते जिन सरकारी सेवकों को पकड़ा जाता है और जेल जाने पर उन्हें निलंबित किया जाता है, अगर वे जमानत पर जेल से बाहर आते हैं, तो उन्हें फिर से दूसरे प्रावधानों के तहत निलंबित किया जायेगा. इसका मकसद यह है कि सरकार के पैसे से वह सरकार के खिलाफ मुकदमा न लड़े. ऑनलाइन संपत्ति विवरणी के क्रॉस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को और सरल बनाया जायेगा.
अब तक 42 पुलिस कर्मी हुए बरखास्त : डीजीपी अभयानंद ने बताया कि 2006 से लेकर अब तक 53 पुलिसकर्मी घूस लेते पकड़े गये हैं. इनमें से 42 को बरखास्त कर दिया गया है. शेष के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है.