पटना: प्रवर्तन निदेशालय (इडी) राज्य के सात कुख्यात अपराधियों की 18 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करेगी. आर्थिक अपराध इकाई द्वारा इन अपराधियों की संपत्ति जब्ती के प्रस्ताव पर ईडी ने मामला दर्ज किया है. सभी अपराधियों की संपत्ति प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जब्त की जायेगी.
ईडी द्वारा दर्ज किये गये कांड के अनुसार इनमें भागलपुर के एक, लखीसराय के तीन, पटना, मुंगेर व सहरसा के एक -एक अपराधी शामिल हैं. पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ईडी को आर्थिक अपराध इकाई द्वारा जांच के दौरान मिली संपत्ति का पूरा ब्योरा भी सौंपा गया है. जांच से यह भी जानकारी मिली है कि अनुमान से कहीं अधिक संपत्ति हो सकती है. पुलिस मुख्यालय सूत्रों ने बताया कि अलग -अलग समय में सातों अपराधियों द्वारा हत्या, अपहरण व रंगदारी सहित अन्य अपराधों के माध्यम से 18 करोड़ से अधिक की संपत्ति अजिर्त की गयी है. इन सभी अपराधियों के खिलाफ विभिन्न जिलों में अपराध के दर्जनों मामले दर्ज हैं.
पूर्व मंत्री भानु की भी संपत्ति होगी जब्त
झारखंड के पूर्व मंत्री व विधायक भानु प्रताप शाही की आठ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जायेगी. आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने के मामले में फंसे भानु प्रताप शाही के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय बोर्ड को सौंप दिया है.
जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए इडी के संयुक्त निदेशक, लखनऊ विवेक प्रसाद ने चार दिनों तक पटना में कैंप किया. इडी के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में भानु प्रताप शाही द्वारा अजिर्त कुल 7.97 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्ती का प्रस्ताव दिया गया है. यह दस्तावेजों में अंकित राशि के आधार पर जब्ती के लिए दी गयी है.
बाजार मूल्य 15 करोड़ रुपये से अधिक का है. इडी सूत्रों ने बताया कि शाही के खिलाफ 2005 से 2010 के बीच भ्रष्ट तरीके से अजिर्त संपत्तियों का मूल्यांकन करते हुए इसे जब्त करने का प्रस्ताव दिया गया है. शाही ने 2005 में विधायक बनने के बाद अपनी राजनीतिक पहुंच पर काफी संपत्ति एकत्र की है. शाही ने 60 लाख रुपये बाजार मूल्य की जमीन मात्र 4.37 लाख रुपये में ही खरीद ली. इडी की जांच रिपोर्ट के अनुसार जब शाही के खिलाफ जांच शुरू हुई, तब जमीन के कागजात मिले.
जांच के क्रम में मिले कागजी साक्ष्यों के अनुसार विक्रेता ने 60 लाख रुपये प्राप्त किये थे. जब इडी ने उक्त विक्रेता से जमीन की बिक्री को लेकर जानकारी मांगी, तो उसने ज्यादा कीमत लेने की बात से इनकार कर दिया. जब उसे 60 लाख रुपये मूल्य के कागजी साक्ष्य को दिखाया गया और इडी द्वारा उसके हस्ताक्षर के नमूने की फॉरेसिंक जांच कराने की बात कही गयी, तो हैरानी की सीमा नहीं रही. उसने उस कागजात पर हस्ताक्षर की बात कबूल की.