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घटना के दिन बैंक में स्नेहा के पास बैठे थे तीनों अधिकारी

स्नेहा सिंह आत्महत्या कांड सत्येंद्र पांडेय, गोपालगंज आइडीबीआइ बैंक क ी सहायक प्रबंधक स्नेहा सिंह आत्महत्या कांड के अनुसंधानकत्र्ता ने न्यायालय को पुलिस डायरी सौंप दी है. डायरी से इस कांड में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि बैंक में स्नेहा सिंह की सीट के पास बैंक के प्रबंधक […]

स्नेहा सिंह आत्महत्या कांड

सत्येंद्र पांडेय, गोपालगंज
आइडीबीआइ बैंक क ी सहायक प्रबंधक स्नेहा सिंह आत्महत्या कांड के अनुसंधानकत्र्ता ने न्यायालय को पुलिस डायरी सौंप दी है. डायरी से इस कांड में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि बैंक में स्नेहा सिंह की सीट के पास बैंक के प्रबंधक देवेंद्र पाल सिंह, ऑपरेशन मैनेजर शिवकुमार नायक तथा रत्नेश कुमार एक साथ बैठ कर काफी देर तक बात की है. बात क्या हुई है, इसका खुलासा पुलिस ने नहीं किया है. 22 नवंबर की देर शाम हुई तीनों अधिकारियों के साथ स्नेहा की बात का जिक्र पुलिस ने अपनी डायरी में किया है. बता दें कि बैंक से जाने के पहले तीनों अधिकारियों के साथ बात हुई है. इसके बाद जब स्नेहा श्याम सिनेमा रोड स्थित अपने किराये के आवास में लौटी, तब आत्महत्या कर ली. रात में ही स्नेहा ने एक सुसाइड नोट लिखी थी. अपने सुसाइड नोट में तीनों अधिकारियों का नाम लिखते हुए कहा है कि ‘एवरी डे किल मी.’ साथ ही उसने बैंक के फर्जी बिल पर साइन कराने का दबाव भी दिये जाने की बात लिखी है. सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने तीनों अधिकारियों को गिरफ्तार कर पिछले 24 नवंबर को ही जेल भेज दिया था. पुलिस डायरी पर नजर डालें तो फर्जी बिल मामले की पुलिस ने कोई जांच अब तक नहीं की है. जबकि इस पूरे कांड में सुसाइड नोट भी बैंक के फर्जीवाड़े की पोल खोल रही है. स्नेहा के बड़े पापा ने भी नगर थाने में दर्ज कराये गये कांड में बैंक में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होने का जिक्र किया था. फिर भी पुलिस द्वारा इसकी जांच नहीं करना पुलिस की कार्यशैली को चुनौती दे रही है. स्नेहा आत्महत्या कांड के अधिवक्ता मनीष मिश्र की माने तो अभियुक्तों को पुलिस ने फर्जीवाड़े में बचाने का प्रयास किया है. पुलिस पूरी ईमानदारी के साथ इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है. हालांकि पुलिस की भूमिका को लेकर कांग्रेस, राजमो व जदयू ने भी आपत्ति जताया है.
चाय वाले के नाम निकाले गये लाखों रुपये
आइडीबीआइ बैंक में कार्यरत स्नेहा सिंह की आत्महत्या के बाद परत-दर-परत बैंक में हुए फर्जीवाड़े का राज खुलने लगा है. बैंक के प्रबंधकों ने बैंक के समीप बंजारी रोड में स्थित सुभाष प्रसाद की चाय दुकान से चाय मंगा कर ग्राहकों और सम्मानित लोगों को चाय पिलायी जाती थी. उसे बिना बताये बैंक का वेंडर बना दिया गया. उसके नाम से खाता खुलवाया गया. चार-पांच माह तक उसे विड्रॉल पर साइन कराया गया. जब सुभाष प्रसाद ने अपना खाता बंद करने की बात कही तो उसके बाद साइन कराना बंद कर दिया गया. इस क्रम में न तो सुभाष को पासबुक दी गयी और न ही उसे खाता नंबर की जानकारी थी. एक साल के बाद जब सुभाष को पता चला कि उसका खाता आज भी चालू है और हर माह वेंडर के नाम पर 25 से 30 हजार रुपये की राशि मंगायी गयी. इतना ही नहीं, जब इसकी जानकारी हुई तो सुभाष प्रसाद ने अपनी पासबुक मांगी जिस पर बैंक के अधिकारियों ने उसे भगा दिया. बाद में जब मुकदमा करने की बात कही तो आनन-फानन में उसके बैंक खाते को बंद कर दिया गया. पुलिस के समक्ष सुभाष प्रसाद ने पूरे घटना क्रम को बताया है. जांचकर्ता सब इंस्पेक्टर शैलेंद्र कुमार ने चाय दुकानदार के बयान को भी रेकॉर्ड किया है. यह पूरा मामला स्नेहा के सुसाइड नोट को बल दे रहा है.

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