पटना: सपेरे आते हैं. बीन बजाते हैं, लेकिन सांप है, जो निकलने का नाम नहीं ले रहे हैं. यह हाल है निबंधन विभाग के कार्यालय का. सोमवार को निबंधन कार्यालय के रिकॉर्ड रूम से सांप निकालने के सपेरे ने दो घंटे तक मंतर फूंके, लेकिन फिर भी सांप नहीं निकला.
बीते माह 18 नवंबर को रिकॉर्ड रूम से सांप निकाले गये थे. तब से वहां अक्सर सपेरे को बुलाकर सांप निकालने का काम किया जा रहा है. कर्मचारियों के मुताबिक रिकॉर्ड रू म में शुक्रवार को कर्मचारी रोशन कुमार जब रिकॉर्ड रूम में दस्तावेज निकालने गया, तब उसके पैर के नीचे काले रंग के सांप ने फन मारा. वह चक्कर खाकर गिर गया. होश आने के काफी देर तक वह कांपता रहा. विभाग के मुताबिक लगातार मिल रहे केचुएं से सांप होने की उम्मीद जतायी जा रही है. डर से कमरे में कोई भी प्रवेश नहीं कर रहा है. दनियावां के सपेरे बिरजु को बुलाकर सांप को ढ़ूंढ़ने काम किया जा रहा है.
प्रतिदिन 200 आवेदन
घटना के बाद से कर्मचारी अब रिकॉर्ड रूम में जाना नहीं चाहते हैं. दस्तावेज निकासी का काम ठप है. निबंधन विभाग के मुताबिक प्रतिदिन दस्तावेज निकासी के 200 से अधिक आवेदन आते हैं. उनमें 50 से अधिक आवेदन पुराने दस्तावेजों के होते हैं. जो रिकॉर्ड रूम में रखे हैं. लेकिन पिछले एक माह से किसी भी तरह के रिकॉर्ड रूम में रखे दस्तावेजों को नहीं निकालने का काम किया जा रहा है.
250 से अधिक पेंडिंग
जिला निबंधन में पिछले एक माह से 250 से अधिक आवेदन पेंडिंग पड़े हैं, जिसे सात दिनों के अंदर निबटाने का निर्देश है. लेकिन रिकॉर्ड रूम में प्रवेश नहीं होने से आवेदकों को 15 से 20 के दिन के बाद बुलाया जा रहा है.
रिकॉर्ड रूम में है अंधेरा
रिकॉर्ड रूम में अंधेरा है. वहां के बिजली कनेक्शन इस लिये काट दिये गये है, ताकि किसी तरह का शॉट सर्किट न हो सके. दस्तावेज निकालने के लिए टॉर्च का सहारा लेना पड़ता है. ससे अंधेरे कमरे में कोई प्रवेश नहीं कर पाता.
155 सालों के कीमती दस्तावेज
करोड़ों रुपये के राजस्व वसूलने वाले निबंधन विभाग के कार्यालयों का बुरा हॉल है. यहां के कीमती दस्तावेज खराब हो रहे हैं. गठ्ठर में पड़े लगभग 155 सालों के कीमती दस्तावेज खराब हो रहे हैं. विभाग के जर्जर भवन में इनको रखने की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने से जमीन-जायदाद के कीमती दस्तावेज यों हीं खराब हो रहे हैं.
कंप्यूटरीकृत हैं 2005 तक के दस्तावेज
1996 से लेकर 2005 तक के दस्तावेजों की स्कैनिंग हो रही है. दिल्ली की सीबीएसएल एजेंसी (कैपिटल बिजनेस स्टाइल लिमिटेड ) वर्ष 2010 से स्कैनिंग कर डाटा इंट्री करने का काम रही है. इन्हें अगले साल तक ऑनलाइन देख सकेंगे.
ऑनलाइन हैं 2005 से अबतक के दस्तावेज
टास्क वन व टास्क -टू के तहत दस्तावेजों को संरक्षित किया जा रहा है. टास्क वन में 1996 से 2005 तक के दस्तावेजों की सूची है. टास्क- टू में 2005 से अबतक के दस्तावेज हैं, जो ऑनलाइन है.