पटना: तेलांगना राज्य के मसले पर वाइएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता वाइएस जगन मोहन रेड्डी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की. मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने तेलांगना राज्य के बनने की प्रक्रिया को अनुचित बताया. शुक्रवार को एक अणो मार्ग में देर शाम दोनों नेताओं ने घंटे भर बातचीत की. सीएम ने स्पष्ट कहा कि पुराने राज्यों के विभाजन का मामला अलग है. यह स्थापित परंपरा है कि किसी राज्य को विभाजित करने से पहले विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराना जरूरी है. आंध्रप्रदेश के मामले में ऐसा नहीं हुआ. राष्ट्रीय अध्यक्ष से बातचीत कर जदयू इस मुद्दे पर ठोस निर्णय लेगा.
गंठजोड़ पर बात से इनकार : हालांकि, दोनों नेताओं ने राजनीतिक गंठजोड़ को लेकर किसी तरह की बातचीत से साफ इनकार किया. तीसरा मोरचे या लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में बननेवाली सरकार में अपनी भूमिका को लेकर दोनों नेताओं ने टिप्पणी देने से इनकार कर दिया. सीएम ने कहा कि जगन मोहन रेड्डी से बातचीत केवल संविधान के अनुच्छेद तीन के मसले पर हुई है, जो राज्य के पुनर्गठन से संबंधित है. इन्होंने अपनी बातें रखी हैं. यह सही है कि अन्य मामलों की तरह राज्य पुनर्गठन के मामले में दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता नहीं होती है.
राज्य पुनर्गठन का प्रस्ताव साधारण बहुमत से ही पारित हो जाता है. बिहार भी विभाजित हुआ है, लेकिन विधानसभा से प्रस्ताव पारित हुए थे. कौन राज्य का बंटवारा होगा, यह अलग विषय है. बगैर विधानसभा की सहमति से पुनर्गठन का मामला अनुचित है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार या लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में बनने वाली सरकार में नीतीश की भूमिका पर रेड्डी ने कहा कि राजनीतिक मसले पर बातचीत नहीं हुई है. अनुच्छेद तीन पर ही बातचीत हुई है. मौके पर जदयू सांसद अली अनवर, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, आरसीपी सिंह सहित अन्य नेता मौजूद थे.
खतरनाक प्रवृत्ति
रेड्डी ने कहा कि क्या दिल्ली में 272 सांसदों का समर्थन प्राप्त करने के बाद किसी भी राज्य को विभाजित कर दिया जायेगा. सभी राज्यों में जाकर राजनीतिक दलों से संपर्क कर रहा हूं. बिहार आने का मकसद यही है कि इस मसले पर बताया जाये कि कैसे विधानसभा को दरकिनार कर राज्य का बंटवारा किया जा रहा है. यह खतरनाक प्रवृत्ति है.