पटना: भूल जाइए कि जितने यूनिट बिजली की खपत करेंगे, उसी के अनुसार बिल देना होगा. अगर बिजली कंपनी के प्रस्ताव पर बिहार विद्युत विनियामक आयोग की हरी झंडी मिल गयी, तो अगले साल से चाहे जितनी भी बिजली खपत करें, एक रेट के अनुसार ही बिल का भुगतान करना होगा. एक अप्रैल, 2014 से प्रभावी होनेवाली इस प्रस्तावित दर में बिजली कंपनी ने यूनिट का स्लैब हटा दिया है.
गांव हो या शहर, यूनिट के बजाय सभी के लिए एकसमान बिजली बिल वसूलने का प्रस्ताव दिया है. अगर ऐसा हुआ, तो बिजली उपभोक्ताओं को वर्तमान से दो से चार गुना अधिक बिल देना पड़ सकता है. बिजली कंपनी ने अपने प्रस्ताव में ग्रामीण इलाके के लिए 3.50 रुपये प्रति यूनिट, तो शहरी क्षेत्र के लिए 6.50 रुपये प्रति यूनिट शुल्क वसूलने का प्रस्ताव दिया है. औद्योगिक कनेक्शन में प्रति यूनिट 7.75 रुपये यूनिट का प्रस्ताव दिया है.
कंपनी के प्रस्ताव पर मुहर लगी, तो किसानों के लिए भी यह आर्थिक रूप से बोझ साबित हो सकता है. किसानों को जहां अभी मासिक 120 रुपये प्रति एचपी देना पड़ता है, उसे 265 रुपये करने का प्रस्ताव है. कुटीर ज्योति में 75 यूनिट तक 55 रुपये वसूलनेवाली कंपनी ने 200 रुपये तक का प्रस्ताव दिया है. शहरी क्षेत्र में 195 रुपये से 300 रुपये का प्रस्ताव है. स्लैब समाप्त कर एकसमान बिजली बिल वसूली के पीछे कंपनी का तर्क है कि उसके द्वारा खरीदी जानेवाली बिजली की रेट एकसमान होती है. कोई 10 यूनिट खपत करे या 100 या एक हजार यूनिट, बिजली कंपनी को एकसमान ही रेट का भुगतान करना पड़ता है. इसलिए यूनिट के बजाय बिजली बिल वसूली की रेट एक समान ही हो.
58.4%टैरिफ वृद्धि
सभी क्षेत्रों को मिला कर बिजली कंपनी ने औसतन 58.4 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि का प्रस्ताव दिया है. नॉर्थ व साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने 50 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि का प्रस्ताव दिया है. गैर घरेलू कनेक्शन के लिए भी 50 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया है. सिंचाई व कृषि सेवा के लिए भी ग्रामीण इलाके में 50 प्रतिशत व शहरी क्षेत्र के लिए 43 प्रतिशत निर्धारण किया गया है. कंपनी ने कहा है कि बिजली खरीद की मूल्य में वृद्धि के कारण ही टैरिफ वृद्धि का प्रस्ताव देना पड़ा है. विगत वर्ष बिजली कंपनी ने एनटीपीसी को 200 करोड़ रुपये अतिरिक्त भुगतान किया है. दोनों वितरण कंपनियों ने सितंबर 2013 में 633.98 करोड़ खर्च किया. आय मात्र 360.64 करोड़ ही हो सकी है. कंपनी को 274.34 करोड़ का नुकसान हुआ जिसका असर बिजली खरीद पर हो रहा है. वर्तमान व्यवस्था में राज्य सरकार के अनुदान पर ही बिजली कंपनी निर्भर है.