पटना: सोन नदी के पानी का बंटवारा शीघ्र करने के लिए सोन अंचल विकास समिति के संयोजक सह भाजपा के पूर्व विधायक सरयू राय ने सुप्रीम कोर्ट में वकालतनामा दाखिल किया. बिहार-झारखंड की ओर से दायर इस मुकदमे की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में अमरेंद्र शरण करेंगे. सुप्रीम कोर्ट में भाजपा नेता भी अपनी ओर से इस मुद्दे पर पक्ष रखेंगे.
इससे पहले वे पटना हाइकोर्ट में इस मसले पर अपना पक्ष रख चुके हैं. सोन नहर से बिहार के सात जिले बक्सर, भोजपुर, रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद, जहानाबाद और पटना के करीब 22.50 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई होती है. 1973 में हुए वाणसागर समझौते के अनुसार बिहार के हिस्से का आधा से अधिक पानी यूपी के रिहंद जलाशय से मिलता है. यूपी व एमपी की सीमा पर सिंगरौली में 35 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली घर पर काम चल रहा है. 15 हजार मेगावाट क्षमता का बिजली घर बन चुका है.
इस कारण रिहंद से बिहार को समुचित पानी नहीं मिल पा रहा है. बिजली घर के पूरा होने पर बिहार को एक बूंद भी पानी नहीं मिल सकेगा. भाजपा नेता ने 1993 में ही पटना हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया था. उस समय यह मामला बिहार, यूपी व एमपी के बीच का था. राज्यों के विभाजन होने पर अब इसमें झारखंड और छत्तीसगढ़ भी शामिल हो गया है. सितंबर 2011 में पटना हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार को एक ट्रिब्यूनल गठित करने का निर्देश दिया था. डेढ़ साल तक ट्रिब्यूनल गठित नहीं होने पर 2012 में केंद्र के खिलाफ अवमाननावाद का मुकदमा दायर हुआ. इस पर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी और भाजपा नेता सहित सभी किसानों को ही प्रतिवादी बना दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने पांच दिसंबर को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा था. इस कारण ही सुप्रीम कोर्ट में वकालतनामा दाखिल किया गया है. भाजपा नेता ने कहा कि झारखंड को भी सोन की सहायक नदी कनहर से पानी नहीं मिल पा रहा है. कोयल पर बना मंडल गेट का काम अधूरा है. पलामू की ओरंगा, अमानत, तहले पर बनने वाली योजनाएं जस की तस है. सोन जल विवाद निबटाने के लिए इस मामले का समाधान ट्रिब्यूनल ही कर सकता है.