पटना /औरंगाबाद : औरंगाबाद जिले में नक्सलियों ने मंगलवार की शाम साढ़े चार बजे लैंड माइंस विस्फोट कर टंडवा थाने की जीप उड़ा दी, जिसमें थानाध्यक्ष अजय कुमार समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये. नक्सलियों ने शहीद जवानों के हथियार भी लूट लिये. घटना टंडवा-नवीनगर मुख्य पथ पर टेल्हापुर गांव के पास हुई. पांच महीने के अंदर औरंगाबाद में यह तीसरा बड़ा नक्सली हमला है. नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) ने हमले की जिम्मेवारी ली है. यह जानकारी संगठन की मगध जोनल कमेटी के प्रवक्ता मानस के हवाले से दी गयी है.
नवीनगर में पुलिस इंस्पेक्टर सर्किल की क्राइम मीटिंग बुलायी गयी थी. मीटिंग के बाद थानाध्यक्ष अजय कुमार अपनी टीम के साथ जीप से टंडवा थाना लौट रहे थे. नवीनगर से करीब एक किलोमीटर दक्षिण जीप के उत्तर कोयल नहर पार करते ही पुलिया के नीचे नक्सलियों ने लैंड माइंस विस्फोट करा दिया. विस्फोट इतना जबरदस्त था कि जीप जमीन से 30 से 40 फुट ऊपर उठ कर फिर नीचे गिरी. उसके परखचे उड़ गये और इसमें सवार थानाध्यक्ष सहित आठों पुलिसकर्मियों के शव टुकड़े-टुकड़े में 100 से 150 फुट दूर तक बिखर गये. किसी के पांव, तो किसी के हाथ व किसी का सिर दूर-दूर तक बिखरा रहा. घटना के बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गयी. मीडिया के लोग मौके पर पहुंचे, तो आसपास गांव के लोगों की भीड़ जुट गयी.
सीआरपीएफ ने घेरा
सबसे पहले नवीनगर से सीआरपीएफ पहुंची और पूरे घटनास्थल की घेराबंदी कर ली. डेढ़ घंटे बाद एसपी उपेंद्र कुमार शर्मा, एसडीपीओ अजय नारायण यादव मौके पर पहुंचे. बड़ी संख्या में औरंगाबाद से पुलिस भी पहुंची और बिखरे पड़े शवों को एक जगह एकत्र किया. इस कार्य में अंधेरा हो जाने के कारण पुलिस को काफी परेशानी भी हुई. लगभग दो घंटे तक प्रयास करने के बाद शवों को एकत्रित किया गया.
पहले से थी सूचना
नक्सलियों को उस राह से पुलिस के गुजरने की सूचना पहले से थी. घात लगाये नक्सलियों ने लैंड माइंस विस्फोट के बाद अंधाधुंध फायरिंग भी की. जब नक्सली आश्वस्त हो गये कि अब कोई पुलिसकर्मी जिंदा नहीं है, तो वे बाहर निकले और पुलिस जीप के पास बिखरे कुछ कारतूस व क्षतिग्रस्त हथियार लूट लिये. घटना को अंजाम देकर नक्सली बड़े आराम से जंगल की ओर निकल गये.
गया में थे डीजीपी
घटना के वक्त डीजीपी अभयानंद गया शहर स्थित सर्किट हाउस में मगध रेंज के डीआइजी बच्चू सिंह मीणा, गया के एसएसपी निशांत कुमार तिवारी व एएसपी अशोक कुमार सिंह के साथ नक्सल सहित कई बिंदुओं पर मंत्रणा कर रहे थे. घटना की जानकारी पाते ही डीजीपी ने तुरंत औरंगाबाद के एसपी उपेंद्र कुमार शर्मा से बात की और घटनास्थल के चारों ओर कांबिंग ऑपरेशन शुरू करने का निर्देश दिया.
डीजीपी ने एडीजी सुरेश कुमार भारद्वाज, आइजी (ऑपरेशन) अमित कुमार, जोनल आइजी सुशील मानसिंह खोपड़े सहित अन्य वरीय पुलिस अधिकारियों को घटनास्थल के लिए रवाना होने का निर्देश दिया. उधर, औरंगाबाद से जुड़ी गया जिले की सीमा को आमस, बांकेबाजार, डुमरिया, इमामगंज, छकरबंदा व लुटुआ कैंप की पुलिस ने सीमाएं सील कर दी हैं.
शहीद पुलिसकर्मी
1. अजय कुमार, थानाध्यक्ष, टंडवा, गया के चंदौती थाने की डीवीसी कॉलोनी
2. जीपचालक, सुरेंद्र यादव, देव औरंगाबाद.
3. अशोक मेहता, पूर्णिया, सैप जवान.
4. मधुकांत झा, सहरसा, सैप जवान.
5. शिवजी राय, छपरा, सैप जवान.
6. अजय सिंह, पालीगंज, सैप जवान.
7. हरिनारायण सिंह, छपरा, सैप जवान.
8. संजय कुशवाहा, बीएमपी का जवान
मुख्यमंत्री ने की बैठक
नक्सली हमले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रधान सचिव व डीजीपी सहित वरीय अधिकारियों के साथ बैठक की और विस्फोट के बाद हालात की जानकारी ली. सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने वरीय पुलिस अधिकारियों को बुधवार की सुबह 10 बजे लगातार हो रहे नक्सली हमलों के कारणों को लेकर मंथन व समुचित कार्रवाई को लेकर बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है.
नयी सरेंडर नीति मंजूर
उग्रवादियों के ओहदे के अनुसार मिलेगी राशि
कैबिनेट ने मंगलवार को उग्रवादियों के सरेंडर की नयी नीति को मंजूरी दी. इसके तहत पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करनेवाले उग्रवादी संगठनों के कैडरों को ओहदे के अनुरूप पुनर्वास पैकेज की राशि मिलेगी. सौंपे जानेवाले हथियार के लिए भी अलग-अलग दर निर्धारित किये गये हैं. कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्र ने बताया कि नयी सरेंडर नीति में यह प्रावधान किया गया है कि जो उग्रवादी सरेंडर करेंगे, उनके पुनर्वास की राशि को बैंक में फिक्सड कर दिया जायेगा. उस राशि की निकासी तीन वर्षो के बाद ही हो सकेगी. उग्रवादी संगठन की राज्य समिति, क्षेत्रीय कमेटी व पोलित ब्यूरो के सदस्य को आत्मसमर्पण के बाद ढाई लाख रुपये दिया जायेंगे. संगठन में जिनका ओहदा मध्यम व निम्न स्तर का होगा, उन्हें डेढ़ लाख रुपये दिये जायेंगे. पूर्व में 10 हजार रुपये देने का प्रावधान था. इसके अलाव उन्हें प्रतिमाह तीन हजार रुपये की दर से दिया जाता था. उग्रवादियों के समर्पण की नीति पहली बार 23 नवंबर, 2011 को लागू की गयी थी.
योजना बना कर दिया घटना को अंजाम
नक्सलियों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से लैंड माइंस विस्फोट की घटना को अंजाम दिया गया. घटनास्थल पर 500 मीटर तक तार बिछा हुआ मिला. तार को बिछाने में नक्सलियों ने खेत की मिट्टी खोदी है. साथ ही खेत की आरी को काटा है. उसके नीचे-नीचे तार लेकर जाकर लैंड माइंस विस्फोट करने की व्यवस्था पहले से ही कर ली थी.
माओवादियों ने ली घटना की जिम्मेवारी
प्रतिबंधित भाकपा माओवादी ने मंगलवार की शाम औरंगाबाद के गोह के पास की घटना की जिम्मेवारी ली है. संगठन की बिहार-झारखंड-उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्ता गोपाल ने फोन पर कहा कि गोह में कार्रवाई सरकार द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन ग्रीन हंट-2 के खिलाफ की गयी है. इसमें संगठन को भारी सफलता मिली है. संगठन ने 12 एसएलआर, तीन एके-47 व 15 इंसास सहित कुल 30 आगAेयास्त्र व करीब तीन हजार कारतूस जब्त किये हैं. प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी पार्टी पीएलजीए व क्रांतिकारी जनता प्रशंसा की पात्र है.
उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के दिशा-निर्देश पर सीएम नीतीश कुमार ने गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, रोहतास, भभुआ, मुंगेर, जमुई, भागलपुर, समस्तीपुर, मोतिहारी, मुजफ्फपुर व पश्चिम चंपारण आदि जिलों में अर्धसैनिक बलों का बेस कैंप व सहायक थाने स्थापित कराये हैं. यह जनता के खिलाफ अघोषित ग्रीन हंट के तहत कार्रवाई है. इसके खिलाफ संगठन प्रतिघात्मक संघर्ष जारी रखेगा. उन्होंने बताया कि संगठन ने कार्रवाई के दौरान सैप के जवानों व प्राइवेट सुरक्षा गार्डस के मारे जाने पर खेद प्रकट किया है. लेकिन, जो भी हुआ संघर्ष में हुआ है. जान-बूझ कर नहीं किया गया. हमारा उद्देश्य पुलिसकर्मी को मारने का नहीं है, बल्कि उनका हथियार जब्त कर जनता को हथियार सप्लाइ करने का है.
पिसाय जैसी घटना की हुई पुनरावृत्ति
17 अक्तूबर को ओबरा थाना क्षेत्र के पिसाय गांव के समीप हुए लैंड माइंस विस्फोट की घटना से नवीनगर लैंड माइंस विस्फोट की घटना काफी हद तक मेल खा रही है. पिसाय में भी शक्तिशाली लैंड माइंस लगा कर नक्सलियों ने एक टाटा सफारी वाहन को उड़ा दिया था. उस घटना में तब सात लोगों मौत हुई थी. ठीक उसी पैटर्न पर मंगलवार की शाम साढ़े चार बजे नक्सलियों ने लैंड माइंस से विस्फोट किया. इस घटना में भी गाड़ी के परखचे उड़े गये. शवों की हालत भी पिसाय जैसी ही दिखी. दोनों घटनाएं अचूक रहीं. दोनों ही घटनाओं में निशाने पर आये लोगों को अगली सांस लेने का भी मौका नहीं मिला.
मंगलवार की शाम नवीनगर-टंडवा पथ पर टेल्हापुर के समीप लैंड माइंस विस्फोट के बाद आसपास के गांवों में सन्नाटा पसर गया. हालांकि, ग्रामीण घटनास्थल पर आ जा रहे थे. लोग विस्फोट में मारे गये सैप के जवानों व थानाध्यक्ष के शव को पहचानने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन, किसी की जुबान से एक शब्द सुनने को नहीं मिल रहा था. खेतों में शव दूर-दूर तक बिखरे पड़े थे. लाशें इस तरह क्षत-विक्षत हो गयी थीं कि किसी का चेहरा पहचानना मुश्किल प्रतीत हो रहा था. वैसे, इससे पहले भी इस क्षेत्र में कई नक्सली घटनाएं घट चुकी हैं.
लेकिन, इस बार हुई लैंड माइंस विस्फोट की इस बड़ी घटना ने एक बार फिर लोगों को दहशत में ला दिया है. हमलावर नक्सलियों ने एक बार फिर यह जताने की कोशिश की है कि उनकी ताकत में कहीं कोई कमी नहीं है.
दो माह में लूटे 40 अत्याधुनिक हथियार
नक्सलियों ने दो माह के अंदर पुलिस से 40 अत्याधुनिक हथियार लूट लिये हैं. इनमें औरंगाबाद में सैप जवानों से 30 हथियारों की लूट व हमला, जमालपुर में ट्रेन पर हमला व एके -47 सहित पांच हथियारों की लूट व अब नवीनगर में सात पुलिसकर्मियों की हत्या कर पांच अत्याधुनिक हथियारों की लूट की घटनाएं शामिल हैं. राज्य पुलिस मुख्यालय की लचर व्यवस्था व नक्सलियों से सीधी लड़ाई नहीं लड़ने, बल्कि उनकी संपत्ति इत्यादि की जब्ती को लेकर किये जा रहे उपायों से नक्सलियों की झुंझलाहट बढ़ गयी है. पुलिसकर्मियों पर हमले तेज करने के साथ ही पुलिस को मिल रहे अत्याधुनिक हथियारों को लूटना, इलाके में दशहत कायम करना उनका मूल उद्देश्य बन चुका है. हथियारों व विस्फोटों की बदौलत ही नक्सलियों द्वारा इलाके में एक बार फिर से अपनी पकड़ बनाने व दहशत फैलाने की कोशिश की जा रही है. इसके साथ ही दहशत फैलाने को लेकर धड़ल्ले से केन बमों का भी प्रयोग किया जा रहा है. औरंगाबाद के पिसाय गांव में सुरेंद्र पांडे की हत्या भी इसी की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई है.
नक्सली नेता विजय कुमार आर्य को विशाखापत्तनम जेल से बिहार स्थित गया जिले के न्यायालय में पेश करने में पुलिस के हाथ-पांव फूल रहे हैं. 28 अप्रैल, 2011 को कटिहार के बारसोई स्थित गणोश टोला से प्रमुख नक्सली नेताओं को हिरासत में लिया गया था. तब बिहार पुलिस ने इसे अपनी बड़ी सफलता बतायी थी. आंध्र प्रदेश पुलिस ने विजय आर्या को सीआर-नंबर 01/2008 मामले में कोर्ट में पेश करते हुए सेंट्रल जेल विशाखापत्तनम, थाना करीम नगर में ले जाकर जेल भेज दिया. आंध्र प्रदेश में दो मामले विजय आर्या के खिलाफ दर्ज हैं.