पटना: ट्रांसपोर्टर व जदयू नेता सत्येंद्र सिंह की हत्या के मामले में पटना के एडीजे-10 नंद कुमार श्रीवास्तव ने सोमवार को पूर्व सांसद विजय कृ ष्ण, उनके बेटे चाणक्य समेत चार आरोपितों को दोषी करार दिया. न्यायालय ने पूर्व मंत्री विजय कृष्ण और नौकर गगन कुमार का बांड खारिज करते हुए उन्हें जेल भेजने का निर्देश दिया. चाणक्य पहले से जेल में है. सजा के बिंदु पर चार दिसंबर को सुनवाई होगी. अदालत ने विजय कृष्ण, नौकर गगन कुमार व गार्ड उमेश प्रसाद सिंह को सत्येंद्र सिंह को हत्या, साक्ष्य छिपाने एवं षड्यंत्र कर जहां साजिश के तहत हत्या का दोषी पाया, वहीं राजद महासचिव विजय कृष्ण के पुत्र चाणक्य को आर्म्स एक्ट मामले में भी दोषी पाया.
अभियोजन के अनुसार सत्येंद्र सिंह को विजय कृष्ण ने 23 मई, 2009 की सुबह आठ बजे राधे सिंह के मोबाइल से फोन करके विधायक फ्लैट बुलाया. वहां से सांसद अपने बॉडीगार्ड के साथ बोरिंग रोड स्थित झूला अपार्टमेंट में सत्येंद्र सिंह को ले गये, जहां अपने बेटे चाणक्य, नौकर गगन और बॉडीगॉर्ड उमेश के सहयोग से उनकी हत्या कर लाश को गंगा में फेंक दिया. पुलिस ने 11 जून, 2009 को गंगा के किनारे दुली घाट से शव बरामद किया. शव की पहचान कपड़े से हुई थी. उक्त मामले में अभियोजन ने 24 गवाही करवायी और एक गवाह राधे सिंह गवाह के रूप में अदालत में प्रस्तुत हुए.
साढ़े चार साल बाद फैसला
एसके पुरी थाने में सत्येंद्र सिंह के भाई गिरीश प्रसाद सिंह ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया. बाद में हत्या का मामला जोड़ा गया.
पुलिस ने आरोपित गगन कुमार एवं बॉडीगार्ड उमेश प्रसाद सिंह को गिरफ्तार किया.
तीन आरोपपत्र हुए थे दाखिल
28 अगस्त, 2009 : पहला आरोपपत्र
17 नवंबर, 2009 : दूसरा आरोपपत्र (विजय कृष्ण की 21 अगस्त,2009 को गिरफ्तारी के बाद)
10 अप्रैल 2010 : तीसरा आरोपपत्र (25 जनवरी, 2010 को चाणक्य की गिरफ्तारी के बाद)
सबको मिले फांसी : लक्ष्मी
स्व सत्येंद्र सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि सभी अभियुक्तों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए, ताकि मेरे पति की आत्मा को शांति मिल सके. वहीं, मामले के अभियोजक जयप्रकाश सिंह ने बताया कि कोर्ट से अपील करेंगे कि अभियुक्त चाणक्य को फांसी की सजा दी जाये.