पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रिपोर्ट कार्ड जारी किये जाने के बाद मीडियाकर्मियों ने उनसे सवाल पूछे. मुख्यमंत्री ने उन सवालों के जवाब दिये. पत्रकारों के सवाल और सीएम के जवाब को हम प्रकाशित कर रहे हैं.
रिपोर्ट कार्ड के लिए क्या भाजपा को भी क्रेडिट देंगे? एक फोटो में सुशील मोदी का सिर्फ हाथ और कान दिखायी दे रहा. रिपोर्ट कार्ड का क्रेडिट भी क्या इसी तर्ज पर होगा?
रिपोर्ट कार्ड में जो कुछ भी तैयार हुआ है, सभी महकमों के फीडबैक के आधार पर हुआ है. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सीएम सचिवालय और उसके बाद मुख्य सचिव के देखने के बाद तैयार हुआ है. जहां तक क्रेडिट-डिसक्रेडिट की बात है, सरकार चलती है. कोई अगर अलग है, तो अपने काम से अलग है. बिहार की जरूरत और आवश्यकता को छोड़ बाहर के फैक्टर को उन लोगों ने अपने ऊपर हावी होने दिया. इससे ही वे परेशान हैं. ऐसे में हम उस परेशानी को शेयर नहीं कर सकते हैं.
आपके पास 18 विभागों का बोझ है. क्या राज्य के विकास पर कहीं से इससे असर पड़ा? इतने विभागों के रहते आप कम्फर्ट महसूस कर रहे हैं?
हम परेशान नहीं हैं. मेरे पास 18 विभागों की चर्चा सभी करते रहते हैं. लेकिन, दूसरी जगहों पर नजर नहीं डालते. दूसरे राज्यों पर देखेंगे, तो मेरे पास के विभाग कम पड़ जायेंगे. समय पर मंत्रिमंडल का भी विस्तार होगा और दूसरों को जिम्मेवारियां भी सौंपी जायेंगी. 18 विभाग होने के बावजूद एक क्षण के लिए काम बाधित नहीं हुआ. स्वास्थ्य पर अभी काम हो रहा है. बेतिया में मेडिकल कॉलेज खोलने को मंजूरी दिलायी. आइजीआइएमएस में मेडिकल कॉलेज खोलने का मामला तीन साल से लंबित था, उसे क्लियर करवाया. ये सभी हाल ही में हुए हैं. इसकी तारीख पीछे तो नहीं कर सकते हैं. सुलतानगंज में गंगा नदी पर, सोन नदी पर, गंडक नदी पर पुल बनाने के लिए 15 अगस्त को घोषणा की गयी. इसकी तिथि भी पहले नहीं की जा सकती है. कही भी काम बाधित नहीं हुआ है. कुछ लोग भ्रम का बादल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सच के आगे भ्रम का बादल नहीं टिकता है. सच सूरज के समान चमकता है. जब तक बिहार की जनता कम्फर्ट नहीं होगी, मैं कम्फर्ट नहीं रहूंगा.
पिछले साल रिपोर्ट कार्ड जारी करते समय गुणवत्ता की बात हुई थी. कृषि रोड मैप पर क्या हो रहा है?
सभी पर काम चल रहा है. कृषि रोड मैप की भी बैठक चल रही है.
आपने कहा था कि हर घटना के लिए जिम्मेवारी तय की जायेगी. बोधगया के बाद पटना में ब्लास्ट हुआ. किसी पर जिम्मेवारी नहीं तय की गयी? पिछले कार्यकाल का यूएसपी क्या ज्यादा बेहतर था ?
आतंकवादी घटना की जितनी भी निंदा की जाये, कम है. ब्लास्ट के बाद जो सुराग मिला, वह जांच में बड़ा काम कर रहा है. बिहार पुलिस ने पटना जंकशन पर विस्फोट के बाद एक आतंकी को गिरफ्तार कर लिया. जांच के लिए बिहार पुलिस ने बड़ा काम कर दिया. इतनी जल्दी किसी भी ब्लास्ट का समाधान या साक्ष्य नहीं मिले. इस गिरफ्तारी से तो बोधगया ब्लास्ट का भी खुलासा हो गया. मजबूती से काम हो रहा है. बिहार पुलिस पर भी भरोसा करें. जो परिस्थिति है, उससे निबटने के लिए धैर्य की आवश्यकता है. शॉर्टकट से समाधान नहीं हो सकता है.
ऐसा नहीं है कि लोग शाम को ही घर लौट जा रहे हैं, किसान जो खेत में पंप ले जाता था, ऐसा नहीं कि शाम होते ही उसे खोल कर घर ले आ रहा है. सेंस ऑफ सिक्यूरिटी है. गाहे-बगाहे घटनाएं होती रहती हैं. घटनाएं होंगी, तो कार्रवाई की जायेगी. पटना स्टेशन पर छात्राओं को हुई परेशानी की घटना की सूचना एक मीडियाकर्मी ने दी. धनबाद जानेवाली ट्रेन में लड़कियों की सीट पर लड़कों ने कब्जा कर लिया था और उन्हें ट्रेन में चढ़ने भी नहीं दिया. ऐसे में मैंने तुरंत एडीजी रेल को जिम्मेवारी तय करने करने को कहा है. अगर प्रतियोगी परीक्षा हो रही है, तो रेलवे कुछ खास इंतजाम करे, ताकि जिनका टिकट है उनको कोई परेशानी नहीं हो. त्वरित कार्रवाई करनी पड़ेगी. आतंकवाद पर राजनीति हो रही है. क्या आतंकवाद से मुकाबला ऐसे ही होगा. बार-बार पटना ब्लास्ट का नाम लिया जा रहा है. इस ब्लास्ट ने तो बोधगया ब्लास्ट का खुलासा किया. अहमदाबाद में 2008 में धमाके हुए थे. उसमें क्या हुआ और जांच में क्या प्रगति हुई है, लोग ये तो बताएं.
पिछले साल की आपकी व्यक्तिगत और सरकार की उपलब्धि क्या-क्या रही? साथ ही आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?
हमारी कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं रही, जो कुछ भी है बिहार सरकार की उपलब्धि है. मुङो व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं है. कई उपलब्धियां हुई हैं, लेकिन मेरे मन को सुकून साइकिल योजना से मिली है. जब गांवों में लड़कियां साइकिल चला कर स्कूल जाती हैं, तो देख कर मन आनंदित हो जाता है. इससे समाज में बदलाव हो रहा है. सामाजिक परिवर्तन हो रहा है. जहां तक चुनौतियों का सवाल है, उससे निबटने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और हम तैयार हैं. जो हम कहते हैं उस पर अमल करते हैं.
लोकसभा चुनाव में भाजपा भी दावा करेगी कि जब तक वह सरकार में रही बिहार का विकास हुआ, जब हटी तो विकास रुक गया?
भारतीय जनता पार्टी को करना तो कुछ नहीं है, सिर्फ दावा ही करना है.
विशेष राज्य के दर्जा के लिए आगे की रणनीति क्या है ?
विशेष राज्य के दज्रे के लिए लड़ाई जारी है. रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट के बाद बिहार को विशेष राज्य के दर्जा मिलने की गुंजाइश बनती है. अब देखना है कि केंद्र सरकार का इसमें क्या रुख रहता है. केंद्र इस रिपोर्ट पर अमल करती है या नहीं. अगर केंद्र विशेष राज्य का दर्जा नहीं देती है तो लड़ाई जारी रहेगी.
नरेंद्र मोदी का बिहार में लगातार कैंपेन होना है. ऐसे में सांप्रदायिक सद्भाव न बिगड़े, इसको लेकर क्या कर रहे हैं?
बिहार की जनता सजग और सतर्क हैं. हम सब लोग सतर्क हैं. अगर किसी प्रकार की घटना होती है, तो उससे निबटने के लिए समाज तैयार है. साथ ही जो सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसपर सख्त कार्रवाई की जायेगी.
पहले और दूसरे सरकार कार्यकाल में बेहतर किसे मानते हैं?
पिछले साल सुशील मोदी आपकी बगल में बैठे थे. राजनीति में ऐसा नहीं सोचा जाता है कि कौन बगल में है. दो कार्यकाल के माहौल पर प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं है. सरकार निरंतरता में है. हम हर दिन काम कर रहे हैं और बिहार को विकास की ओर ले जा रहे हैं.