– जनवरी से लागू करना मुश्किल
– लगभग साढ़े आठ करोड़ लोग आयेंगे दायरे में
– लाभुकों की नहीं हो सकी पहचान
– गोदाम की भी कमी
पटना : राज्य में खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में कई अड़चनें हैं. पीडीएस सिस्टम में कई खामियां हैं. आवश्यकता से कम गोदाम हैं. आर्थिक, सामाजिक और जातीय जनगणना के रिपोर्ट पर ही लाभुकों की पहचान हो सकेगी.
विभिन्न स्तरों पर खामियों के कारण जनवरी में खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने की संभावना कम दिख रही है. खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार राज्य में लगभग साढ़े आठ करोड़ से अधिक लोग खाद्य सुरक्षा के दायरे में होंगे. ग्रामीण विकास विभाग की आर्थिक व सामाजिक गणना रिपोर्ट पर तय होगा कि खाद्य सुरक्षा के दायरे में कौन आयेंगे.
खाद्य आयोग गठन का प्रस्ताव : खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने राज्य में खाद्य आयोग के गठन का प्रस्ताव तैयार किया है. आयोग में अध्यक्ष सहित छह सदस्य होंगे, जबकि एक पदेन सचिव होगा. लोगों को सस्ती दर पर अनाज मुहैया करवाने में आयोग मदद करेगा. लक्ष्य है कि सभी पैक्स को पीडीएस की जिम्मेदारी दी जानी है. साथ ही बेहतर काम करने वाले स्वयं सहायता समूहों को भी पीडीएस की जिम्मेदारी मिलेगी. पैक्स में गोदाम व गैसीफायर के लिए राशि का प्रावधान है.
दो रुपये किलो गेहूं व तीन रुपये किलो चावल : 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की आबादी 10 करोड़ 38 लाख है. राज्य में एपीएल और बीपीएल सहित लगभग ढ़ाई करोड़ परिवार है. ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 7.86 करोड़,जबकि शहरी क्षेत्रों में 86 लाख लोग इस दायरे में होंगे.
खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वाले एपीएल व बीपीएल परिवारों को प्रतिमाह 25 किलो अनाज प्रतिमाह मिलेगा. तीन रुपये की दर से 15 किलो चावल व दो रुपये की दर से 10 किलो गेहूं व मोटा अनाज एक रुपये किलो मिलेगा.