रांची: चारा घोटाले (आरसी-24 ए/96, आरसी-32 ए/96, आरसी-22 ए/96 व आरसी-25 ए/96) में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी के खिलाफ सीबीआइ को कोई साक्ष्य नहीं मिला है. साक्ष्य नहीं मिलने के कारण सीबीआइ ने मामले में इन्हें आरोपी नहीं बनाया. क्रिमिनल रिट याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सीबीआइ के डीएसपी अजय कुमार झा की ओर से अधिवक्ता मो मोख्तार खान ने हाइकोर्ट के जस्टिस आरआर प्रसाद की अदालत में इससे संबंधित शपथ पत्र दायर किया है.
क्या है सीबीआइ के शपथ पत्र में : सीबीआइ के शपथ पत्र में कहा गया है कि चारा घोटाले के अनुसंधान के दौरान नीतीश कुमार व शिवानंद तिवारी की ओर से पैसे लिये जाने की बात सामने आयी थी. एसबी सिन्हा, आरके दास व विजय मल्लिक ने अपने बयान में पैसे देने की बात स्वीकार की थी. पर ट्रायल के दौरान कोर्ट में वे अपने पूर्व के बयान से पलट गये. बयानों के बीच तालमेल नहीं रहने व पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने के कारण दोनों के खिलाफ जांच नहीं की गयी. उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया. अब जब ट्रायल पूरा हो गया, तो याचिकाकर्ता की ओर से नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी के खिलाफ जांच की मांग की जा रही है.
क्या कहा प्रार्थी ने
हाइकोर्ट में प्रार्थी की ओर से कहा गया कि जब अनुसंधान के दौरान ही पैसे लेने की बात सामने आ गयी थी, तो इसकी जांच क्यों नहीं की गयी. दोनों को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया. सीबीआइ ने जानबूझ कर नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी व ललन सिंह के खिलाफ जांच नहीं की है.
किसने दायर की है याचिका
प्रार्थी मिथिलेश कुमार सिंह ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की है. उन्होंने चारा घोटाले में नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी व ललन सिंह के खिलाफ सीबीआइ जांच का आग्रह किया है. प्रार्थी का कहना है कि स्वर्गीय एसबी सिन्हा ने अपने 25 मई 1996 को दिये बयान में स्वीकार किया था कि नीतीश कुमार को एक करोड़ व शिवानंद तिवारी को 35-40 लाख रुपये विजय मल्लिक व उमेश प्रसाद सिंह के माध्यम से दिये गये थे. आरके दास ने सीआरपीसी की धारा-164 के तहत दिये गये बयान में कहा था कि एयर टिकट के लिए एक लाख रुपये नीतीश कुमार को दिये गये थे.