पटना: बिहार-पश्चिम बंगाल बॉर्डर पर घूसखोरी के कारण आलू के दाम आसमान छू रहे हैं. बंगाल ने अपने यहां से आलू को बिहार भेजने पर मनाही कर रखी है. इसका सीधा असर आम लोगों की रसोई पर पड़ रह है. आलू व्यापारी बिहार-बंगाल सीमा पर रिश्वत देने की बात कह रहे हैं.
आलू लेकर गुजरनेवाले प्रत्येक ट्रकों को दोनों राज्यों के बॉर्डर पर दो से सात हजार रुपये तक घूस देनी पड़ रही है. बंगाल के 10 चक्कोंवाले ट्रकों से जहां 1250 और ओवरलोडिंग के लिए अलग से रुपये लिये जा रहे हैं, वहीं दूसरे राज्यों के लिए 1600 और अतिरिक्त पैसे लिये जा रहे हैं.
बंगाल से बिहार से लिए करीब सौ ट्रक आलू हर दिन आते हैं, लेकिन पाबंदी और घूसखोरी के कारण इसमें कुछ कमी हुई है. बिहार आलू-ओनियन मर्चेंट एसोसिएशन के महामंत्री राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि बंगाल में 550 रुपये क्विंटल आलू मिल रहा है, जबकि दूसरे राज्यों के लिए इसे 700-800 रुपये रखा गया था. आलू की कीमत के अलावा बॉर्डर पर मनमाने तरीके से सात हजार रुपये प्रति ट्रक तक घूस भी लिये जा रहे हैं. जिसके कारण आलू बिहार आते-आते दोगुने दाम में बिक रहा है.
बंगाल ने क्यों लगायी है रोक
पश्चिम बंगाल सरकार ने बिहार-झारखंड में आलू निर्यात पर रोक लगा दी है. इसके कारण बंगाल से आलू की खेप सीधे नहीं बॉर्डर पर घूस देने के बाद पहुंच रही है. पश्चिम बंगाल में भी फैलिन के असर की वजह से आलू की फसल बरबाद हुई है. आलू का स्टॉक पर्याप्त मात्र में रहे इसकी वजह से सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी. इससे बंगाल के लोगों को सस्ते दर पर आलू भी मिल पा रहा है और फसल खराब होने के बाद भी उनके पास आलू का स्टॉक भी है. वहीं, बंगाल से आलू निर्यात पर रोक को लोग लोकसभा चुनाव से भी जोड़ कर देख रहे हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आलू के दाम कम रख कर वोट बैंक को मजबूत करना चाह रही हैं.