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पहले अंडा बेचते थे, अब सफारी पर चलते हैं

पटना: कुछ साल पहले तक अंडा बेचते थे, अब हैं सफारी और बोलेरो. गिनती के कुछ सालों में जिनकी तकदीर बदली है, उनमें शुमार हैं श्रवण कुमार. नवादा जिले के कादिरगंज पंचायत के मुखिया रह चुके हैं. दो टर्म से उनकी पत्नी मुखिया बन रही हैं. राज्य में ऐसे श्रवण कुमार की तादाद हजारों में […]

पटना: कुछ साल पहले तक अंडा बेचते थे, अब हैं सफारी और बोलेरो. गिनती के कुछ सालों में जिनकी तकदीर बदली है, उनमें शुमार हैं श्रवण कुमार. नवादा जिले के कादिरगंज पंचायत के मुखिया रह चुके हैं. दो टर्म से उनकी पत्नी मुखिया बन रही हैं. राज्य में ऐसे श्रवण कुमार की तादाद हजारों में पहुंच गयी है.

स्थानीय लोगों की मानें, तो 15 साल पहले तक श्रवण की हैसियत मामूली थी. वह कादिरगंज बाजार में गुमटी में अंडे की छोटी-सी दुकान चलाते थे. फिर एक वीडियो हॉल में कर्मचारी बन गये. वहां भी उनकी तकदीर ने साथ नहीं दिया. फिर कौआकोल में किराये के भवन में वीडियो हॉल खोल दिया. लेकिन, वह भी उनकी तरक्की का माध्यम नही बन सका. तब झारखंड की सीमा पर बैरियर पर वसूली कर्मचारी बने. इस दौरान भी श्रवण की हालत जस की तस बनी रही.

इसी बीच 2001 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कुछ माह पहले आंती पंचायत के पूर्व मुखिया हारो सिंह के साथ मारपीट की घटना घटी, जिसमें श्रवण पर इसका इल्जाम लगा. मारपीट की वह घटना श्रवण के लिए वरदान साबित हुई. चूंकि उस घटना के बाद 2001 के चुनाव में उन्होंने भाग्य आजमाया, जिसमें जातीय आधार पर हुई गोलबंदी ने उन्हें मुखिया बना दिया.

उसके बाद से अब तक श्रवण दंपति को पंचायत में सुराज लाने का लगातार तीसरा मौका मिला. 2006 और 2011 में उनकी पत्नी ममता देवी मुखिया बनीं. अंडा बेचने से अपना कारोबार शुरू करनेवाले इस मुखिया दंपति की संपत्ति महज 12-13 सालों में करोड़ों तक जा पहुंची है. मुखिया और उनके परिजनों का सोनू विगहा और कादिरगंज बाजार में आलीशान मकान हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है. निजी उपयोग के लिए सफारी और बोलेरो हैं.

यही नहीं, जेसीबी मशीन, ट्रक, ट्रैक्टर समेत करीब आधा दर्जन गाड़ियां हैं. ईंट भट्ठा का भी कारोबार है. जाननेवाली बात यह है कि श्रवण के पिता देवी महतो मामूली किसान रहे हैं. 2002 की रिपोर्ट के मुताबिक श्रवण के पिता और उनके दो भाइयों के नाम बीपीएल से थोड़ा ऊपर रहा है. मामूली जमीन का टुकड़ा रखनेवाले इस परिवार के पास अब पांच एकड़ जमीन है, जिसमें कई महंगे भूखंड हैं. 10वीं पास मुखिया दंपति की कमाई ने पढ़े-लिखों को हैरान कर दिया है. नवादा के ये इकलौते ऐसे मुखिया नही हैं. कौआकोल प्रखंड की लालपुर पंचायत के अजीत कुमार आजाद उर्फ अजीत यादव, रोह प्रखंड की ओहारी पचोहिया पंचायत के मुखिया अवधेश कुमार ऐसे ही उदाहरण हैं, जिनके घर मुखियागिरी खुशहाली लेकर आयी है. फिलहाल, अजीत यादव मुखिया और उनकी पत्नी मीना राय पंचायत समिति सदस्य हैं.

पर तमन्ना की हालत है जस-की-तस : हालांकि, ऐसा नहीं कि सभी मुखिया की मुखियागिरी ऐसी ही चमकी है. कौआकोल पंचायत की मुखिया तमन्ना खातून की आर्थिक हालात में ज्यादा बदलाव नहीं आया है. उनके पति मो जमालउद्दीन आज भी मकानों के निर्माण में लकड़ी का सेंटिंग लगाने का काम करते हैं.

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