पटना: सरकार व पुलिस मुख्यालय के रवैये से नाराज राज्य भर के सभी सात हजार सैप जवान 11 सितंबर को एसपी कार्यालयों में अपने हथियार सौंप देंगे. उनके हथियार सौंपने से नक्सल प्रभावित 23 जिलों में स्थिति विकट हो सकती है. फौज के सेवानिवृत्त जवान संविदा के आधार पर सैप में नियोजित किये गये है. उन्होंने अंतिम रूप से हथियार सौंपने के पहले छह से 10 सितंबर तक सामूहिक अवकाश पर रहने की घोषणा की है.
जिलों में परचे बांटे जा रहे हैं. राज्य सरकार व पुलिस मुख्यालय के अड़ियल रवैया के विरुद्ध जवानों को एकजुट किया जा रहा है. सैप जवान फिलवक्त नक्सल प्रभावित इलाकों के साथ ही एक्साइज, ट्रांसपोर्ट व राजकीय रेल पुलिस में भी तैनात है. एक्स सर्विसमैन को-ऑर्डिनेशन कमेटी व सैपर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले सैप जवानों ने संघर्ष का रास्ता अख्तियार कर लिया है. एसोसिएशन के महासचिव ठाकुर प्रमोद कुमार ने कहा कि जब सरकार नहीं सुनेगी, तब सेवा का त्याग कर देना ही ठीक है.
नहीं होगी नयी नियुक्ति
सरकार ने पुलिस की नयी बहाली में सैप जवानों को बाहर रखने का निर्णय लिया है. पांच साल में 45 हजार पुलिसकर्मियों की नियुक्ति होनी है. इसमें सैप के जवानों को मौका नहीं मिलेगा. सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर रखा है कि जब तक पुलिसकर्मियों की स्थायी बहाली नहीं हो जाती, तब तक सैप के जवान कार्यरत होंगे.
क्या करें मजबूरी है
जमुई जिले में तैनात सैप जवान मनोज कुमार पांडे को भतीजी की शादी करनी है, तो शशिभूषण कुमार सिंह, राम प्रताप यादव व कामेश्वर यादव को अपनी-अपनी बेटियों के हाथ पीले करने हैं. किसी जवान को मकान बनाना है, तो कोई बेटा-बेटियों की पढ़ाई को लेकर चिंतित है. वे नहीं चाहते कि हथियार सौंप कर आमदनी का जरिया खुद ही बंद कर लें.
उनका कहना है कि जब हमने फौज मेंदुश्मनों के सामने हथियार नहीं डाले, तो अबपुलिस में क्यों ऐसा करेंगे. वे चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों को मान ले, लेकिन वार्ता के जरिये इसका समाधान हो.