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बंद की भेंट चढ़े पहाड़ के शिक्षण संस्थान

सिलीगुड़ी : दो साल से पहाड़ शांत था. पहाड़ पर अच्छे शिक्षण संस्थान है, इसलिए देश भर से अभिभावक अपने छात्रों को पढ़ने के लिए भेजते है. लेकिन इस गोरखालैंड आंदोलन की मांग फिर से जोड़ पकड़ने और अनिश्चितकालीन बंद से शिक्षण संस्थानों पर काफी प्रभाव पड़ा है. बंद के कारण अभिभावक अपने बच्चों को […]

सिलीगुड़ी : दो साल से पहाड़ शांत था. पहाड़ पर अच्छे शिक्षण संस्थान है, इसलिए देश भर से अभिभावक अपने छात्रों को पढ़ने के लिए भेजते है. लेकिन इस गोरखालैंड आंदोलन की मांग फिर से जोड़ पकड़ने और अनिश्चितकालीन बंद से शिक्षण संस्थानों पर काफी प्रभाव पड़ा है. बंद के कारण अभिभावक अपने बच्चों को घर ले जाने आये थे. शिलांग के निवासी संजय राय, जिनका बेटा दार्जिलिंग के सेंट पोल में पढ़ता है, उनका कहना है कि संचार माध्यमों से जब से जाना है कि पहाड़ में अनिश्चितकालीन हड़ताल है.

मेरे जान बैठ गयी है. मेरा बेटा यहीं पढ़ता है. कुछ भी हो सकता है. मैं कोई रिस्क उठाना नहीं चाहता. मैं अपने बेटे को लेना आया हूं. माहौल शांत होने के बाद फिर आने को सोचूंगा. वहीं कालिम्पोंग ग्रेम होम्स स्कूल का लेम केशिन का कहना है कि कालिम्पोंग का माहौल एकदम बदल गया है. मैंने कभी ऐसा माहौल नहीं देखा.

पिछले कई दिनों से स्कूल बंद है. मैंने अपने पापा को फोन करके यहां से ले जाने को कहा. दरअसल पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकतर बोर्डिग स्कूल है. नौकरीपेशा अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर माहौल और शिक्षा के लिए यहां पढ़ने के लिए दाखिला करवाते है. परंतु इस माहौल के कारण वे काफी परेशान है. बागडोगरा एयरपोर्ट करीब दो दर्जन से अधिक अभिभावक अपने बच्चों के साथ यहां से रवाना हो गये. मायूस होकर उन्होंने पहाड़ को बाय-बाय कहा.

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