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बिहार मिड डे मील हादसा : 23 मौतें, 23 सवाल

बिहार के सारण जिले के (मशरक प्रखंड ) गंडामन प्राथमिक विद्यालय में 16 जुलाई को मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत हो गयी. चार दिन बाद उस स्कूल की क्या स्थिति है, घटना के दिन क्या हुआ था और अब सरकार क्या कर रही है, इससे संबंधित 23 अहम सवाल अब भी […]

बिहार के सारण जिले के (मशरक प्रखंड ) गंडामन प्राथमिक विद्यालय में 16 जुलाई को मिड डे मील खाने से 23 बच्चों की मौत हो गयी. चार दिन बाद उस स्कूल की क्या स्थिति है, घटना के दिन क्या हुआ था और अब सरकार क्या कर रही है, इससे संबंधित 23 अहम सवाल अब भी अनुतरित हैं. पढ़िए प्रभात खबर की पड़ताल.वह सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं :-

बच्चों ने क्या खाया था?
घटना के दिन स्कूल में उपस्थित बच्चों ने भात और आलू व सोयाबीन की तरकारी खायी थी. रसोइये ने खुद अपनी हाथों से भोजन पकाया था. टिफिन के समय बच्चों को यही भोजन परोसा गया था.

खाने में क्या मिला था?
बीमार बच्चों को जब अस्पताल में भरती कराया गया, तो डॉक्टरों को पहली नजर में भोजन में जहर मिले होने का अंदेशा हुआ. बच्चों की उल्टी और शुरुआती लक्षण से डॉक्टरों की यह राय बनी. उनकी समझ में यह विषैला पदार्थ आर्गेनोफास्फोरस हो सकता है. जिस तेल से तरकारी बनायी गयी, उसमें इसके मिले होने क ी आशंका है.

जहरवाले बरतन में खाना बना या तेल में जहरीला पदार्थ था?

अब तक मिली रिपोर्ट के अनुसार, तेल में ही जहरीला पदार्थ मिला हुआ था. इसकी पुष्टि गुरुवार को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और मिड डे मील योजना के निदेशक ने भी की है. रसोइये को यह बात मालूम नहीं थी कि उसने कड़ाही में जो तेल डाला है, उसमें क्या मिला हुआ है. पीएमसीएच में मौत से जूझ रही रसोइये मंजू देवी ने कहा कि जब उसने तेल कड़ाही में डाली, तो अजीब प्रकार का गंध आया. कड़ाही से धुआं भी निकला, पर उसने बिना कारण जाने उस तेल में ही सब्जी बना दी. इस भोजन को खाने से वह खुद और उसके दो बच्चे भी बीमार हैं, जो पीएमसीएच में भरती हैं.

मंजू के पास तेल कहां से आया?

प्रधानाध्यापिका मीना देवी ने रसोइया मंजू देवी को यह तेल दिया था. मीना देवी ने तेल को स्कूल के पास वाले बाजार से ही खरीदा था. पांच लीटरवाले कंटेनर से तेल निकाल कर मंजू देवी को दी गयी थी.

आर्गेनोफॉस्फोरसक्या है?

ग्रामीण इलाकों में खेतों में फसलकोबचाने के लिए इसे कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है. आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में किराना या मेडिकल स्टोर में भी मिल जाता है. इसकी बिक्री पर कोई रोक नहीं है.

बच्चों के खाने में जहर कैसे पहुंचा?

अब तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है कि भोजन में यह जहर कैसे पहुंचा. जानबूझ कर किसी ने इसे भोजन में मिलाया या अनजाने में ऐसा हुआ. शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिस तेल से भोजन बना, वह प्रधानाध्यापिका के पति की दुकान से आया होगा. पर, पड़ताल में इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है.

क्या प्रधानाध्यापक के पति की दुकान में यह रसायन बिकता था?

प्रधानाध्यापिका के पति अजरुन राय खेतीबारी करते हैं. वह गंडामन गांव के ही मूल निवासी हैं. उनकी अपनी कोई दुकान नहीं है. उनके पट्टीदार ध्रुव राय का प्रभावित स्कूल के पास मार्केटिंग कांप्लेक्स है, जिसमें उनकी दवा की दुकान है.

क्या बच्चों ने स्वाद में गड़बड़ी की शिकायत की थी?

जब बच्चों ने स्कूल में भोजन चखा, तो उन्हें स्वाद में गड़बड़ी लगी. उनके हल्ला करने पर रसोइया मंजू देवी ने खुद खाना चखा. इससे वह भी बीमार पड़ी. जब बच्चों की हालत खराब होने लगी, तो प्रधानाध्यापिका स्कूल छोड़ भाग

खड़ी हुई.

फिर भी खाने को क्यों नहीं फेंका?

भोजन में जहरीला पदार्थ मिले होने के शक पर बचे खाने को फेंक दिया गया. इससे प्रतीत होता है कि खाने में जहर मिला था.

फेंके गये खाने का क्या हुआ?

फेंके गये खाने को एक कौआ और एक गाय ने खाया, जो मर गये.

क्या स्कूल में कोई प्राथमिक उपचार किट था?

स्कूल में प्राथमिक इलाज का कोई किट नहीं था, जिससे बच्चों का वहीं इलाज शुरू किया जाता.

क्या बच्चों को इलाज मिल पाया?

बच्चों ने दिन के 12 बजे खाना खाया था. इसके तत्काल बाद उन्हें परेशानी होने लगी.

प्रधानाध्यापिका ने जब देखा कि बच्चे गिर रहे हैं, तो वह चिल्लाते हुए बाहर आयीं और गांव के लोगों से बच्चों को अस्पताल पहुंचाने कीमदद मांगीं. लोग बच्चे अस्पताल भी ले जाये गये. पर, वहां कोई व्यवस्था नहीं थी. मशरक प्रखंड अस्पताल ने बच्चों को छपरा जिला अस्पताल रेफर कर दिया. यहां इलाज किया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ती गयी. डॉक्टरों ने बच्चों को पीएमसीएच रेफर कर दिया. पीएमसीएच पहुंचते-पहुंचते रात के 11 बज गये. यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया.

क्या प्रधानाध्यापिका पर कोई कार्रवाई हो पायी?
जब बच्चे गिरने लगे, उस समय प्रधानाध्यापिका मूर्छित हो रहे बच्चों को अस्पताल पहुंचाने की प्रयास करती रही. लेकिन, जब बच्चों के मरने की खबर आने लगी, तो वह गायब हो गयीं. सरकार ने प्रधानाध्यापिका के खिलाफ विभागीय कारवाई करने की घोषणा की है.

वह अब कहां है?
सरकारी रेकॉर्ड में प्रधानाध्यापिका घटना के बाद से गायब हैं. मशरक थाने में उन पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को उन्हें निलंबित कर दिया है. गांव में उनके परिवार के कोई भी सदस्य नहीं है.

विद्यालय में कितने शिक्षक थे
गंडामन विद्यालय में दो ही शिक्षिकाएं पदस्थापित थीं. एक कुमारी कल्पना और दूसरी प्रधानाध्यापिका मीना देवी. मीना देवी गंडामन की ही निवासी थीं, जबकि कल्पना पड़ोसी गांव पकड़ी की रहनेवाली हैं. जानकारी के अनुसार, घटना के दिन कल्पना स्कूल में नहीं थी. उन्होंने सुबह ही स्कूल में खबर भिजवायी थी कि वह आज नहीं आ पायेंगी.

बच्चों को दफनाने से पहले माता-पिता से राय ली गयी थी?

बच्चों के माता-पिता की राय से ही उन्हें दफनाया गया. कुछ बच्चों को निकट के मैदान में दफनाया गया. कुछ को स्कूल परिसर में दफनाया गया.

पुलिस जांच में क्या छानबीन हो रही है पुलिस जांच में घटना की पृष्ठभूमि, इसके क ारण और संलिप्तता की जांच की जा रही है. सरकार के निर्देश पर फोरेंसिक जांच भी करायी जा रही है. शनिवार को इसकी रिपोर्ट आने की संभावना है. सारण के डीआइजी और आयुक्त की जांच रिपोर्ट सरकार को मिल गयी है. इसमें प्रधानाध्यापिका की आपराधिक लापरवाही व भोजन के बनने के बाद नहीं चखनेकादोषी माना गया है.

सरकार ने अब तक क्या किया?
घटना के बाद सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दिये. मृत बच्चों के परिजनों को दो-दो लाख का मुआवजा दिया गया. सीएम स्तर पर समीक्षा बैठक हुई, जिसमें जिला अस्पतालों को तीन सौ बेड उपलब्ध कराने और 24 घंटे डॉक्टर, दवा और टेलीफोन सुविधा उपलब्ध कराने के निर्णय लिये गये. 67 हजार रसोइये बहाल करने व सभी भवनहीन विद्यालयों को बंद करने और उसे दूसरे भवन में स्थानांतरित करने के आदेश दिये गये.

स्कूल में कितने बच्चे पढ़ते थे?

गंडामन में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में 120 बच्चों का नामांकन था. घटना के दिन करीब 50 बच्चों ने खाना खाया था.

प्रशासनिक चूक या राजनीतिक षड्यंत्र था?
पहली नजर में इसे प्रशासनिक चूक माना जा रहा है. पहले स्तर पर भोजन के लिए सामग्री खरीद में और दूसरा बीमार बच्चों को जल्द अस्पताल पहुंचाये जाने में देर हुई. भोजन बनने के बाद अगर उसे चखा जाता, तो बच्चे बीमार नहीं पड़ते. इसके बाद भी बच्चों को जल्द अस्पताल पहुंचाया जाता, तो उनकी जान बच सकती थी.

राजनीतिक षड्यंत्र की बात कैसे आयी?
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें राजनीतिक षड्यंत्र है, इस आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा रहा. लेकिन, प्रधानाध्यापिका के पति का किसी भी राजनीतिक दल से संपर्क सामने नहीं आया है. महाराजगंज लोकसभा चुनाव के दौरान उनके गोतिया लोगों का झुकाव राजद की ओर रहा था.

भाजपा का क्या कहना है?
भाजपा ने घटना को सरकार की विफलता से जोड़ा है. पार्टी का तर्क है कि यदि मिड डे मील योजना के लिए नियुक्त किये गये कर्मचारी-शिक्षक सतर्क रहते, तो ऐसी भयावह घटना नहीं होती और मासूम बच्चों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती. घटना की जांच रिपोर्ट जल्द-से-जल्द लोगों के सामने आनी चाहिए. जांच की अवधि भी लंबी न हो. 15 दिनों में जांच रिपोर्ट आनी चाहिए. घटना के लिए जिम्मेवार लोगों पर कठोरतम कार्रवाई हो.

चार दिन बाद स्कूल की क्या स्थिति है.
स्कूल अभी बंद है. स्कूल का अपना भवन नहीं है, इसलिए सामुदायिक भवन में ही स्कूल चलाया जा रहा था. गांव का कोई भी
व्यक्ति अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेज रहा. प्रधानाध्यापिका के नहीं रहने से स्कूल बंद है.

एचआरडी की रिपोर्ट मंगलवार तक संभव
नयी दिल्ली: बिहार में मिड डे मील हादसे पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय मंगलवार तक रिपोर्ट सौंप सकता है. उस हादसे में 23 बच्चों की जान गयी थी. मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमरजीत सिंह ने मानव संसाधन विकास मंत्री एम एम पल्लम राजू को रिपोर्ट सौंपने से पहले मसौदा नोट तैयार करना शुरू कर दिया है. सिंह को हादसे के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए बिहार भेजा गया था. ऐसा बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवारों के सदस्यों से मुलाकात की थी. सूत्रों ने बताया कि सिंह सारण में हुई घटना और बिहार के ही मधुबनी में हुई उसी तरह की घटना को मिला कर रिपोर्ट तैयार करेंगे. मधुबनी में मिड-डे मील योजना के तहत खाना खाकर एक सरकारी मध्य विद्यालय के तकरीबन 50 बच्चे बीमार पड़ गये थे. वह समिति मिड-डे मील कार्यक्रम के कार्यान्वयन की समीक्षा करेगी और इस बात की निगरानी करेगी कि अच्छी गुणवत्ता वाला खाना परोसा जाए और स्वास्थ्यकर मानदंडों को सुनिश्चित किया जाये. मंत्रालय समाज समूहों की सहमति लेने हेतु उनसे संपर्क कर रहा है. राजू ने दावा किया था कि मंत्रालय ने योजना को लागू करने में कमियों के बारे में बिहार के 12 जिलों को सतर्क किया था. इस आरोप का नीतीश कुमार ने खंडन किया था.

प्राचार्या की आपराधिक लापरवाही
पटना/छपरा: मशरक कांड में गंडामन प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मीना देवी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किये जाने के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. शुक्रवार को उसके घर पर छापेमारी की गयी, लेकिन वह नहीं मिली. अब कुर्की-जब्ती की तैयारी की जा रही है. उधर, डीआइजी विनोद कुमार व प्रमंडलीय आयुक्त शशि शेखर शर्मा ने मामले पर जांच रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दी, जिसमें प्रधानाध्यापिका की भूमिका को आपराधिक लापरवाही करार दिया गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद बीआरपी को बरखास्त कर दिया गया. प्रधानाध्यापिका को पहले ही निलंबित किया जा चुका है.

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानाध्यापिका ने विभागीय आदेश का खुला उल्लंघन किया. खाना बनाने के दौरान उन्होंने न सही तरीके से उसकी निगरानी की और न ही बच्चों को भोजन परोसने से पहले उसे चखा. स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. साफ -सफाई का कोई ख्याल नहीं रखा गया. जांच रिपोर्ट आने के बाद शिक्षा विभाग ने प्रखंड स्तर पर मिड डे मील की निगरानी की

जिम्मेवारी संभालनेवाले प्रखंड संसाधन कर्मी (बीआरपी) सत्येंद्र सिंह को बरखास्त कर दिया. स्कूल की दूसरी शिक्षिका, जो घटना के दिन अनुपस्थित थीं, उससे स्पष्टीकरण मांगा गया है. यह पंचायत शिक्षिका है, जिसका नियोजन पंचायत इकाई करती है. विभाग ने ग्राम पंचायती राज से उस शिक्षिका के अनुपस्थित रहने पर जवाब मांगा है.

उधर, एसडीओ मनीष शर्मा और एसडीपीओ कुंदन कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने गंडामन में प्रधानाध्यापिका के घर पर छापेमारी की. लेकिन, कोई नहीं मिला. घटना के बाद से घर में ताला बंद कर प्रधानाध्यापिका समेत उनके परिजन फरार हैं. पुलिस ने छत के रास्ते घर के आंगन में प्रवेश कर अंदर से दरवाजा खोल कर तलाशी ली. लेकिन, पुलिस को कुछ भी हाथ नहीं लगा. घर के बरामदे में रखी सरकारी स्कूलों की किताबों और कागजात की जांच की गयी. एसडीओ ने बताया कि प्रधानाध्यापिका ने जल्द समर्पण नहीं किया, तो उसकी संपत्ति की कुर्की की जायेगी. इसके लिए कोर्ट में आवेदन दाखिल करने की कार्रवाई की जा रही है. सर्च वारंट नहीं रहने के कारण पुलिस उसके घर का ताला नहीं तोड़ सकी. इधर, प्रधानाध्यापिका की गिरफ्तारी नहीं होने के कारण ग्रामीणों में असंतोष व्याप्त है. शुक्रवार को गांव के लोगों ने शासन-प्रशासन के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार भी किया.

फोरेंसिंक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की जांच रिपोर्ट शनिवार तक आने की संभावना है. हालांकि, राज्य सरकार का मानना है कि खाना बनाने में उपयोग किये गये तेल में ही जहर था. यह भी आशंका है कि तेल के डिब्बे में पहले से ही जहर हो. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने कहा कि जिस दुकान से तेल लेकर खाना बनाया गया, उसकी भी जांच होगी. यदि तेल है, तो वह किस कंपनी का है. तेल का रंग काला, कड़ाही में डालने के बाद उससे धुआं निकलना और स्कूल की प्रधानाध्यापिका द्वारा इस स्थिति में भी खाना बनाने की बात करना संदिग्ध लगता है. दोषी चाहे कितना भी बड़ा आदमी क्यों न होगा, उसे बख्शा नहीं जायेगा.

केंद्र सरकार का दावा खारिज
प्रधान सचिव ने केंद्र सरकार के उस दावे को खारिज किया, जिसमें मिड डे मील को लेकर अलर्ट जारी करने की बात कही गयी थी. उन्होंने कहा, एक गैर सरकारी संगठन ने अप्रैल, 2013 में रिपोर्ट जारी की गयी थी. देश के 144 जिलों (जिनमें बिहार के 12 जिले शामिल थे) में मिड डे मील को लेकर सर्वेक्षण किया गया. सभी राज्यों को भेजी गयी रिपोर्ट में बिहार भी शामिल है. उस रिपोर्ट में अलर्ट बरतने जैसी बात नहीं की गयी है. पत्र में मिड डे मील के कवरेज को और बढ़ाने की बात कही गयी थी. 2012 में किये गये सर्वे के समय राज्य के 19263 स्कूलों में मिड डे मील का संचालन नहीं हो रहा था. अब इसकी संख्या मात्र नौ सौ रह गयी है. 2010 में 57.2 प्रतिशत, 2011 में 54.6 प्रतिशत, तो 2012 में 75 प्रतिशत से अधिक स्कूलों में मिड डे मील का सफल संचालन हो रहा है.

भवनविहीन स्कूल सात दिनों में शिफ्ट होंगे
पटना: बिहार के 8,600 भवनविहीन विद्यालयों को कहीं और शिफ्ट करने की घोषणा पर शिक्षा विभाग ने अमल शुरू कर दिया. शुक्रवार को विभाग ने राज्य के सभी डीएम, डीइओ व जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को पत्र भेज कर इस दिशा में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. ऐसे विद्यालय जहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, उन्हें निकटतम स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जायेगा.

शिफ्ट करने के बाद 29 जुलाई तक इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को दे देनी है. उन भवनहीन स्कूलों को शिफ्ट नहीं किया जायेगा, जो वैकल्पिक भवन में होने के बावजूद सभी आधारभूत संरचनाओं के मामले में ठीक हैं.

शिक्षा मंत्री व प्रधान सचिव पर एफआइआर की मांग : बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के संयोजक राकेश कुमार ने कहा कि मशरक में विषाक्त भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत का कारण कुव्यवस्था है. कहा, 130 बच्चों की क्षमतावाला गंडमान प्राथमिक विद्यालय मात्र दो नियोजित शिक्षकों के बल पर चल रहा है. सरकार विद्यालय और शिक्षा के नाम पर राजनीति कर रही है. 23 बच्चों की मौत भी इसी राजनीति का नतीजा है. शिक्षा मंत्री व प्रधान सचिव के खिलाफ एफआइआर दर्ज होना चाहिए.

छपरा मामले से उपजे कड़वे सवाल?

सारण के मशरक में 23 बच्चों की मौत एक उदाहरण है कि जमीनी स्थिति कितनी भयानक है. यह मामला केवल आधारभूत ढांचे के अभाव का नहीं है. ये बच्चे भी ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशक से मरे हैं. हम कीटनाशक का जितना प्रयोग करते जा रहे हैं, उतना ही खतरा बढ़ता जा रहा है. धीरे-धीरे हर जगह लोग मर रहे हैं. हां, कभी कीटनाशक से बड़ी तादाद में मृत्यु होती हैं , जैसा कि भोपाल में हुआ था, तो कभी छपरा जैसे मामले देखने को मिलते हैं. मैंने देखा है कि भारत में किसान जिस बरतन में कीटनाशक घोलते हैं, उसी से पानी पी लेते हैं. भारत में कीटनाशक को जहर नहीं, दवा कहा जाता है. कीटनाशक दवा.

योजना या प्रोपेगेंडा : लोगों को कीटनाशकों के बारे में गुमराह कर दिया गया है. उन्हें लगता है कि यह कोई बहुत अच्छी चीज है. इतने बड़े देश में इतनी बड़ी (मिड डे मील) परियोजना एक ही तरीके से सुरिक्षत रूप से चल सकती है कि यह लोकतांत्रिक तरीके से नियंत्रित हो और इसका विकेंद्रीकरण किया जाये, ताकि ये सबकी नजर में हो. सबको पता होना चाहिए कि बच्चों के लिए क्या खाना बन रहा है. लोगों को बताया जाये कि उनके लिए क्या नुकसानदेह है. बड़ी-बड़ी योजनाएं इसलिए नहीं बनायी जा रही हैं कि लोगों तक अच्छा स्वास्थ्य, सुरिक्षत और पौष्टिक खाना पहुंच सके. योजनाएं इसलिए बनायी जा रही हैं, क्योंकि इसके पीछे बड़े राजनीतिक और आर्थिक एजेंडा हैं.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम भी इसी एजेंडा का एक हिस्सा है. गरीब को दो रु पये में वह चीज मिल जायेगी, जिसके लिए उसे बाजार में 20 रु पये देने होंगे.

नयी स्कीम को प्रोपेगेंडा के रूप में लाया जा रहा है. भोजन से जुड़े मामले में यह जीवन-मरण का सवाल होता है.

-विकेंद्रीकरण जरूरी

विकेंद्रीकृत व्यवस्था बनानी होगी. सरकार खाद्य क्षेत्र को केंद्रीकृत कर रही है.

सरकार खाद्य सुरक्षा तभी सुनिश्चित कर सकती है, जब किसानों का सशक्तीकरण किया जाये.

ब्राजील में बेलाहारजांटे एक जगह है. उन्होंने वहां कुपोषण दूर कर दिया है. उन्होंने किसानों को शहर में जगह दी, जहां वह सीधे अपना जैविक उत्पाद बेच सकें. किसानों ने सीधे अपना उत्पाद बेचा, इसलिए लोगों को कीटनाशकमुक्त खाना सस्ते में मिला और किसानों को भी मुनाफा हुआ.

सरकार केवल खाद्य सुरक्षा का केंद्रीकरण ही नहीं कर रही है, बल्कि इसे खाद्य क्षेत्र की पांच बड़ी ताकतों के हाथ में सौंप रही है. जब भोजन से पैसे का गंठजोड़ होगा, तो बच्चे मरेंगे.

-अन्न उपजाओ

खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है कि खाद्यान्न उगाया जाये. जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे, तो उन्होंने कहा था कि अन्न और उगाओ. उनके जमाने में मंत्रियों के बंगलों में अन्न उपजाया जा रहा था. हमें हर स्कूल में अन्न उपजाना चाहिए. यदि माफिया और बिल्डर को जमीन दे सकते हैं, तो हर गांव में हर महिला समूह को सामुदायिक खेती के लिए दो-तीन एकड़ जमीन क्यों नहीं दे सकते. हर गांव में खाद्य सुरक्षा के गोदाम होने चाहिए.

हमें किसानों को उनके उत्पादों की सही कीमत देनी होगी. ऐसा नहीं हुआ, तो हमें बाहर से खराब खाद्य पदार्थ मंगाना होगा. ऐसी कंपनियों को भोजन में कीटनाशक होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. खेती खत्म होती जाएगी. हम गंदा अनाज आयात करेंगे.

इस त्रासदी की वजह कीटनाशक है. इससे बचने के लिए हमें जैविक खाद्य की तरफ मुड़ना होगा. यह हमारे लिए विलासिता की वस्तु नहीं है. यह हमारे जीवन की जरूरत है.

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