पटना : बिहार के मध्याह्न भोजन हादसे को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र के इस दावे का आज खंडन किया कि सारण सहित 12 जिलों में योजना के क्रियान्वय में कमी पर अलर्ट भेजे गए थे जिसके साथ ही इस मामले में आरोप प्रत्यारोप शुरु हो गया. सारण जिले में इस हादसे में मध्याह्न भोजन खाने के बाद 23 बच्चों की मौत हो गई थी.
मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने पटना में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार के अलर्ट भेजने के दावे पर हैरान है..हमें कोई अलर्ट नहीं मिला.’’इस कार्यक्रम को चलाने वाले केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने दावा किया है कि कार्यक्रम के क्रियान्वयन में कमी का पता चलने पर उसने बिहार के 12 जिलों को अलर्ट किया था. सिन्हा ने कहा कि देश के 144 जिलों में मध्याह्न भोजन योजना के क्रियान्वयन में खराब प्रदर्शन के संबंध में गत अप्रैल में एक समान संदेश आया था. सिन्हा ने कहा, ‘‘अमरजीत सिंह ने 18 अप्रैल 2013 को एक पत्र लिखा था जिसमें देश के 144 जिलों में योजना के खराब क्रियान्वयन के लिए कारण बताये गए थे और अधिकारियों से कहा गया था कि अधिक छात्रों को इस योजना के दायरे में लाने के लिए कदम उठाये जाएं.’’
सिन्हा ने मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक आर लक्ष्मणन के साथ कहा कि वास्तव में केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट में मध्याह्न भोजन योजना के क्रियान्वयन का क्षेत्र बढ़ाने को लेकर बिहार के प्रदर्शन की प्रशंसा की गई थी. इस बीच छपरा के जिस विद्यालय में मध्याह्न भोजन खाने के बाद 23 बच्चों की मौत हो गई थी उसकी प्रिंसीपल और पंसारी की दुकान चलाने वाला उसके पति की आज चौथे दिन भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी.