पटना: राज्य में बन रहे पंचायत सरकार भवन और नदी जोड़ योजना की राशि लैप्स होने की आशंका पैदा हो गयी है. दोनों योजनाओं की कुल राशि 1233 करोड़ है. इस बीच, केंद्रीय वित्त मंत्रलय ने 13वें वित्त आयोग के तहत अनुदानवाली योजनाओं के पैसों का उपयोगिता प्रमाणपत्र देने को कहा है.
आयोग का कार्यकाल अगले साल 31 मार्च को खत्म हो रहा है. 14वें वित्त आयोग का कार्यकाल एक अप्रैल, 2015 से शुरू होगा. सूत्रों के मुताबिक 13वें वित्त आयोग के तहत राज्य को विशेष आवश्यकता के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए केंद्र से पैसे मिलनेवाले हैं.
राज्य में 1435 पंचायत सरकार भवनों का निर्माण 1212.37 करोड़ की लागत पर होना है. दो वित्तीय वर्ष में इस पर केवल 313 करोड़ रु पये ही खर्च हुए हैं. 82 लाख की लागत पर एक पंचायत सरकार भवन का निर्माण होना है. नदी जोड़ योजना पर 333 करोड़ रु पये खर्च किये जाने हैं. सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्रलय के निदेशक राजीव कुमार सेन ने राज्य सरकार को पत्र लिख कर 13वें वित्त आयोग के तहत अनुदानवाली राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र देने को कहा है. उन्होंने आगाह किया है कि मार्च के पहले उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं भेजने की सूरत में पैसे लैप्स हो जायेंगे. अगले चार महीनों में इतनी बड़ी राशि कैसे खर्च होगी व उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र कहां से भेजा जायेगा?
सीएस ने हड़काया, कहा : पैसा लैप्स नहीं होना चाहिए
बताया जाता है कि वित्त मंत्रलय के पत्र के आलोक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने सभी विभागों के अधिकारियों को हिदायत दी है कि पैसा लैप्स नहीं होने दें. सिंह ने इस मुतल्लिक 27 नवंबर को मीटिंग की थी.
हम कोशिश करेंगे लैप्स न हो पैसा : वित्त आयुक्त
वित्त आयुक्त रामेश्वर सिंह ने कहा कि वित्त मंत्रलय ने विभिन्न योजनाओं के बारे में उपयोगिता प्रमाणपत्र देने को कहा है. हम कोशिश करेंगे कि पैसे लैप्स नहीं हों. इस सवाल पर कि क्या इस पैसे को कैरी ओवर करने का अनुरोध केंद्र सरकार से करेंगे, उन्होंने कहा कि अभी इसका वक्त नहीं आया है. मुख्य सचिव ने सभी विभागों की समीक्षा की है और योजना राशि खर्च करने की रफ्तार बढ़ाने को कहा है.
धनराशि के कैरीओवर होने को लेकर पेच
13 वें वित्त आयोग के तहत खर्च नहीं होनेवाली अनुदान राशि को 14वें वित्त आयोग के साथ कैरी ओवर करने का अनुरोध केंद्र से किया जा सकता है. पर केंद्र में राजनैतिक रूप से विरोधी सरकार होने के चलते इस बात की उम्मीद कम दिखती है कि वह पैसे कैरी-ओवर (आगे बढ़ाने पर) करने पर राजी होगी.