पटना: पटना थाने की पुलिस वांटेड की गिरफ्तारी में फिसड्डी साबित हुई है. पुलिस कप्तान द्वारा दिये गये निर्धारित टारगेट के 50 फीसदी वांटेड भी पिछले डेढ़ माह में नहीं पकड़े गये हैं. 360 की तुलना में महज 28 अपराधियों को हो गिरफ्तार किया गया है. थाने के टॉप-10 अपराधी पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए हैं.
निगरानी की हालत यह है कि शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में लूट और डकैती की घटनाएं धड़ल्ले से हो रही हैं. पुलिस न तो खुलासा ही कर पा रही है और न ही अपराधियों के गिरेबां तक पुलिस के हाथ पहुंच पा रहे हैं. अपराधियों को पकड़ने के मामले में बैक फुट पर दिखने के पीछे डीएसपी स्तर से मॉनीटरिंग नहीं होने तथा मुखबिरी का नेटवर्क कमजोर होने के संकेत मिलते हैं.
एसएसपी का कार्यभार संभालने के बाद जितेंद्र राणा ने पेंडिंग केसों का निबटारा व वांटेड की गिरफ्तारी को अपनी प्राथमिकता में गिनाया था. अपराध का ग्राफ बढ़ने के पीछे थाना स्तर पर काम नहीं होने को कारण माना गया था. एसएसपी ने सर्किल ऑफिसर और थानेदारों को क्राइम मीटिंग में निर्देश दिये और दोनों बिंदुओं पर काम करने की बात कही थी. इसके बाद 15 अक्तूबर को पटना जिले सभी 72 थानों से वांटेड अपराधियों की सूची बनायी गयी थी. सूची में कुल 720 बदमाशों को शामिल किया गया था.
इन मामलों में खाली हैं हाथ
पुनाईचक में घर के लोगों को बंधक बना हुई थी डकैती
शाहपुर इलाके में सीमेंट व्यवसायी के घर डकैती, चार सदस्यों को पीटा गया था
अपहरण के चार दिन बाद हेमा की हत्या का खुलासा नहीं
बोरिंग रोड के नजराना ज्वेलर्स से लूट मामले में सुराग नहीं
डॉ विजय कृष्ण के लापता मामले में भी नहीं मिल रही सफलता
प्रतिदिन पकड़ना था एक को
पुलिस के लिए चुनौती बने अपराधियों की गिरफ्तारी को प्राथमिकता पर रखते हुए ऑपरेशन अरेस्ट के पहले चरण में 360 अपराधियों की लिस्ट बनायी गयी, जिनमें सर्किल स्तर पर प्रतिदिन एक अपराधी को पकड़ने का निर्देश था. वहीं थाना स्तर पर पांच-पांच अपराधियों को पकड़ना करना था. लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि डेढ़ माह में महज 28 अपराधी ही पकड़े गये हैं. आंकड़े से साफ है कि पुलिस एसएसपी के टारगेट को पूरा नहीं कर पा रही है.