पटना: पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल सके, इसके लिए महिला कोषांग, महिला थाना व महिला हेल्पलाइन जैसे कार्यालयों का गठन किया गया है. वहां पीड़िताओं की बातें सुनी जाये. बावजूद इसके महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा. वे दर-दर भटक रही हैं. कभी महिला थाने, तो कभी महिला हेल्पलाइन का चक्कर काट रही हैं. न्याय की उम्मीद लिये रोज एसपी व महिला आयोग पहुंच रही हैं.
गर्भपात का किया विरोध, तो भेज दिया मायके
बाजार समिति की सरोज पिछले चार साल से न्याय के लिए महिला थाना व हेल्पलाइन का चक्कर काट रही हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल सका है. वर्ष 2010 में उसकी शादी पटना सिटी निवासी मनोज मेहता से हुई थी. शादी के तीन माह बाद ही उसे पति का दूसरी महिला के साथ संबंध की जानकारी मिली. इसका विरोध करने पर पति व ससुराल के लोगों द्वारा उसके साथ मारपीट की जाने लगी. यहां तक कि सरोज के गर्भवती होने पर उसे गर्भपात कराने को कहा गया. उसने आवाज उठायी, तो उसे मायके भेज दिया गया.
दूसरी महिला के साथ संबंध के विरोध पर पीटा था
समस्तीपुर जिले की दलसिंहसराय निवासी राशदा खानम आविद जिलानी कई सालों से न्याय के लिए भटक रही है. वह बताती है कि वर्ष 1988 में वैशाली के मोहम्मद रजी अंसारी से शादी हुई थी. पति के दूसरी महिलाओं से संबंध होने का विरोध करने पर उसके साथ पति मारपीट करने लगे. उसके क्रू र व्यवहार से तंग आकर वह अपने बेटे के साथ अलग रहने लगी. बेटे को बेहतर शिक्षा मिल सके, इसके लिए वह पति के साथ रहना चाहती हैं. न्याय के लिए कमजोर वर्ग के एडीजी से भी कई बार गुहार लगा चुकी है.
सियासत का दिखा रहा धौंस
पटना की पीड़िता सरोज व समस्तीपुर की राशिदा के अनुसार दोनों के परिवार राजनीति से जुड़े हैं. इससे दूसरे पक्षों की बातों को सही मान लिया जाता है. सरोज के पति जहां कांग्रेस पार्टी से जुड़ा है, तो राशदा के पति जदयू नेता हैं. दोनों के पतियों ने सियासत का धौंस दिखा कर बीवियों को दर-दर भटकने को छोड़ दिया है. राशदा के पति ने तो दूसरी शादी कर नयी दुनिया बसा ली है, तो वहीं सरोज के पति उसे तलाक देने की धमकी दे रहे हैं. सरोज ने थक-हार कर अब बिहार राज्य महिला आयोग में मामला दर्ज कराया है.
सरोज के मामले में दोनों पक्षों की कई बाद काउंसेलिंग की गयी. उसे अलग रखने व मेनटेनेंस देने की भी बात कही गयी है. कुछ दिनों तक दोनों साथ भी रहे, पर कोई भी समझौता को तैयार नहीं है. मामले को हेल्पलाइन से समाप्त कर दिया गया है.
– सरिता सजल, वरीय काउंसेलर,
महिला हेल्पलाइन
सरोज नगर निगम का चुनाव लड़ना चाहती थी. मेरी भाभी जो कि वर्तमान में वार्ड पार्षद है. वह लगातार जीतती आ रही हैं. एक ही घर से दो महिलाओं को चुनाव लड़ना उचित नहीं समझते हुए उसे रोका गया. इससे वह झूठा आरोप लगा रही है. वह पूरी तरह से हमलोगों के साथ फ्रॉड कर रही है.
– मनोज मेहता (सरोज के पति)
सरोज के मामले में अब तक किसी तरह की शिकायत महिला आयोग को नहीं मिली है. मामले को गंभीरता से देखते हुए जांच करायी जायेगी और पीड़िता को न्याय दिलाया जायेगा. आयोग में आनेवाली सभी महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए आयोग हर संभव प्रयास करता है.
– अंजुम आरा, अध्यक्ष, महिला आयोग