जदयू के बिहार की सत्ता में आये नौ साल पूरे हो गये हैं. 24 नवंबर, 2005 को एनडीए (जदयू व भाजपा) सरकार के मुखिया के रूप में नीतीश कुमार ने बिहार की सत्ता संभाली थी. दूसरी बार उन्होंने 25 नवंबर, 2010 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लोकसभा चुनाव के बाद बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया और जीतन राम मांझी ने 20 मई, 2014 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री रहते हुए प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को अपनी सरकार की वार्षिक रिपोर्ट कार्ड पेश करने की परंपरा शुरू की थी. इस परंपरा के क्रम को नये मुख्यमंत्री श्री मांझी आगे बढ़ायेंगे. इस मौके पर प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख मिथिलेश ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से जदयू सरकार के कामकाज से लेकर राजनीतिक हालात और खुद मुख्यमंत्री के बयानों से उत्पन्न विवादों को लेकर बातचीत की.
पटना: एक, अणे मार्ग. मुख्यमंत्री का सरकारी आवासीय परिसर. इस विशाल आवासीय परिसर में एक बांस से घिरे बैठकी में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बैठे हैं, धोती-कुरता और काली बंडी पहने. उनके चेहरे पर निश्िंचतता का भाव है. अपनी सरकार क ो लेकर खबरों में चल रही अटकलों पर तनिक भी तनाव नहीं. शांत, सहज और गंवई अंदाज में उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां बताना शुरू किया. बात बढ़ी, तो उन्होंने भविष्य की योजनाओं को भी साझा किया. साथ ही रोजाना मीडिया की सुर्खियां बन रहे अपने बयानों का मतलब भी उन्होंने साफ किया, तो इस पर टीका-टिप्पणी करनेवालों को आड़े हाथों लिया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी बातों का गलत मतलब निकाला जा रहा है. बोले – हम जिस भावना में बोलते हैं, उसे दूसरे एंगल से परोसा जा रहा है. मांझी ने नीतीश कुमार के साथ अपने संबंधों को लेकर साफ-साफ बात की. उन्होंने बातचीत में कहा, मेरे ऊपर नीतीश कुमार के बहुत उपकार हैं.
जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद त्यागने का निर्णय लिया, तो उनके सामने कई लोग थे. उनकी जाति के भी नेता थे और दूसरी जातियों के भी, जिन्हें वह मुख्यमंत्री पद सौंप सकते थे. लेकिन, उन्होंने मेरे ऊपर भरोसा किया. इसलिए मैं उनका ऋणी हूं. वह जिस दिन हमसे कुरसी छोड़ने के लिए कहेंगे, मैं सोचूंगा. मुख्यमंत्री श्री मांझी अपनी पार्टी के उन नेताओं की परवाह नहीं करते हैं, जो उनके बयानों को लेकर खफा हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा, नीतीश कुमार अभी मौन हैं और इसका मायने हम यह समझते हैं उन्हें मेरे काम, मेरी बातों से कोई परेशानी नहींहै.
जब वह (नीतीश) संतुष्ट हैं, तो दूसरों की मुङो परवाह नहीं. उन्होंने जदयू के सांसद व राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का नाम लेकर कहा कि उनके जैसे नेताओं की हैसियत नहीं मुङो चेतावनी देने की. पार्टी के भीतर विरोध की उठ रही आवाजों पर जब मुख्यमंत्री से सवाल हुआ, तो उनका कहना था- ‘कल्ट’ है. जो आवाज उठा रहे हैं, वे कौन लोग हैं, देख लीजिए. सब एक ही प्रकार के लोग हैं. उनके राजनीतिक अस्तित्व का सवाल है. उनलोगों को लग रहा कि दलित, आदिवासी और अति पिछड़े एक हो जायेंगे, तो उनकी राजनीति ही खत्म हो जायेगी. लेकिन, मैं ऐसे लोगों से डरता नहीं. उन्हें जो कहना है, कहते रहें, मुङो जो कहना है, मैं कहता और करता रहूंगा.
मुख्यमंत्री ने अपने सभी विवादित बयानों को लेकर सफाई दी. उनका कहना था – 70 वर्ष की उम्र में कभी दारू नहीं पिया. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के लोगों को मेरी बात समझ में आ रही है. सागर विवि के कुलपति और स्वामी अग्निवेश जैसे लोग चीजों को समझ रहे हैं . लेकिन, कुछ ऐसे तत्व हैं, जिन्हें नागवार लग रहा है. ऐसे तत्व सभी दलों में हैं, जदयू में भी और भाजपा में भी. मुख्यमंत्री के मुताबिक अगले एक साल उनका जोर गांव-गांव तक बिजली पहुंचाना, बिहार में निवेश और कमजोर वर्गो की कल्याणकारी योजनाओं को लागू कराने पर होगा. वह मानते हैं कि बिजली में सुधार सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है. वह इस आरोप को गलत बताते हैं कि राज्य में विधि-व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है.
सरकार की उपलब्धियां
बिजली की स्थिति में सुधार
कानून-व्यवस्था में लगातार सुधार
उद्योग कैबिनेट गठित, हुई बैठक
अफसरों को सामाजिक क्षेत्र में आगे बढ़ने क ा टास्क
शिक्षा में अधिक बजट उपलब्ध
प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने पर सैद्धांतिक सहमति
स्पीडी ट्रायल के तहत अपराधियों क ो सजा
अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों क ो क ानूनी लाभ
मैट्रिक और इंटर पास एससी/ एस टी और अति पिछड़ी जातियों क ी लड़कियों क ो प्रोत्साहन राशि
दुर्गावती परियोजना की शुरुआत
अगले एक साल का लक्ष्य, हर गांव तक बिजली
वियतनाम, ब्रिटेन व जापान के निवेशकों क ो बिहार बुलायेंगे
प्रदेश में प्राइवेट मेडिकल व इंजीनियरिंग क ॉलेज खुलेंगे
दो लाख शिक्षकों की नियुक्ति
10 हजार सिपाहियों की नियुक्ति
इंटर और स्नातक स्तरीय 16 हजार पदों पर नियुक्ति
3364 विवि शिक्षकों की नियुक्ति