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एनएमसीएच घोटाला: 2007 में हुई खरीद की निगरानी जांच शुरू

पटना: नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दवा,रसायन व मशीनों की खरीद में हुए घोटाले की जांच में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. निगरानी की जांच टीम ने वर्ष 2007 में हुई मल्टीस्लाइस स्पायरल सीटी स्कैन मशीन की खरीद में हुई गड़बड़ी से संबंधित कई अहम दस्तावेज एनएमसीएच से जब्त कर लिये […]

पटना: नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दवा,रसायन व मशीनों की खरीद में हुए घोटाले की जांच में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. निगरानी की जांच टीम ने वर्ष 2007 में हुई मल्टीस्लाइस स्पायरल सीटी स्कैन मशीन की खरीद में हुई गड़बड़ी से संबंधित कई अहम दस्तावेज एनएमसीएच से जब्त कर लिये हैं. इस मशीन की खरीद वर्ष 2007 में अस्पताल के तत्कालीन उपाधीक्षक डॉ संतोष कुमार ने की थी. तब डॉ संतोष कुमार अस्पताल अधीक्षक के भी प्रभार में थे.

निगरानी ने फिलहाल एनएमसीएच में कुल 1.60 करोड़ रुपये के घोटाले का ही मामला दर्ज किया गया है, लेकिन संभावना व्यक्त की जा रही है कि पिछली खरीद को जांच के दायरे में लाया जाये. अगर ऐसा हुआ तो एनएमसीएच में दवा, रसायन और मशीनों की खरीद में हुए घोटाले का आकार और बड़ा हो सकता है.

निगरानी ब्यूरो के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस मशीन की खरीद सीमेंस कंपनी से की गयी थी. लेकिन इसका इस्तेमाल पिछले सात वर्षो में एक बार भी अस्पताल में नहीं किया जा सका. इस मशीन की खरीद पर एनएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग के तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉ ललित कुमार ने लिखित रूप से अपना विरोध जताया था और महालेखाकार द्वारा अस्पताल की ऑडिट में भी इस मशीन की उपयोगिता पर कई सवाल उठाये गये थे. बाद में डॉ ललित कुमार की मांग पर इस मशीन की जांच के लिए तीन विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक कमेटी का भी गठन किया था. इस कमेटी में आइजीआइएमएस के रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष, एनएमसीएच के रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष और पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष को शामिल किया गया था. विशेषज्ञों की इस कमेटी ने भी अपनी जांच में पाया कि इस मशीन के इंस्टॉलेशन के बाद से इसका एक बार भी इस्तेमाल नहीं किया गया.

सीमेंस कंपनी को इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया. निगरानी ब्यूरो अब इस मशीन की उपयोगिता के साथ सीमेंस कंपनी को किये गये भुगतान की भी जांच करेगा. विशेषज्ञों की जांच में ही यह स्पष्ट हो गया था कि इस मशीन के सीटी कैमरे में गड़बड़ी है और कंपनी के साथ हुए करार के अनुसार इसे तैयार ही नहीं किया गया है.

इस मशीन के लिए आगफा और फुजी की जगह कोडैक जैसी कंपनी के कैमरे उपलब्ध कराये गये जो तकनीकी रूप से इस मशीन के लिए कारगर नहीं थे. साथ ही पुराने वोल्टेज स्टैब्लाइजर की जो आपूर्ति की गयी थी वे सभी पुराने थे और कोई काम के नहीं थे. जांच कमेटी ने अपनी जांच में यह भी पाया था कि यह मशीन नयी नहीं, बल्कि पुरानी थी और केवल रंग-रोगन कर एनएमसीएच को उपलब्ध करा दी गयी थी. तब डॉ ललित कुमार ने इसके इंपोर्ट और कस्टम से संबंधित कागजातों की जांच करने की भी मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. अब निगरानी की टीम इस मशीन से संबंधित सभी कागजातों की तलाश में लग चुकी है और अस्पताल के अधीक्षक को इससे संबंधित दस्तावेजों को उपलब्ध कराने को कहा है.

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