पटना: दवा खरीद घोटाला मामले की जांच कर रही स्वास्थ्य सचिव आनंद किशोर की कमेटी ने शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट सौंप दी. लगभग 650 पेजों की रिपोर्ट में कई गड़बड़ियों व दवा खरीद में अनियमितता का खुलासा करते हुए कई बड़े लोगों को जिम्मेवार ठहराया गया है. विभागीय सूत्रों की मानें, तो परचेज कमेटी में शामिल 10 लोगों के अलावा कई अन्य पर भी कार्रवाई होगी.
टेंडर दिलाने में पक्षपात
सूत्र बताते हैं कि मेडिपॉल कंपनी को टेंडर दिलाने में पक्षपात किया गया है, जिसमें परचेज कमेटी के सदस्य शामिल हैं. तीन ब्लैकलिस्टेड कंपनियों में से दो मेडी पॉल (11.24 करोड़) व लेवोरट (8.36 करोड़) की दवाएं खरीदी गयी थीं. रिपोर्ट के मुताबिक मेडिपॉल फार्मा इंडिया द्वारा समर्पित बीड पेपर में हेराफेरी की गयी है.
परिजन का सीएनएफ
इस बात की भी चर्चा है कि कमेटी के किसी सदस्य के परिजन का ही कंपनी का सीएनएफ है. मेडी पॉल फॉर्मा की तकनीकी निविदा खुलने के बाद बीड पेपर के प्रथम पृष्ठ पर मात्र तीन सदस्यों के हस्ताक्षर ही अंकित थे. टेक्निकल एव्यूलेशन कमेटी के अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर अंकित नहीं हैं. शाहनवाज अली ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि टेक्निकल एव्यूलेशन कमेटी की बैठक के पहले की तिथि में ही हस्ताक्षर किये गये हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने नीतीश को दी क्लीन चिट
स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में क्लीन चिट दे दी है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उन पर दवा घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा था. सरकार ने जवाब तैयार करने की जिम्मेवारी मुख्य सचिव को सौंपी थी. शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग ने जवाब तैयार कर मुख्य सचिव को भेज दिया. सूत्रों की मानें, तो इसमें कहा गया है कि दवा एवं उपकरण खरीद में बीएमएसआइसीएल ने संचिका में कभी भी स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते नीतीश कुमार से आदेश नहीं लिया. क्रय और तकनीकी समितियों के कार्य में भी उनकी कोई भूमिका नहीं है.