पटना: शिक्षक दिवस पर शुक्रवार को एसके मेमोरियल हॉल में आयोजित राजकीय समारोह में मुख्यमंत्री ने 40 परिवारों पर एक प्राथमिक स्कूल खोलने घोषणा की. साथ ही उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों का वेतन एक बार फिर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है. वित्तीय स्थिति को देखते हुए हम स्टेप दर स्टेप बढ़ रहे हैं. समारोह में 14 शिक्षकों को सम्मानित किया गया. उन्हें 15 हजार का चेक, स्मृति चिह्न्, प्रमाणपत्र व शॉल भेंट किया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर पंचायत में +2 स्कूल खोलने के लक्ष्य को हर हाल में पूरा किया जायेगा और जिस मध्य विद्यालय के पास एक एकड़ जमीन होगी, उसे हाइस्कूल में अपग्रेड किया जायेगा. नियोजित शिक्षकों के वेतन में वृद्धि के संबंध में उन्होंने कहा कि शिक्षक अपने दायित्वों को निर्वहन करें. जब शिक्षक ठीक ढंग से बच्चों को पढ़ायेंगे, तो समाज (पब्लिक) से ही बात सामने आयेगी कि इनका वेतन बढ़ाया जाये. ऐसे में सरकार दूसरे मद की राशि काट कर उनका वेतन बढ़ायेगी. पिछले साल उनका वेतन एकमुश्त बढ़ाया गया था. फिर बढ़ाने का विचार किया जा रहा है. वित्तीय स्थिति को देखते हुए हम स्टेप दर स्टेप बढ़ रहे हैं. शिक्षकों को कम-से-कम में संतुष्ट होना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक सरकार के खजाने पर भी ध्यान रखें. शिक्षक खुद को मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में देंखे, तो असलियत सामने आयेगी. बिहार सरकार अपने बजट का करीब 25 फीसदी राशि शिक्षा पर खर्च कर रही है. सड़क, कानून, बिजली का पैसा काट कर शिक्षा में लगाया जा रहा है और शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं. यूपी-राजस्थान समेत दूसरे राज्यों में भी नियोजित शिक्षकों को इतना पैसा नहीं मिलता है. अगर कोई दे रहा होगा, तो हम भी देंगे.
श्री मांझी ने कहा कि आज प्राइवेट स्कूलों की भरमार हो गयी है. अगर इनका अस्तित्व खत्म हो जाये, तो शिक्षा में गिरावट आ जायेगी. सौ में सिर्फ 10 शिक्षक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाते होंगे. बाकी के बच्चे निजी स्कूल में पढ़ते हैं. अगर सरकारी स्कूलों के शिक्षक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ायेंगे, तो इससे समाज में बदलाव आयेगा. कुछ जगहों पर एक ही शिक्षक पूरा स्कूल संचालित कर रहे हैं. किसी एक के ऐसा करने से कुछ नहीं होगा. 70-80 फीसदी शिक्षक ऐसा करेंगे, तो सरकारी स्कूल बेहतर हो जायेंगे. शिक्षकों को यह शब्द कड़वे लगेंगे, लेकिन जब बिहार कलंकित होगा, तो आप पर भी उंगली उठती है कि बिहार के शिक्षक कैसे हैं? कैसे उन्होंने शिक्षा दी है?
राजकीय समारोह में मुख्यमंत्री ने 14 शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षक कल्याण कोष में ज्यादा राशि जुटाने के लिए पटना के डीइओ महेश प्रसाद सिंह को पहला, नालंदा के डीइओ कुमार सहजानंद को दूसरा और पश्चिमी चंपारण के डीइओ ललन झा को तीसरा पुरस्कार दिया.
समारोह में शिक्षा मंत्री वृशिण पटेल, गन्ना मंत्री रंजू गीता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन, विशेष सचिव एचआर श्रीनिवास, प्राथमिक शिक्षा निदेशक मनीष कुमार, माध्यमिक शिक्षा निदेशक आरबी चौधरी, उच्च शिक्षा निदेशक एसएम करीम समेत शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी मौजूद थे.
बच्चों को दिये टिप्स :-
शिक्षक को हाय सर, बाय सर नहीं, साष्टांग प्रणाम करें
पढ़ाई के साथ शरीर पर दें ध्यान, देर से उठ कर मम्मी टी कहना करें बंद
शिक्षकों की चिंता समाज व सरकार पर छोड़ें
सर्व शिक्षा (शिक्षा की हर कला) ग्रहण करें, खेती से भी बढ़ सकते हैं आगे
हंस की तरह बनें, उद्देश्य के साथ बढ़ें आगे
चंद्रमा को देंगे, उसमें काले धब्बे को नहीं
शिक्षकों को टिप्स
पहले गुरु मिलने पर आंखें होती थीं नम, आज नहीं जगती भावना
गुरु के परंपरागत ड्रेस धोती-कुरता नहीं पहनते आज के शिक्षक
पहले बच्चों का होता था सर्वागीण विकास, आज दी जा रही एकांगी शिक्षा
बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, सर्व शिक्षा दें
बच्चों जैसी देंगे शिक्षा, वैसा निकलेगा आउटपुट
14 शिक्षकों को राजकीय सम्मान
राजकिशोर राउत, दशरथ प्रसाद साह, सत्येंद्र कुमार सुमन, जय प्रकाश यादव, निर्मला शर्मा, सुनयना कुमारी, अनिता साहा, प्रभावती सिंह, सीताराम साह, सत्यनारायण झा, मिथिलेश कुमार सिन्हा, उषा घोष राय, डॉ सविता रंजन और सिस्टर ज्योस मेरी.