पटना: ऑडिटर नियुक्ति के मामले में राज्य कर्मचारी चयन आयोग के दो तत्कालीन अधिकारी आरोपों के घेरे में आ गये हैं. पटना हाइकोर्ट में इस मामले में दायर याचिका की गुरुवार को सुनवाई के क्रम में आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने कहा कि उत्तरपुस्तिकाओं में छेड़छाड़ में आयोग के दो तत्कालीन अधिकारियों की संलिप्तता पायी गयी है.
दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने और मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अनुमति मांगी गयी है. कोर्ट ने इओयू को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार को हलफनलामा दायर कर बताये कि अब तक किन-किन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल
किया गया है और कितने के खिलाफ सरकार से अनुमति मांगी गयी है. न्यायाधीश वी नाथ के एकलपीठ में चल रही सुनवाई के दौरान इओयू के वकील ने बताया कि 24 अभ्यर्थियों और आयोग के कार्यालय की सुरक्षा में तैनात रहे होमगार्ड के 17 जवानों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है. सरकार से अनुमति मिलने के बाद आयोग के दो तत्कालीन अधिकारी अकील जुबैर हाशमी और उप सचिव राजेश कुमार के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया जायेगा और मुकदमा चलाया जायेगा. सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी.
इओयू के वकील ने कोर्ट को बताया कि ऑडिटरों के 507 पदों के लिए 2007 में राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने विज्ञापन जारी किया था. सात अक्तूबर, 2012 को इसकी लिखित परीक्षा हुई थी. 19 अक्तूबर, 2012 को आयोग के कार्यालय पर इओयू ने छापेमारी की, तो स्ट्रांग रूम का सील टूटा पाया गया. कई उत्तरपुस्तिकाओं में छेड़छाड़ पायी गयी. अधिकारियों के दस्तखत में भी छेड़छाड़ दिखी. इओयू के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में प्रारंभिक तौर पर गड़बड़ी सही पायी गयी है. 10 कॉपियों में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ की बात आयोग ने स्वीकारी है.
याचिकाकर्ता संजय कुमार रंजन के वकील दीनू कुमार ने परीक्षा को रद्द करने और पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की. आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया कि 266 कॉपियों में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है. 15 छात्रों की कॉपियों में गड़बड़ी पायी गयी है, जबकि 43 छात्रों की कॉपियों में मामूली गड़बड़ी है. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि छापेमारी के दौरान पकड़े गये लोगों ने इओयू को बताया था कि उनलोगों ने पहले की परीक्षाओं में भी प्रति अभ्यर्थी आठ लाख से नौ लाख रुपये लेकर उत्तरपुस्तिकाओं को बदला है. इधर, आयोग सूत्रों के मुताबिक ऑडिटर पद की लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित किया जा चुका है. लेकिन, हाइकोर्ट में चल रही सुनवाई के कारण किसी सफल अभ्यर्थी के नाम की अनुशंसा नहीं की गयी है.