21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जेलों में बंद 85 फीसदी से अधिक कैदी विचाराधीन

पटना: बिहार के जेल विचाराधीन कैदियों से अटे पड़े हैं. सूबे के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों में से 85 फीसदी से अधिक कैदी विचाराधीन हैं. देश में यह संख्या 66 फीसदी है. यह चौंकाने वाला खुलासा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया प्रकाशित रिपोर्ट 2012 से हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार देश में […]

पटना: बिहार के जेल विचाराधीन कैदियों से अटे पड़े हैं. सूबे के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों में से 85 फीसदी से अधिक कैदी विचाराधीन हैं.

देश में यह संख्या 66 फीसदी है. यह चौंकाने वाला खुलासा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया प्रकाशित रिपोर्ट 2012 से हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 0.8 फीसदी विचाराधीन कैदी पांच साल से भी अधिक समय से जेलों में बंद हैं. वहीं, 37 फीसदी विचाराधीन कैदी तीन माह से न्याय के इंतजार में जेलों में कैद हैं. 1226 महिलाएं अपने 1397 बच्चों के साथ विचाराधीन कैदी के रूप में समय बिता रही हैं.

बिहार में विचाराधीन कैदियों की संख्या 2011 (23417) की तुलना में 2012 (24389) में 4.15 फीसदी बढ़ गयी है. वहीं देश में यह संख्या 2011 (2,41,200) की तुलना में 2012 (2,54,857) में 5.7 फीसदी बढ़ गयी है. गौरतलब है कि देश की जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों के मामले को ‘गंभीर’ मसला बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से कहा है कि ‘मूक दर्शक’ बने रहने की बजाय वह केंद्रीय एजेंसी के रूप में काम करे और राज्यों से बात करे. साथ ही समस्या के समाधान के लिए छह सप्ताह के अंदर सभी राज्यों के गृह सचिवों की बैठक बुलाएं. इसके अलावा अदालतों में मुकदमों की त्वरित प्रगति पर निगाह रखने के लिए प्रमुख न्यायविदों का विशेष आयोग गठित करने का भी अनुरोध किया गया है. ऐसे में इन विचाराधीन कैदियों को न्याय शीघ्र मिलने के आसार बढ़ गये हैं.

बुरा हाल : जेलों में सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों का ऐसा घालमेल हो गया है कि हर जेल खुद में एक सवाल बन गई है. कई विचाराधीन निदरेष कैदी जेल में बंद हैं और उन्हें बड़े-बड़े अपराधियों के साथ रहना पड़ता है. ऐसे में इन विचाराधीन निदरेष कैदियों के मन पर बुरा असर पड़ता है. यहां इनके साथ शारीरिक-आर्थिक-मानिसक-शोषण भी होता है. इससे समाज में हिंसा व अपराधीकरण को बढ़ावा ही मिलता है. ऐसे में जेलें सुधार गृह की बजाय यातना गृह साबित हो रही हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें