लोकसभा चुनाव में मिली शानदार जीत के तीन माह बाद ही हुए विधानसभा उपचुनाव में हुई हार ने भाजपा नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी है. इस हार ने उन नेताओं को बोलने का मौका दे दिया है, जो प्रदेश नेतृत्व से विक्षुब्ध माने जाते रहे हैं.
वैसे तो किसी ने किसी पर हार का सीधा आरोप नहीं लगाया है, लेकिन इशारों-इशारों में नेतृत्व पर सवाल जरूर उठाये हैं. सांसद अश्विनी चौबे, डॉ सीपी ठाकुर व हरेंद्र प्रताप सरीखे नेताओं के बयानों से साफ है कि पार्टी नेतृत्व को अंतर्कलह से जूझना होगा.
नेतृत्व की कमजोरी से हारे : अश्विनी
पटना: सांसद अश्विनी चौबे विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को मिली हार से खासे चिंतित हैं. अपनी सीट (भागलपुर) भी नहीं बचा पाने का उन्हें मलाल है. उन्होंने किसी एक पर हार का ठीकरा तो नहीं फोड़ा, लेकिन यह जरूर माना कि स्थानीय और प्रदेश स्तर पर नेताओं की कमजोरी के कारण हमें पराजय का सामना करना पड़ा. पार्टी इस पर आत्मचिंतन करेगी. सच कहूं, तो यह पार्टी के लिए आत्मपरीक्षण की घड़ी है. पार्टी में इस बात पर लगातार मंथन चल रहा है कि कहां गड़बड़ी हुई, चुनाव प्रचार और चुनाव प्रबंधन में हम कहां चूक गये. स्थानीय स्तर पर हम कहां सुस्त पड़े, इसकी भी समीक्षा होगी. पार्टी एक-एक बिंदु पर विश्लेषण करेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा किसी जाति विशेष पर काम नहीं करती. पार्टी ‘बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय’ की नीति पर चलती है. आज जिस मंडल की बात नीतीश कुमार और लालू प्रसाद कर रहे हैं, उसका सच तो चुनाव परिणाम ने बता दिया. भाजपा कोटे से जीते अधिकतर उम्मीदवार पिछड़ा, अतिपिछड़ा और दलित वर्ग के हैं, जबकि उनके विजयी प्रत्याशी अगड़ी जाति के हैं. उपचुनाव में छह सीटों पर मिली जीत पर जिस तरह राजद-जदयू इतरा रहा है, मानो कोई तीर मार लिया हो. असली लड़ाई तो 2015 के विधानसभा चुनाव में होगी.
नमो पर कोई प्रभाव नहीं : सुशील
पटना. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यहां कहा कि उनकी पार्टी ने उनके (नरेंद्र मोदी) नाम पर वोट नहीं मांगा था और चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़े गये. पटना स्थित अपने सरकारी आवास पर आयोजित जनता दरबार के बाद उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की तुलना स्थानीय चुनाव से नहीं की जा सकती. क्या राष्ट्रीय स्तर पर हो रही गतिविधियों की नगर निगम से तुलना की जा सकती है?
पार्टी नेतृत्व करे चिंतन : डॉ ठाकुर
पटना. उपचुनाव में भाजपा को उम्मीद से बहुत कम सीटों पर मिली जीत और वोट प्रतिशत घटने पर सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सीपी ठाकुर ने गहरी चिंता जतायी है. उन्होंने पार्टी हाइकमान से इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आग्रह किया है. उन्होंने बिहार भाजपा के नेताओं से भी इस पर गंभीर मंथन करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को बिहार के मतदाताओं ने बढ़-चढ़ कर वोट दिया था, लेकिन चंद महीने बाद ही मतदाता हमसे क्यों खिसक गये? परबत्ता में भूमिहार वोटरों ने भाजपा गंठबंधन से मुंह क्यों फेरा? छपरा में राजपूत मतदाताओं ने हमसे किनारा क्यों किया. वहां तो भाजपा तीसरे नंबर पर चली गयी. वहां भाजपा के पुराने कार्यकर्ता ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ कर दूसरा स्थान हासिल करने में सफलता हासिल कर ली. जाले में भी भाजपा का वोट बैंक कमजोर पड़ा, क्यों? इस पर पार्टी को मंथन करने की जरूरत है. जाहिर है पार्टी कार्यकर्ता कहीं-न-कहीं असंतुष्ट हैं. विधानसभा के चुनाव अगले साल होने हैं, यदि अभी से पार्टी सचेत न हुई, तो जंग फतह करना मुश्किल होगा.
विचार करे केंद्रीय कमेटी : हरेंद्र
पटना. विधान पार्षद व भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य हरेंद्र प्रताप ने पार्टी की केंद्रीय कमेटी से बिहार के ताजा राजनीतिक हालात और चुनाव परिणाम का आकलन करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को केंद्रीय नेतृत्व व कमेटी पर पूरा विश्वास है. लोकसभा चुनाव में छपरा विधानसभा सीट पर पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की थी, लेकिन विधानसभा उपचुनाव में उसी सीट पर तीसरे नंबर पर क्यों चली गयी? भाजपा को अपना आकलन करना होगा. चुनाव परिणाम को लेकर पॉजिटिव मैसेज नहीं मिला है. बिहार में 10 सीटों पर उपचुनाव हुए. मैंने हिसाब निकाला है. राजद को 75, जदयू को 60 और भाजपा को 44 प्रतिशत सफलता मिली. यानी उपचुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. बिहार में जदयू की सरकार थी, उसे तो भारी सफलता मिलनी चाहिए थी, लेकिन नहीं मिली. उपचुनाव में साधन हारा, लेकिन जनता जीती.
बिहार में महागंठबंधन का यह पहला चुनाव था. जो नतीजे आये, उससे संकेत मिल रहा है कि जदयू सरकार अराजकता की ओर बढ़ रही है.
मंत्री की रची साजिश के कारण मिली हार
बांका.बांका से महागंठबंधन के प्रत्याशी इकबाल हुसैन अंसारी ने कहा कि पर्यटन मंत्री डॉ जावेद इकबाल अंसारी के भितरघात व साजिश के कारण ही वे मामूली अंतर से चुनाव हार गये. हर वर्ग के मतदाता ने तो उन्हें वोट दिया ही. मंत्री नहीं चाहते थे कि वे चुनाव जीतें. नीतीश कुमार व सम्राट चौधरी को मेरे पक्ष में यहां चुनावी सभा करने से रोका. मंत्री ने चुनाव सभा में ही मंच से उतरते ही पार्टी के एक नेता को कह डाला था कि वे अपने जीते जी उन्हें विधानसभा नहीं पहुंचने देंगे. लालू यादव व नीतीश कुमार को मौखिक रूप से मैं मंत्री के भितरघात करने व साजिश रचने की शिकायत कर चुका हूं. कल पटना जाकर इसकी लिखित शिकायत करूंगा. इधर, पर्यटन मंत्री डॉ जावेद इकबाल अंसारी ने आरोप की बाबत कहा कि वे बेकार इंसान हैं. उनके बेटे ने पहले तो दुष्प्रचार किया इसे कहने के लिए हजारों लोग तैयार हैं. बाद में चुनाव के दिन क्या हुआ नहीं जानते.
लीडरशिप फेल
पटना. पूर्व मंत्री चंद्रमोहन राय ने उपचुनाव में भाजपा को उम्मीद से कम सीटें मिलने पर गंभीर चिंता जतायी है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव में बिहार भाजपा का लीडरशिप फेल साबित हुआ. प्रत्याशी चयन और चुनाव मैनेजमेंट के मामले में भी भाजपा ने इस बार बड़ी चूक की. भाजपा के परमानेंट वोटर माने जानेवाले कुछ खास वर्ग के मतदाता पार्टी से इस बार नाराज रहे. कोई प्रत्याशी चयन को लेकर असंतुष्ट था, तो कोई चुनाव प्रबंधन को लेकर. विधान सभा उपचुनाव के नतीजों से यदि सबक नहीं लिया गया, तो 2015 के विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करना मुश्किल हो जायेगा. कार्यकर्ताओं व लोगों की नाराजगी पार्टी को समझनी होगी.
चुनाव परिणाम भाजपा की आंखें खोलने वाला : डॉ महाचंद्र
पटना: पीएचइडी मंत्री व जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ महाचंद्र प्रसाद सिंह ने उपचुनाव के परिणाम को भाजपा की आंखें खोलने वाला बताया है. दिल्ली में उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने लोकसभा चुनाव में एनडीए को जो भारी बहुमत दिया, वह दस सालों के यूपीए सरकार के कार्यो के खिलाफ जनाक्रोश था. उसे विकल्प के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ही दिखायी दिया. बिहार की जनता ने इस बार नीतीश कुमार के न्याय के साथ विकास, लालू प्रसाद के सामाजिक न्याय व कांग्रेस के सामाजिक समरसता के महागंठबंधन पर अपनी मुहर लगा कर यह साफ कर दिया कि अब वे और ठगे जाने को तैयार नहीं हैं. पिछड़ा, अतिपिछड़ा, दलित, महादलित व अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ-साथ सवर्ण मतदाताओं ने महागंठबंधन के उम्मीदवारों को अपना मत देकर यह सिद्ध कर दिया कि आज भी विकास पुरुष नीतीश कुमार के नेतृत्व में उनकी पूरी आस्था व विश्वास है. उन्होंने कहा कि ब्रrार्षि समाज व सवर्ण मतदाताओं को अपना वोट बैंक समझने वाली भाजपा को छपरा, जाले, परबत्ता व भागलपुर के चुनाव परिणाम में महागंठबंधन को मिले वोटों के बाद अब कोई संशय नहीं रखना चाहिए. नीतीश कुमार के नेतृत्व में सवर्णो को कल भी विश्वास था और आगे भी रहेगा.
उपचुनाव ट्रेलर था, फिल्म अभी बाकी है : सुनील पांडेय
जदयू के विधायक डॉ नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय ने कहा कि बिहार विधानसभा उपचुनाव का परिणाम तो ट्रेलर था, फिल्म तो अभी बाकी है. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो जायेगा. झूठ की खेती करनेवाली भाजपा का बिहार की सत्ता में आने का सपना जनता ने तोड़ दिया है और नीतीश कुमार की राजनीतिक अहमियत को एक बार फिर साबित कर दिया है. जनता समझ चुकी है कि भाजपा के नेता सिर्फ सपना बेचने में माहिर हैं. उधर, राज्य नागरिक परिषद के महासचिव छोटू सिंह ने महागंठबंधन की जीत पर तीनों दलों के नेताओं के साथ-साथ जीतनेवाले उम्मीदवारों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि विधानसभा उपचुनाव में महागंठबंधन ने अपना दम साबित कर दिया. अब विधानसभा चुनाव में यह गंठबंधन जारी रहेगा और पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. वहीं, जदयू नेता डॉ एमके मधु ने कहा कि बिहार पूरे देश में राजनीति की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है. यहां किये गये प्रयोग पहले भी सफल हुए हैं और आज भी हो रहे हैं.
अब जनता भ्रमजाल में फंसनेवाली नहीं
पटना: विधान पार्षद व जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि विधानसभा उपचुनाव में महागंठबंधन को जिता कर जनता ने साबित कर दिया कि उसे विकास पसंद है. वह अब भ्रमजाल में उलझना नहीं चाहती है. नीतीश कुमार की पहल कारगर साबित हुई, जनता ने इसे स्वीकारा. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भाजपा की हार सुशील मोदी के सामंतवादी सोच के कारण हुई है. अगड़ी जाति के लोगों को वे अपनी रैयत समझते थे, लेकिन उन्होंने उनकी औकात बता दी. सुशील मोदी ने ऊंची जाति के लोगों को दरकिनार कर मंगल पांडेय को रबर स्टांप अध्यक्ष बना दिया है. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि उपचुनाव के परिणाम से अब सुशील मोदी की विधानमंडल दल के नेता की कुरसी भी भाजपा के अंतर्कलह से जा सकती है. अहंकार में बात करनेवाले मोदी ने कह दिया कि भाजपा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देगी. उन्हें यह पता होना चाहिए कि विशेष राज्य का दर्जा नीतीश कुमार अपने लिए नहीं, बल्कि बिहार के जनता के लिए मांग रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यह वादा कर जनता को मूर्ख बनाया, उसी का बदला जनता ने ले लिया. भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव को सेमीफाइनल कहा था, लेकिन जब हार हो गयी, तो कह रही है कि इस परिणाम को गंभीरता से हीं लेते. नता ने अपना रुख दिया दिया है और विधानसभा चुनाव में उन्हें सब सिखाने का मन बना लिया है.