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अब मिलीं नारकोटिक की दवाएं

पटना: गोविंद मित्र रोग स्थित जय हनुमान दवा एजेंसी ने औषधि विभाग की टीम को चक्कर में डाल दिया है. जब नौ जुलाई की शाम टीम ने गोदाम में छापेमारी की, तो सरकारी व फिजिशियन सैंपल मौजूद मिले. दूसरे दिन एक्सपायरी दवा और गोदाम में मिले रैपर से यह अंदाजा लगाया गया कि यहां एक्सपायरी […]

पटना: गोविंद मित्र रोग स्थित जय हनुमान दवा एजेंसी ने औषधि विभाग की टीम को चक्कर में डाल दिया है. जब नौ जुलाई की शाम टीम ने गोदाम में छापेमारी की, तो सरकारी व फिजिशियन सैंपल मौजूद मिले. दूसरे दिन एक्सपायरी दवा और गोदाम में मिले रैपर से यह अंदाजा लगाया गया कि यहां एक्सपायरी दवाओं पर नया रैपर चढ़ा कर उसकी तारीख बढ़ायी जाती है और उसके बाद उसे बाजार में भेज दिया जाता है. जब बंद पड़ी दुकान का ताला तोड़ा गया तो मालूम चला कि इसमें नारकोटिक से सप्लाइ होनेवाली दवाएं भी मौजूद हैं. यही नहीं, वे दवाएं भी एक्सपायरी तथा रैपर चेंज कर मार्केट में भेजी जा रही थीं. रविवार की देर शाम तक बरामद दवाओं की कीमत दो करोड़ तक पहुंच गयी हैं. औषधि विभाग के अनुसार सोमवार की देर रात तक ही साफ हो पायेगा कि सभी गोदामों में कितनी की दवाएं हैं.

21 दुकानदारों के पास ही नारकोटिक के लाइसेंस : सूत्रों के अनुसार नारकोटिक दवाओं की बिक्री के लिए दुकानदारों को दो तरह के लाइसेंस लेने पड़ते हैं, पहला ड्रग कंट्रोलर और दूसरा उत्पाद विभाग से. इसके बाद नारकोटिक ड्रग बेचनेवाले दुकानदारों को एक विशेष रजिस्टर बनाना पड़ता है, जिसकी कई शर्ते हैं. फिलहाल पटना में महज 21 दुकानदारों को ही नारकोटिक दवाएं बेचने का लाइसेंस है. इसके तहत आनेवाली सभी दवाएं बेहद महंगी होती हैं. साथ ही इसमें दवा दुकानदारों को हर माह उत्पाद विभाग व औषधि विभाग को अपनी रिपोर्ट देनी पड़ती है.

मंगलवार से अस्पतालों के भंडारों में दवाओं की जांच : सरकारी व फिजिशियन सैंपल का बैच पीएमसीएच, डीएमसीएच सहित 24 अस्पतालों में भेजी गयी है. इसकी पुष्टि कॉरपोरेशन व हेल्थ सोसाइटी ने की है. शुक्रवार को फाइनल रिपोर्ट मिलने के बाद इन सभी अस्पतालों के भंडारों की जांच होगी और इसके लिए औषधि विभाग की ओर से पत्र भेजा जायेगा. जांच के दौरान एक ड्रग कंट्रोलर भी मौजूद रहेंगे.

श्री हनुमान एजेंसी के खिलाफ पहले भी हुआ एफआइआर : एसपी वर्मा रोड में औषधि विभाग की टीम ने 22 दिसंबर, 2010 को श्री हनुमान एजेंसी में छापेमारी कर दो गोदामों से नकली दवाएं पकड़ी थीं, जिनमें से अधिकांश दवाएं सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की गयी थीं. इसको लेकर पीरबहोर थाने में मामला दर्ज कराया गया था. उसके बाद फिर इसी मालिक को दोबारा से 2014 में औषधि विभाग ने लाइसेंस दे दिया था. इसके बाद एक बार फिर नौ जुलाई को गोविंद मित्र रोड स्थित इसके गोदाम में छापेमारी की गयी है, जिसमें लगभग दो करोड़ की दवाएं अब तक मिल चुकी हैं.

ओटी में मरीजों को बेहोश करनेवाली दवाएं अधिक : मोरफिन, फोर्टबिन, पैसिडिन सहित कई इंजेक्शन मिले हैं. इन दवाओं का इस्तेमाल ओटी में मरीजों को बेहोश व दर्द को कम करने में किया जाता है. इनमें कुछ इंजेक्शन का उपयोग नशेड़ी भी करते हैं. वहीं सिजेरियन व कार्डियक सजर्री में जरूरत पड़नेवाले इंजेक्शन भी पकड़े गये हैं. जांच टीम के मुताबिक यह कहना अभी मुश्किल है कि इनमें से कौन-सी दवाओं के रैपर बदले गये हैं और किसका निर्माण अवैध रूप से किया गया है. इसका खुलासा फाइनल रिपोर्ट के बाद ही हो पायेगा.

चार घंटे में 6.31 लाख की बिक्री, आर्थिक अपराध का मामला : दुकान ग्यारह बजे खुली और दो बजे दुकान बंद कर संचालक भाग निकला. जब इसी दुकान का ताला तोड़ा गया, तो उसमें से 6.31 लाख कैश मिले. यह एक आर्थिक अपराध का भी मामला है कि चार घंटे में इतना कैश कहां से दुकान में पहुंच गया.

जानकारी के अनुसार टीम को यह भी पता चला कि हर दिन दवाओं की खेप सबसे अधिक समस्तीपुर, किशनगंज, जहानाबाद, गया, सीतामढ़ी, बेगूसराय आदि जिलों में जाती है.

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