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संचालक ने किया तंग,छात्र ने किया सुसाइड

पटना: हनुमान नगर में न्यू बाइपास के पास स्थित तथागत आइटीआइ के छात्र प्रभात रंजन उर्फ सुजीत कुमार (28 वर्ष) ने शुक्रवार को संस्थान परिसर में ही सल्फास की गोली खा ली. उसने सुसाइड नोट में संस्था के निदेशक को इसका जिम्मेवार ठहराया. उसने सुसाइड नोट में लिखा कि संचालक ने उसे पास करने व […]

पटना: हनुमान नगर में न्यू बाइपास के पास स्थित तथागत आइटीआइ के छात्र प्रभात रंजन उर्फ सुजीत कुमार (28 वर्ष) ने शुक्रवार को संस्थान परिसर में ही सल्फास की गोली खा ली. उसने सुसाइड नोट में संस्था के निदेशक को इसका जिम्मेवार ठहराया.

उसने सुसाइड नोट में लिखा कि संचालक ने उसे पास करने व नौकरी देने के नाम पर 90 हजार रुपये ले लिये, लेकिन कोई काम नहीं किया. उसके सहपाठियों ने पहले उसे न्यू बाइपास पर आर्किड हॉस्पिटल, उसके बाद राजेश्वर नर्सिग होम में भरती कराया, जहां इलाज के दौरान शनिवार को उसकी मौत हो गयी. मृतक के भाई वेद प्रकाश ने पत्रकार नगर थाने को घटना की जानकारी दी, तो वहां कोई सुनवाई नहीं हुई. तब बड़े भाई कौशलेंद्र कुमार व भाभी ने एसएसपी मनु महाराज के पास पहुंच कर इसकी जानकारी दी. एसएसपी से निर्देश मिलने के बाद तुरंत पत्रकार नगर थानाध्यक्ष दीवान इकराम खां राजेश्वर नर्सिग होम पहुंचे. रविवार को शव का पोस्टमार्टम होगा.

डीएसपी सदर मुत्तफीक अहमद ने बताया कि संस्थान के निदेशक समेत उन सभी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है, जिनके नाम सुसाइड नोट में हैं. बड़े भाई कौशलेंद्र ने बताया कि प्रभात प्रति दिन की तरह शुक्रवार को भी संस्थान गया था, जहां करीब एक बजे उसने सल्फास की गोली खा ली थी. इसके बाद उसने रांची में रहनेवाले बड़े भाई मनोज को फोन से बताया. मनोज ने तुरंत यह बात कौशलेंद्र को बतायी. इधर सहपाठी व भाई वेद प्रकाश उसे इलाज के लिए आर्किड हॉस्पिटल ले गये. वहां से राजेश्वर नर्सिग होम में भरती कराया, जहां उसकी मौत हो गयी.

किस्तों में चुकाये पैसे : प्रभात नवादा के काशीचक का रहनेवाला था. वह अपने भाई वेद प्रकाश के साथ कंकड़बाग के एमआइजी 136 में किराये के मकान में रहता था. उसने सत्र 2012-14 में इलेक्ट्रिकल ट्रेड में नामांकन लिया था. प्रभात ने सुसाइड नोट में संस्थान में एडमिशन के लिए दिये गये पैसों का जिक्र तिथि व समय के साथ किया है. उसने छह किस्तों में 50 हजार रुपये राजकुमार को दिये थे. इसके अलावा चार सेमेस्टर के चार्ज के रूप में दो अप्रैल, 2014 को दो हजार दिये थे. इसके बावजूद कहा गया कि तुम्हारा फॉर्म हम नहीं भरेंगे, तुमको जो करना है कर लो. 57 हजार देने के बाद भी फॉर्म नहीं भरा गया. संस्थान के निदेशक बबलू सिंह ने नौकरी लगाने के नाम पर भी 40 हजार रुपये ले लिये और कहा कि 90 हजार और दोगे, तभी नौकरी मिलेगी. अगर पैसा नहीं दोगे, तो जान से मार दिया जायेगा. उसने लिखा है, मुङो बबलू सिंह, राज कुमार व बड़ा बाबू मिल कर मारते भी थे. उधर, निदेशक बबलू सिंह ने बताया कि सारे आरोप मनगढ़ंत और निराधार हैं.

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