पटना : बिहार में बीज विक्रेता कंपनियां चांदी काट रही हैं. केवल अपवाद कंपनियों को छोड़ दें तो अधिकतर ने अपने बीजों को बिहार में बेचने की अनुमति नहीं ली है. ये कंपनियां बीजों के एक विशेष पैटर्न ‘ट्रुथ फुल ‘ का लेबल लगाकर बिहार में धड़ल्ले से गुणवत्ता शून्य या संदिग्ध गुणवत्ता का बीज खपा रही हैं. दरअसल बीज सत्यापन का अनोखा पैटर्न है. इसमें बीज उत्पादक कंपनियां अपनी रिस्क पर बीज बेचती हैं. वो अपने पैकिंग पर ‘ट्रुथ फुल’ या ‘सत्यापित’ लिखकर समूची कानूनी औपचारिकताओं से मुक्त हो जाती हैं. इस तरह के बीज केवल भगवान भरोसे चल रहे हैं. गजब की बात ये है
कि ये सत्यापन किस एजेंसी से कराया, इसके बताने के लिए कंपनी बाध्य नहीं है. कथित रूप से सत्यापित इन बीजों को बिहार में किसी भी बीज को बिना अनुमति के खपाया जा सकता है. समूचे बीज बाजार ऐसे ही बीजों से पटा हुए हैं. सरकारी एजेंसियां चुप्पी साधे हुए हैं. रंग बिरंगी आकर्षक पैकेजिंग में सजा बीजों का बाजार पर सैंपलिंग के लिए अव्वल तो टीम पहुंचती नहीं, जाती भी है तो वह केवल औपचारिकता ही पूरी करती है.
उत्तरप्रदेश, पंजाब और दिल्ली के बीज निर्माता काट रहे चांदी : पटना के बीज बाजार में प्रभात खबर के सर्वेक्षण से ये बात साफ हो गई कि बीज उत्पादक कंपनियों में एक भी बिहार की नहीं है. अधिकतर कंपनियां यूपी, पंजाब, दिल्ली और दक्षिण भारत की हैं. इसके अलावा कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी सक्रिय हैं. बिहार में किसी भी कंपनी के बीज विक्रय पर कोई पाबंदी नहीं है,
जबकि नियमानुसार कृषि विभाग को चाहिए कि वह उन्हीं बीजों को बाजार में उतरने की अनुमति दे जो बिहार के क्लाइमेट और भूमि पर ठीक ढंग से हो सके. हालात ये हैं कि विभाग के पास रजिस्ट्रेशन के लिए केवल उन्हीं बीज उत्पादक कंपनियों के आवेदन अा रहे हैं, जो अनुदानित बीज बेचती हैं. इन पर जरूर टेग लगा होता है.
नहीं है कानूनी प्रतिबंध
ट्रुथ फुल लेवल पैटर्न के आधार पर बीज कंपनियां बिना किसी रजिस्ट्रेशन के बाजार में अपना उत्पादन बेचने के लिए स्वतंत्र हैं. इस पर कानूनी प्रतिबंध नहीं है. इस पर खास ध्यान देना चाहिए. हालांकि नियमानुसार बीज उत्पादक कंपनियों को टेस्टिंग के बाद ही बीज विक्रय की अनुमति मिलती है. बेशक इनकी संख्या कम ही है.
मिलन राॅस, डिप्टी डाइरेक्टर , सीड विश्लेषक कृषि विभाग, पटना
सर्टिफाइड होना जरूरी
बाजार में प्रत्येक बीज मंजूरी पर बिकना चाहिए. उसका सर्टिफाइड होना अनिवार्य है. अगर गैर अधिकृत बीज बेचे जा रहे हैं, तो उन विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. जहां तक बीज विक्रेता कंपनियों को अनुमति का सवाल है तो विभागीय कमेटी है, जो हर साल लाइसेंस जारी करती है.
उमेश कुमार चौधरी, ज्वाइन डाइरेक्टर, पटना डिवीजन
समूचे बिहार में रवाना हुए अफसर, कमेटी की गयी गठित
पटना सहित बिहार के तमाम जिलों में मक्के की फसल में बीज न आने पर चिंतित सरकार के अफसर अब दौरे पर हैं. कृषि विभाग के आला अफसर मसलन प्रमुख सचिव, डाइरेक्टर्स और दूसरे अफसर कई जिलों के भ्रमण पर निकले हैं. ताकि फसल से जुड़े इस नए संकट से पार पाया जा सके. इधर शासन ने मुंगेर परिक्षेत्र के ज्वाइन डाइरेक्टर के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बना दी है.
इसमें पूर्णिया, सहरसा के वरिष्ठ अफसर और पूसा के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शामिल हैं. ज्वाइंट डाइरेक्टर पटना उमेश कुमार चौधरी ने बताया कि पटना परिक्षेत्र में मक्के की फसल में बीज न आने की सूचना पर कृषि उप संचालक को जांच करने के लिए निर्देशित किया गया है. चौधरी के मुताबिक अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि बीज की खराबी से मक्के में दाने नहीं आए या पर्यावरणीय प्रभाव से हुआ है.