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क्लिनिक में युवती से छेड़खानी का आरोप, डॉ की गिरफ्तारी नहीं सिर्फ प्राथमिकी

पटना: छेड़खानी के आरोपित पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ अमरकांत झा अमर को पुलिस ने मंगलवार की पूरी रात गांधी मैदान थाने के रेस्ट हाउस में रखा और बुधवार की सुबह पीरबहोर थाने की पुलिस ने उन्हें नोटिस थमा कर घर जाने की इजाजत दे दी. नोटिस में उन्हें जमानत लेने का निर्देश दिया गया है. […]

पटना: छेड़खानी के आरोपित पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ अमरकांत झा अमर को पुलिस ने मंगलवार की पूरी रात गांधी मैदान थाने के रेस्ट हाउस में रखा और बुधवार की सुबह पीरबहोर थाने की पुलिस ने उन्हें नोटिस थमा कर घर जाने की इजाजत दे दी. नोटिस में उन्हें जमानत लेने का निर्देश दिया गया है.

एसएसपी मनु महाराज ने स्पष्ट किया कि झा की गिरफ्तारी नहीं की गयी है, बल्कि सुरक्षा के ख्याल से उन्हें क्लिनिक से लाकर रात भर गांधी मैदान थाने के पुलिस रेस्ट हाउस में रखा गया. डॉ अमरकांत झा ने भी कहा है कि पुलिस ने मुङो गिरफ्तार नहीं किया, बल्कि मेरी जान बचायी.

पुलिस का कहना है कि क्लिनिक के बाहर लोगों की भीड़ जुट गयी थी और उन्हें बाहर निकालने का दबाव बनाया जा रहा था. स्थिति काफी खराब हो गयी थी. अगर पुलिस उन्हें अपने साथ नहीं ले जाती, तो अप्रिय घटना हो सकती थी. डॉ अमरकांत ने भी कहा कि जैसा माहौल बना था. शायद मेरी जान भी चली जाती, लेकिन पुलिस हिफाजत करते हुए गांधी मैदान थाने तक ले गयी. क्लिनिक से निकलने के बाद पुलिस की गाड़ी पर पथराव भी हुआ, लेकिन किसी को चोट नहीं आयी. उन्होंने कहा कि जिस लड़की ने मेरे ऊपर मामला बनाया है, वह इलाज कराने आयी थी. उसका लेजर करना था.

इसी बीच लड़की बाहर निकली और साथ में महिला को लेकर आयी. उसने पैसा कम करने की बात कही. हमने कंपाउंडर को कहा बिल कम करके बनाना, लेकिन उसके रुपये जमा नहीं किये. मुङो इसकी जानकारी इलाज करने के बाद हुई. कंपाउंडर के साथ कुछ पैसे को लेकर बहस भी हुई. मैंने उसे जाने को कहा. इतने में लड़की बाहर निकली, तो कर्मचारियों ने बताया कि करीब 300 लोग क्लिनिक के बाहर हैं. इसके बाद मैंने पुलिस को जानकारी दी. पुलिस पहुंची और मुङो ऊपर जाने को कहा. हंगामा कम होने के बाद पीरबहोर थाने के लिए निकले, लेकिन वहां भीड़ थी. इस कारण गांधी मैदान थाना गेस्ट हाउस में मुङो रखा गया. सुबह में मुङो चाय, ब्रश व दाढ़ी बनाने का किट दिया. लगभग 12 बजे मुङो वहां से जाने को कहा गया.

उन्होंने कहा कि अखबारों (प्रभात खबर नहीं) में छपी यह खबर कि हमें देर रात गिरफ्तार कर लिया गया है, बिल्कुल गलत है. इसको लेकर मैं अपने वकील से बात करूंगा. यदि वकील सलाह देंगे, तो मैं अखबारों पर मानहानि का मुकदमा करूंगा. उन्होंने कहा कि मीडिया ने हमारा ट्रायल कर दिया है और इसको लेकर मेरी बहुत बदनामी हुई है.

क्या है आइपीसी की धारा 354(ए)
आइपीसी की धारा 354 (ए) में शिकायत की जाती है कि छेड़खानी के दौरान शरीर को भी स्पर्श किया गया है. धारा में अधिकतम दो साल की सजा हो सकती है. इस धारा में पहले थाने से ही जमानत का प्रावधान था, लेकिन दिल्ली की दामिनी गैंगरेप घटना के बाद छेड़खानी से जुड़ी तमाम धाराओं को गैर जमानतीय धारा में तब्दील कर दिया गया और थाना से जमानत देने का अधिकार भी खत्म कर दिया गया.

पुलिस ने क्यों की ऐसी कार्रवाई . पुलिस ने सीआरपीसी 41 में संशोधन के बाद बने नियमों के अनुसार कार्रवाई की है. उक्त संशोधन में इस बात का जिक्र है कि वैसी धाराएं, जिनमें सात साल से नीचे की सजा है, बिना साक्ष्य या फिर उक्त व्यक्ति के आपराधिक चरित्र के होने की पुष्टि के बिना किसी की गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है. ऐसे मामलों में नोटिस देकर आरोपित को जमानत लेने का नियम है. पीएमसीएच के प्राचार्य के खिलाफ अनुसंधान में फिलहाल ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है, जो उनके दोष को साबित करता है. वे आपराधिक चरित्र के भी नहीं हैं. इसी आधार पर प्राचार्य को नोटिस दे कर जमानत का निर्देश दिया गया है.

क्या है नोटिस में
प्राचार्य को दिये गये नोटिस में कहा गया है कि आपके खिलाफ पीरबहोर थाने में कांड संख्या 137/14 दर्ज किया गया है. आइपीसी की धारा 354 (ए) लगाया गया है. आपको जमानत करवाने का निर्देश दिया जाता है.

क्या थी युवती की शिकायत.
युवती ने प्राचार्य के खिलाफ पीरबहोर पुलिस को जानकारी दी थी कि डॉक्टर ने पहले उसके गाल पर दवा लगायी. बाद में शरीर को छूने लगे. उन्होंने फिर से मुंह धोकर आने को कहा. जब वह आयी, तो फिर दवा लगाने के साथ छेड़छाड़ करने लगे.

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