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जंग लगे हथियार से रखवाली

10 साल से गोदाम में पड़ी बोल्ट व थ्री नॉट थ्री राइफलें होमगार्डो को थमायीं चुनाव में सात हजार राइफलों का हो रहा उपयोग सेना में हो चुका है बंद, पुलिस भी नहीं करती इस्तेमाल पटना : लोकसभा चुनाव में बोल्ट एक्शन व थ्री नॉट थ्री राइफल फिर एक्शन में आ गयी है. वजन व […]

10 साल से गोदाम में पड़ी बोल्ट व थ्री नॉट थ्री राइफलें होमगार्डो को थमायीं

चुनाव में सात हजार राइफलों का हो रहा उपयोग

सेना में हो चुका है बंद, पुलिस भी नहीं करती इस्तेमाल

पटना : लोकसभा चुनाव में बोल्ट एक्शन व थ्री नॉट थ्री राइफल फिर एक्शन में आ गयी है. वजन व मारक क्षमता को देखते हुए उक्त हथियार का प्रचलन 10 वर्षो से बंद है. होमगार्ड के जवान उक्त राइफल से लैस होंगे. इसके लिए पुलिस विभाग ने लगभग सात हजार राइफलें गृहरक्षक वाहिनी को उपलब्ध करायी हैं, जिनकी बदौलत होमगार्ड के जवान इवीएम मशीन व बूथों की सुरक्षा करेंगे. बोल्ट एक्शन 7.62 व थ्री नॉट थ्री राइफल का उपयोग अंगरेज के शासन काल में किया जाता था.

अंगरेजों ने बोल्ट राइफल का उपयोग 1920 के असहयोग आंदोलन, 1930 के मथुरा नमक सत्याग्रह व 1942 के वृंदावन गोली कांड में किया था. प्रथम विश्व युद्ध 1914-1918 मेंबोल्ट राइफल से अधिक मारक क्षमतावाली थ्री नॉट थ्री राइफल अंगरेज जवानों के हाथ में आ गयी, जबकि भारत में यह राइफल द्वितीय विश्व युद्ध 1939-1945 के दौरान आयी और इसका उपयोग अंगरेजों ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिए किया था. 1947 में भारत आजाद होने के बाद उक्त हथियार भारतीय सेना के हाथों में आ गया. 1965 में चीन से लड़ाई के बाद उक्त हथियार बेकार साबित हुआ. इसके बाद उसे पुलिस को सौंप दिया गया.

1995 से उपयोग नहीं

1995 में बोल्ट एक्शन राइफल पूरी तरह से बंद कर दिया गया, जबकि 2005 में थ्री नॉट थ्री का आंशिक उपयोग होने लगा. देश में लगातार आतंकी व नक्सली हमला को देखते हुए पुलिस बल इंसास व एके 47 व 56 राइफल से लैस किया गया है.

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