पटना: बिहार के विश्वविद्यालयों में 15 छात्रों पर एक शिक्षक का अनुपात सुनिश्चित करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए विवि में 10 हजार नये असिस्टेंट प्रोफेसरों की जरूरत पड़ेगी. अगर विश्वविद्यालयों में रिक्त पड़े करीब साढ़े तीन हजार पदों पर नियुक्ति हो भी जाती है, तो विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी बरकरार रहेगी.
पिछले 11 सालों से विश्वविद्यालयों से न तो शिक्षकों की नियुक्ति हुई है और न ही स्वीकृत पदों की संख्या भी बढ़ायी गयी है. सिर्फ छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 11 सालों में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में करीब दो लाख छात्रों की बढ़ोतरी हुई है. इसको लेकर शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों में 10 हजार नये शिक्षकों के पदों को सृजित करने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इसमें 15 छात्रों पर एक शिक्षक देने का प्रावधान किया जा रहा है.
इसके लिए 10 हजार शिक्षकों के पद स्वीकृत करने की आवश्यकता पड़ रही है. सूत्रों की मानें, तो विश्वविद्यालयों के रिक्त पदों पर और इसके बाद बैकलॉग पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति करने के बाद नयी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी. विभाग विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या और छात्र-छात्राओं की संख्या का आकलन कर रहा है. नयी नियुक्ति से पहले विश्वविद्यालयों के रिक्त पदों पर बीपीएससी के जरिये असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति होनी है. इसके बाद पूर्व से चले आ रहे बैकलॉग को भरना भी शिक्षा विभाग के लिए चुनौती होगी. सूबे में चार चरणों में संबद्ध डिग्री कॉलेजों का अधिग्रहण किया गया था. इसमें पहले किसी प्रकार के आरक्षण नियमों का पालन नहीं हुआ था. कॉलेजों के अधिग्रहण के बाद दो बार व्याख्याताओं की नियुक्ति तो हुई, लेकिन बैकलॉग को आगे नहीं बढ़ाया गया.