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हेमंत ने दी विपक्ष को मात, जीता विश्वास प्रस्ताव

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया. सोरेन ने पांच दिन पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. झामुमो गठबंधन को मतविभाजन में 82 सदस्यीय विधानसभा में 43 मत जबकि विपक्ष को 37 मत मिले. सरकार को झामुमो के […]

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया. सोरेन ने पांच दिन पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. झामुमो गठबंधन को मतविभाजन में 82 सदस्यीय विधानसभा में 43 मत जबकि विपक्ष को 37 मत मिले.

सरकार को झामुमो के 18, कांग्रेस के 13, राजद के पांच और सात निर्दलीयों और अन्य छोटे दलों के विधायकों को मिलाकर कुल 43 विधायकों का समर्थन मिला जबकि वहीं विपक्ष को भाजपा के 17, झाविमो के 11 में से 10, आजसू के छह, भाकपा माले के एक विनोद सिंह, दो जदयू और एक मनोनीत विधायकों को मिलाकर कुल 37 मत मिले.

विपक्ष के 38 विधायकों में से एक झाविमो के निजामुद्दीन अंसारी ऐन मौके पर विधानसभा नहीं पहुंचे और लापता हो गये हैं जिससे विपक्ष के विधायकों की संख्या सिर्फ 37 रह गयी. दावा पेश किये जाने के बाद 13 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले सोरेन ने विश्वास मत जीतने के बाद कहा, ‘‘मैंने राज्यपाल सैयद अहमद को 43 विधायकों के समर्थन की सूची दी थी और अब हमने उसे साबित कर दिया है.’’

झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के विधायक निर्भय सहाबादी ने बताया कि विश्वासमत पर मतदान के दौरान झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) विधायक निजामुद्दीन अंसारी अनुपस्थित थे. विधानसभाध्यक्ष सी पी सिंह ने मतदान नहीं किया क्योंकि टाई नहीं था. हत्या के एक मामले में आजीवन कारवास की सजा काट रहे कांग्रेस के विधायक सावना लकड़ा ने झामुमो सरकार के पक्ष में मतदान किया. विधानसभाध्यक्ष ने मतदान करने या नहीं करने का निर्णय लकड़ा के विवेक पर छोड़ दिया था. इससे पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में विश्वास मत पेश किया. विश्वास मत की कार्यवाही का संचालन विधानसभा अध्यक्ष चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह ने किया.

विपक्ष के नेता अर्जुन मुंडा ने विश्वास मत पर चर्चा के दौरान आरोप लगाया कि कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य में बार बार सरकारें गिराकर इसे राजनीति की प्रयोगशाला बना दिया है. विपक्ष ने एक याचिका दायर करके मांग की थी कि लकड़ा को मतदान की प्रक्रिया में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के मद्देनजर इजाजत नहीं दी जानी चाहिए जिसमें उसने कहा था कि यदि कोई भी व्यक्ति जेल या पुलिस हिरासत में है तो वह किसी भी चुनाव में मतदान नहीं करेगा.

फरार चल रहे झामुमो विधायक नलिन सोरेन और सीता सोरेन ने सरकार के पक्ष में मतदान किया. नलिन सोरेन उच्चतम न्यायालय से जमानत लेने के बाद विधानसभा पहुंचे. वहीं सीता सोरेन सुबह ही विधानसभा में आ गयी थीं. झामुमो सूत्रों के अनुसार सीता सोरेन ने वर्ष 2012 के राज्यसभा खरीद फरोख्त मामले से संबंधित अपहरण के एक मामले में कुछ समय पहले उच्चतम न्यायालय से जमानत प्राप्त की थी.

दोनों विधायकों को कल तक नहीं देखा गया था. झारखंड उच्च न्यायालय दोनों विधायकों को गिरफ्तार करने में असफलता को लेकर पुलिस की खिंचाई कर चुका था. इस बीच विपक्षी झारखंड विकास मोर्चा के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि उनके विधायक निजामुद्दीन अंसारी का सरकार के लोगों ने अपरहण करा लिया है जिसके चलते वह सदन में नहीं पहुंच सके हैं. उन्होंने व्यवस्था का प्रश्न उठाकर इस मामले में सरकार से जवाब की मांग की.

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