जब ओलंपिक स्वर्ण जीतने से पहले बिंद्रा ने ‘पिज्जा पोल” की मदद ली

नयी दिल्ली : भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी अभिनव बिंद्रा की ‘उत्कृष्टता’ हासिल करने की सनक ने उन्हें जर्मनी में 40 फीट उंचे ‘पिज्जा पोल’ की चढाई करने के लिये बाध्य कर दिया जिससे यह निशानेबाज अपने ‘भय’ पर फतह हासिल कर 2008 बीजिंग ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 27, 2016 4:39 PM

नयी दिल्ली : भारत के पहले व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी अभिनव बिंद्रा की ‘उत्कृष्टता’ हासिल करने की सनक ने उन्हें जर्मनी में 40 फीट उंचे ‘पिज्जा पोल’ की चढाई करने के लिये बाध्य कर दिया जिससे यह निशानेबाज अपने ‘भय’ पर फतह हासिल कर 2008 बीजिंग ओलंपिक में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहा.

बिंद्रा तब 26 वर्ष के थे, उन्होंने ओलंपिक फाइनल के दौरान खुद पर हावी होने वाले डर पर फतह हासिल करने की कोशिश के तहत वह चीज आजमाने की कोशिश की जो जर्मनी का विशेष बल सामान्य रुप से अपनाता है. और इसका उन्हें फायदा भी हुआ. पत्रकार दिग्विजय सिंह देव और अमित बिंद्रा की किताब ‘माई ओलंपिक जर्नी’ में बिंद्रा ने कहा, ‘‘मैं म्यूनिख से बीजिंग गया था.

ऐसा इसलिये क्योंकि ओलंपिक से रवाना होने से कुछ दिन पहले मैंने अपनी ‘कम्फर्ट जोन’ से निकलने का फैसला किया. मैंने ‘पिज्जा पोल’ की चढाई करने का फैसला किया, जिसका इस्तेमाल जर्मनी का विशेष बल करता है. यह 40 फुट उंचा स्तंभ है. जैसे ही इसके उपरी हिस्से में चढ़ते रहे तो यह छोटा होता जाता है और अंत में शिखर पर इसकी सतह पिज्जा के डब्बे के माप की हो जाती है. ‘

बिंद्रा ने कहा, ‘‘मैंने इसपर चढ़ना शुरू कर दिया और आधे रास्ते में मुझे लगा कि मैं आगे नहीं चढ़ सकता. लेकिन यह काम करने का कारण यही था. मुझे अपने भय पर पार पाना था, यही भय ओलंपिक फाइनल के दौरान मुझ पर हावी हो सकता था. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सुरक्षित तारों से जुड़ा हुआ था, पर मैं बहुत डर गया था. लेकिन फिर भी मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया और अंत में शीर्ष पर पहुंच गया, जहां मैं कांप रहा था. ‘

बिंद्रा ने कहा कि 2004 एथेंस ओलंपिक में बाहर हो जाने के बाद वह सदमे में आ गये थे. उन्होंने कहा, ‘‘यह पिज्जा पोल का अनुभव काफी शानदार रहा क्योंकि मैं अपने हुनर और सहनशीलता की सीमाओं को बढ़ाने में सफल रहा जो एक ओलंपिक चैम्पियन के लिये काफी जरुरी होता हैं. ‘

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