बड़ी बहस, माराडोना महान या मेसी

सैंटियागो : अर्जेंटीना की कोपा अमेरिका फाइनल में चिली के हाथों पेनल्टी शूटआउट में हार से फिर से यह बहस छिड गयी है कि डियगो माराडोना महान हैं या लियोनेल मेसी. मेसी ने अब तक अर्जेंटीना को एक भी खिताब नहीं दिलाया. एक साल पहले उनकी अगुवाई में टीम ब्राजील में खेले गये विश्व कप […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 5, 2015 4:48 PM

सैंटियागो : अर्जेंटीना की कोपा अमेरिका फाइनल में चिली के हाथों पेनल्टी शूटआउट में हार से फिर से यह बहस छिड गयी है कि डियगो माराडोना महान हैं या लियोनेल मेसी. मेसी ने अब तक अर्जेंटीना को एक भी खिताब नहीं दिलाया. एक साल पहले उनकी अगुवाई में टीम ब्राजील में खेले गये विश्व कप के फाइनल में जर्मनी से हार गयी थी और अब कोपा अमेरिका में उनकी टीम को मुंह की खानी पडी.

मेसी का क्लब स्तर पर बार्सिलोना की तरफ से शानदार रिकार्ड रहा है जिसके कारण कई उन्हें पेले और माराडोना की बराबरी का फुटबॉलर मानते हैं. लेकिन यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश को सम्मान दिलाने की बात आती है तो मेसी अब तक अर्जेंटीना को कोई खिताब नहीं दिला पाये हैं जबकि माराडोना ने 1986 में अपने दम पर उसे विश्व कप दिलाया था.

आंकडों के हिसाब से मेसी लगभग हर विभाग में माराडोना पर भारी पडते हैं. उन्होंने अब तक 103 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 46 गोल दागे हैं जबकि माराडोना के नाम पर 91 मैचों में 34 गोल दर्ज हैं. क्लब स्तर पर मेसी ने 482 मैचों में 412 गोल किये हैं जबकि माराडोना ने 588 मैचों में 312 गोल दागे थे.
मेसी ने बार्सिलोना की तरफ से तीन यूरोपीय कप जीते जबकि माराडोना कभी इस मशहूर ट्रॉफी को अपने नाम के आगे नहीं लिखवा पाये. मेसी को चार बार विश्व का वर्ष का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर चुना गया जबकि माराडोना केवल एक बार यह सम्मान हासिल कर पाये.
लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिताब हासिल करने की बात आती है तो माराडोना के सामने मेसी उन्नीस पड जाते हैं.
मेसी ने भले ही पिछले साल ब्राजील में अर्जेंटीना को फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी थी लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी उपलब्धियां कभी उस स्तर की नहीं रही जैसे कि माराडोना ने 1986 विश्व कप में हासिल की थी.
माराडोना ने मैक्सिको में खेले गये विश्व कप में अपने दम पर अर्जेंटीना को चैंपियन बना दिया था. उन्होंने एकल प्रयास से अपनी टीम को इंग्लैंड और बेल्जियम पर जीत दिलायी थी. यहां तक की फाइनल में भी निर्णायक गोल के लिये उन्होंने ही पास दिया था.
मेसी ऐसा जादू बिखेरने में नाकाम रहे.
पिछले साल के विश्व कप फाइनल और कोपा अमेरिका फाइनल में उन्होंने गोंजालेज हिगुएन के लिये मौके बनाये लेकिन दोनों अवसरों पर यह स्ट्राइकर उनका फायदा नहीं उठा पाया था. यदि इन दोनों मौकों पर गोल हो जाते तो अर्जेंटीना को हार के बजाय जीत मिलती और फिर मेसी को माराडोना और पेले की श्रेणी में रखने में किसी को संदेह नहीं होता.

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