तोक्यो ओलंपिक से पहले मीराबाई चानू को सता रहा है चोटिल होने का डर

नयी दिल्ली : भारत की शीर्ष भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने मंगलवार को कहा कि कमर की तकलीफ से उबरने के बावजूद वह अगले साल होने वाले तोक्यो ओलंपिक से पहले खुद को चोटिल करने के डर के साये में जी रही हैं. कमर में तकलीफ के कारण 2018 में मीराबाई कई अहम प्रतियोगिताओं में हिस्सा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 16, 2019 5:28 PM

नयी दिल्ली : भारत की शीर्ष भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने मंगलवार को कहा कि कमर की तकलीफ से उबरने के बावजूद वह अगले साल होने वाले तोक्यो ओलंपिक से पहले खुद को चोटिल करने के डर के साये में जी रही हैं.

कमर में तकलीफ के कारण 2018 में मीराबाई कई अहम प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाई थी. पिछले साल राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद मीराबाई ने कमर में तकलीफ की शिकायत की थी. इस चोट से देश के चिकित्सक भी हैरान रह गए थे क्योंकि वह इसका कारण नहीं खोज पाए थे और इस 24 वर्षीय खिलाड़ी को एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप से बाहर होना पड़ा था.

मीराबाई ने कहा, चोट के बाद काफी कुछ बदल गया. हमेशा डर बना रहता है कि अगर मैं दोबारा चोटिल हो गई तो क्या होगा. हर बार भार उठाने और प्रत्येक ट्रेनिंग सत्र से पूर्व मुझे दो बार सोचना पड़ता है. लगभग नौ महीने बाद दर्द कम होने पर मीराबाई ने खेल में सफल वापसी की. उन्होंने वापसी करते हुए थाईलैंड में अपने पहले टूर्नामेंट ईजीएटी कप में स्वर्ण पदक जीता.

इस बीच के बाद मीराबाई और कोच विजय शर्मा को ट्रेनिंग में बदलाव करना पड़ा. मीराबाई ने कहा, मेरा तरीका बदल गया है क्योंकि हमें नहीं पता कि दर्द क्यों हुआ था. यह किसी व्यायाम के कारण था या मेरी तकनीक के कारण, हमें अब भी यह नहीं पता.शर्मा ने कहा, वह चीजों पर धीरे धीरे आगे बढ़ रही है. वापसी के साथ बात मीराबाई का प्रदर्शन अच्छा रहा है. वह अप्रैल में एशियाई चैंपियनशिप में मामूली अंतर से पदक से चूक गई थी. मीराबाई ने प्रतियोगिता में कुल 199 किग्रा (86 और 113 किग्रा) वजन उठाया था, लेकिन चीन की झेंग रोंग से पिछड़ गई थी.

झेंग ने भी इतना ही वजन उठाया था, लेकिन क्लीन एवं जर्क में अधिक भार उठाने के कारण चीन की खिलाड़ी को पदक मिला. मीराबाई ने हाल में संपन्न राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता.

उन्होंने कहा, चोट के बाद से मेरी प्रगति अच्छी रही है. मैंने ईजीएटी में स्वर्ण पदक जीता और फिर राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में भी. मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हूं. मणिपुर की इस भारोत्तोलक की नजरें अब सितंबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप पर टिकी हैं जहां उन्होंने 2017 में खिताब जीता था.

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