विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में एक से ज्यादा पदक जीत सकता है भारत : विजेन्दर

नयी दिल्ली : आठ वर्ष पहले मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप में भारत के लिये पहला कांस्य पदक जीत इतिहास रचने वाले मुक्केबाज विजेन्दर सिंह ने उम्मीद जतायी कि 25 अगस्त से जर्मनी के हैम्बर्ग में शुरू हो रही विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में भारतीय मुक्केबाज एक से ज्यादा पदक जीत सकते हैं. बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 22, 2017 4:43 PM

नयी दिल्ली : आठ वर्ष पहले मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप में भारत के लिये पहला कांस्य पदक जीत इतिहास रचने वाले मुक्केबाज विजेन्दर सिंह ने उम्मीद जतायी कि 25 अगस्त से जर्मनी के हैम्बर्ग में शुरू हो रही विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में भारतीय मुक्केबाज एक से ज्यादा पदक जीत सकते हैं.

बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले विजेन्दर ने 2009 में मिलान में हुई 15वीं विश्व चैम्पियपशिप में पदक जीता था. इसके बाद 2011 और 2015 में विकास कृष्णा और शिव थापा क्रमश: ने इस चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता था. विजेन्दर ने कहा, इस बार चैंपियनशिप में काफी अनुभवी मुक्केबाज हिस्सा ले रहे हैं. मैं भी उस टीम का हिस्सा रहा हूं जिसमें शिव थापा, विकास कृष्णा और मनोज कुमार शामिल थे. मैं उन्हें अच्छे से जानता हूं.

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इन खिलाडियों में क्षमता है कि ये देश के लिये एक से ज्यादा पदक जीत सके. अगर वे पूरी क्षमता से खेलेंगे तो मुझे लगता है कि इस बार एक से ज्यादा पदक जीतने की पूरी संभावना है. उन्होंने कहा, इससे पहले इन खिलाडियों ने बड़े स्तर पर कई मुकाबलों में शानदार खेल दिखाया है और उन्हें पता है कि वहां क्या करना है. मैं उन्हें कुछ सुझाव नहीं दे सकता लेकिन उन्हें काफी एकाग्र होना होगा.
इस वर्ष एशियाई चैम्पियनशिप के जरिये क्वालीफाई करने वाले विकास (75 किग्रा) और शिवा (60 किग्रा) के साथ अमित फांगल (49 किग्रा), कविन्द्र बिष्ट (52 किग्रा), गौरव बिधुडी (56 किग्रा), मनोज कुमार (69 किग्र), सुमित सांगवान (91 किग्रा) और सतीश कुमार (91 किग्रा से अधिक) हैम्बर्ग पहुंच चुके है.
अमेच्योर मुक्केबाजी में देश के लिये कई पदक जीतने के बाद 2015 में पेशेवर बने विजेन्दर ने अब तक अपने सारे मुकाबले के साथ साथ दो खिताब भी जीते है. उन्होंने कहा, मिलान में कांस्य पदक जीतना मेरे करियर के शानदार अनुभवों में से एक था क्योंकि इससे मैं अपने आलोचकों को जवाब दे सका, जिन्हें लगता था कि बीजिंग में मेरा कांस्य पदक तुक्के से मिला था. लोग मुझ पर आरोप लगाने लगे थे कि ओलंपिक पदक के बाद मैंने मेहनत करना छोड़ दिया था.
विजेन्दर ने कहा कि वह ओलंपिक और विश्प चैम्पियनशिप से पहले एकांत में रहना पसंद करते थे ताकि मुकाबले पर ज्यादा ध्यान दे सके. उन्होंने कहा, मेरे लिये किसी बड़े टूर्नामेंट से पहले एकाग्रता काफी जरुरी है इसलिये मैं खुद को बाहरी दुनिया से अलग कर लेता हूं. उन्होंने कहा, खिलाड़ी से हमेशा उम्मीदें रहती है और मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं कि जो खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, वे इस बात से वाकिफ हैं. लेकिन मेरे लिये सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मैं इस बात को अपने दिमाग में नहीं बिठाउं. मेरा दिमाग पूरी तरह रिंग पर लगा होता है.
मिडिलवेट मुक्केबाजी की विश्व रैंकिंग में पहले पायदान पर रहे विजेन्दर ने इस चैम्पियनशिप के लिये अपना पसंदीदा मुक्केबाज चुनने से इनकार कर दिया लेकिन उन्होंने शिव थापा की तारीफ करते हुये कहा, उसने अपने खेल को बेहतरीन तरीके से निखारा है और वह बहुत सुलझा हुआ मुक्केबाज है. मुक्केबाजी में शिव के विकास से मैं काफी प्रभावित हूं. चौबीस साल के शिव एशियाई चैम्पियनशिप में लगातार तीन पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं.

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