National Sports Day 2021: देश हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाता है. यह दिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश के राष्ट्रपति, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे अवार्ड नामित लोगों को देते हैं. हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद (Major Dhyanchand) ने अपने आखिरी ओलिंपिक चोट खाकर भी देश को मेडल जिताया था. भारतीय खिलाड़ी के इस जज्बे को देख हिटलर (Adolf Hitler) भी उनका मुरीद हो गया था.
बता दें कि भारत ने 1936 में हॉकी (Hockey) में अपनी गोल्डन हैट्रिक पूरी की थी. 15 अगस्त 1936 बर्लिन (Berlin) में हुए इन ओलिंपिक खेलों में भारत ने मेजबान जर्मनी (Germany) को मात देकर जीत हासिल की थी. बता दें कि उन दिनों जैसे-जैसे बर्लिन ओलिंपिक नजदीक आ रह था वैसे-वैसे उनके खेल में धार बढ़ती ही जा रही थी. 1936 बर्लिन ओलिंपिक से पहले जर्मनी के अखबारों में भारतीय हॉकी के किस्से छप रहे थे और ध्यानचंद और रूप सिंह का खेल देखने के लिए पूरा जर्मनी बेताब हुआ जा रहा था.
ओलिंपिंक शुरू होने से 13 दिन पहले 17 जुलाई, 1936 को जर्मनी के साथ भारत को प्रैक्टिस मैच खेलना था. इस मैच में भारत ने जर्मनी को 4-1 से हराया. देश की आजादी ग्यारह साल बाद मिली, लेकिन इत्तेफाक फाइनल का दिन भी 15 अगस्त का ही था. 1936 बर्लिन ओलिंपिक हॉकी के फाइनल में भारत का सामना जर्मनी से नहीं बल्कि हिटलर से होना था. वो हिटलर, जिसने पूरी दुनिया के दिलों में अपनी तानाशाही से खौफ पैदा कर दिया था, लेकिन एक मामूली दर्जे के भारतीय सिपाही के आगे दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह ने घुटने टेक दिये थे.
टूटे दांत और नंगे पैर से फाइनल खेले ध्यानचंद
पूरा स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था, हिटलर की मंजूरी मिलने के बाद रेफरी ने टॉस कर सीटी बजायी और फिर खेल शुरू हुआ. पहले हाफ में जर्मनी टीम ने बहुत अच्छा खेल दिखाया और भारत को सिर्फ 1-0 से बढ़त लेने दी. इसी दौरान उनके गोलकीपर टीटो वार्नहोल्ट्ज की हॉकी स्टिक ध्यानचंद के मुंह पर इतनी जोर से लगी कि उनका दांत टूट गया. ध्यानचंद फर्स्ट एड के लिए बाहर गए और फिर नंगे पैर लौटे. उसके बाद भारतीय टीम ने लगातार 7 गोल दागे और मैच खत्म होने तक स्कोर 8-1 कर दिया.