बात करीब एक वर्ष पहले की है. 2022 आइपीएल सत्र में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) में सबसे बड़ा बदलाव हुआ. सीएसके को चार खिताब दिलानेवाले धोनी ने सत्ता रवींद्र जडेजा को सौंप दी. जडेजा से टीम संभल नहीं सकी. प्रदर्शन गिरा, तो दबाव बढ़ा. वह झेल नहीं सके. बीच में ही कप्तानी छोड़ दी. टीम प्रबंधक ने कुछ मैचों के लिए धोनी की फिर से ताजपोशी कर दी. तब तक देर हो चुकी थी. लीग मैच खत्म हुआ, तो चेन्नई 14 में से 10 मैच गंवा नौवें स्थान पर रही. नौ बार फाइनल खेलनेवाली टीम का सबसे खराब प्रदर्शन था.
पर, 2023 धोनी ने मोर्चा संभाला, तो सीएसके ने रूतबा हासिल कर लिया है. गुजरात को हरा 10वीं बार फाइनल में पहुंची है. धोनी टीम के लिए एक बार फिर से किंगमेकर बने हैं. 2008 में जब चेन्नई ने पहली बार धोनी के हाथ में कमान सौंपी, तो 27 वर्ष के युवा थे. लंबी पारी खेलते थे. उम्र ढली, शरीर साथ नहीं दे रहा. रन नहीं बना पा रहे. पर, धोनी की कप्तानी अब भी जवां दिख रही हैं. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कप्तानी के दम पर वह 10 वर्ष तक आइपीएल खेल सकते हैं.
धोनी के इन फैसलों ने सबको चौंकाया
हर दो-तीन गेंद पर करते हैं फील्डिंग में बदलाव मंगलवार को गुजरात के खिलाफ क्वालिफायर मैच में जीत के लिए सीएसके ने 173 रनों का लक्ष्य दिया था. रिद्धिमान के आउट होने पर हार्दिक आये, तो विकेट के पीछे से धोनी ने फील्डिंग पोजिशन में बदलाव किया. अचानक एक फील्डर को ऑन साइड से बुला कर ऑफ साइड पर लगा दिया. हार्दिक दबाव में विकेट गंवा बैठे. धोनी अपने खिलाड़ियों से उनपर नजर रखने का निर्देश दे रखा है. हर दो तीन गेंद पर फील्डर्स को एक दो फीट इधर-उधर करते रहते हैं.
पथिराना से गेंदबाजी कराने के लिए धोनी जिद पर अड़ गये
मंगलवार को गुजरात के खिलाफ 15 ओवर समाप्त हो चुके थे. धोनी 16वां ओवर पथिराना से कराना चाहते थे. अंपायर ने रोक दिया. नियम के अनुसार पथिराना बॉलिंग करने से ठीक पहले मैदान पर नहीं थे. पथिराना 4 मिनट तक बाहर थे और धोनी इतने ही समय तक उनसे गेंदबाजी नहीं करा सकते थे. धोनी जिद पर अड़ गये और चार मिनट तक खेल रुका रहा. फिर पथिराना ने ही गेंदबाजी की. चेन्नई पर पेनाल्टी भी लगा, लेकिन धोनी ने रिस्क लिया. क्योंकि वे 16वां, 18वां और 20वां ओवर उनसे कराना चाहते थे.
15 में से 10 मैचों में अंतिम-11 में नहीं किया कोई बदलाव
चेन्नई का टॉप ऑर्डर बल्लेबाज ने इस आइपीएल के लगभग हर मैच में प्रदर्शन किया है. कोन्वे और रुतुराज ने अच्छी शुरुआत दिलायी. कोन्वे 15 मैचों में 52.08 की औसत से 625 रन बनाये हैं. गायकवाड़ के नाम 564 रन है. खराब फॉर्म के बाद भी रायडू पर भरोसा जताया. अजिंक्य रहाणे को मौका दिया. चोट के बाद वापसी करने पर दीपक चाहर से गेंदबाजी करायी. मलिंगा जैसे एक्शन वाले पथिराना पर भरोसा किया. अन्य टीमों की तुलना में चेन्नई के प्रदर्शन में एकरूपता दिखी है. टूर्नामेंट के 10 मैचों में धोनी ने वही प्लेइंग इलेवन रखा. इससे खिलाड़ियों का टीम में बने रहने को लेकर आत्मविश्वास बढ़ा.
धोनी की कप्तानी में चेन्नई का प्रदर्शन
2023 फाइनल में पहुंची
2022 नौवां स्थान
2021 विजेता
2020 सातवां स्थान
2019 उपविजेता
2018 विजेता
2015 उपविजेता
2014 तीसरा स्थान
2013 उपविजेता
2012 उपविजेता
2011 विजेता
2010 विजेता
2009 चौथा स्थान
2008 उपविजेता